अविकल उत्तराखंड/ऋषिकेश। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के ऋषिकेश आई बैंक में तीन दिवंगत लोगों का उनके परिजनों ने मृत्यु उपरांत नेत्रदान कराया। नेत्रदान के प्रति जागरूक लोगों के इस प्रयास से छह नेत्रहीन लोगों का जीवन रोशन हो सकेगा। एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने नेत्रदान जैसे महादान के इस पुनीत संकल्प के लिए परिजनों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इससे अन्य लोगों को भी नेत्रदान के संकल्प की प्रेरणा लेनी चाहिए। एम्स अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक एवं नेत्र रोग विभागाध्यक्ष प्रो. संजीव कुमार मित्तल ने बताया कि नंदू फार्म, ऋषिकेश निवासी विषुपाल (18 वर्ष) का बीते सोमवार की रात को असामयिक निधन हो गया। उनके निधन के बाद पिता मेगपाल ने अपने दिवंगत पुत्र का नेत्रदान कराया।
दूसरी ओर आदर्श ग्राम, ऋषिकेश निवासी अतुल कुमार (52 वर्ष) के असामयिक निधन होने पर उनके पुत्र मुकुल कुमार ने दिवंगत पिता का नेत्रदान कराया। उधर, कोलकाता, वेस्ट बंगाल निवासी प्रोसंजीत चौधरी, तापोस और धर्मराज ऋषिकेश घूमने आए थे। बीते मंगलवार सुबह प्रोसंजीत चौधरी (24 वर्ष) को दिल का दौरा पड़ने से उनका असामयिक निधन हो गया। नेत्रदान के प्रति जागरूक उनके भाई तपोस चौधरी ने दिवंगत प्रोसंजीत के निधन पर उनका नेत्रदान कराया। उधर, बुलंदशहर निवासी अनुज कुमार (26 वर्ष) का बीते शुक्रवार को असामयिक निधन होने पर उनके भाई बलवीर सिंह ने ऋषिकेश आई बैंक, एम्स से संपर्क साधकर अपने दिवंगत भाई का नेत्रदान कराया।
उपरोक्त चारों परिवारों से एम्स की नेत्र बैंक टीम ने संपर्क साधकर उन्हें नेत्रदान के लिए प्रेरित किया और टीम की प्रेरणा से परिजनों ने अपने दिवंगत प्रियजनों का नेत्रदान कराया। उन्होंने बताया कि चार दिवंगत लोगों से आई बैंक को प्राप्त आठ कॉर्निया से आठ लोगों को नेत्र ज्योति मिल सकेगी, जिससे वह ईश्वर की बनाई हुई रंगबिरंगी दुनिया को अपनी आंखों से देख सकेंगे। गौरतलब है कि अब तक ऋषिकेश आई बैंक (एम्स) को 658 कॉर्निया प्राप्त हुए हैं । ऋषिकेश नेत्र बैंक की मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर नीति गुप्ता ने बताया कि अब तक कुल प्राप्त कॉर्निया में ऋषिकेश शहर से 61%, हरिद्वार शहर 22%, देहरादून से 03%, रुड़की से 0 1% तथा उत्तराखंड के अन्य हिस्सों से 8% कॉर्निया प्राप्त हुए हैं। इसी प्रकार भारत के अन्य शहरों से 5% लोगों ने ऋषिकेश आई बैंक में नेत्रदान किए हैं ।
उन्होंने बताया कि यदि इसी तरह से ऋषिकेश शहर के जागरूक नागरिकों का नेत्रदान कराने में सहयोग रहा तो वह दिन दूर नहीं जिस दिन हम सम्पूर्ण उत्तराखंड को अंधता मुक्त कर सकते हैं। ऐसे में आवश्यक पड़ने पर हम उत्तराखंड के बाहरी राज्यों को भी कॉर्निया प्रत्यारोपण के लिए दे सकते हैं। उन्होंने ऋषिकेश की जनता का नेत्रदान महादान के पुण्य कार्य के प्रति जागरूक रहने की सराहना की और सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया ।
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