पौड़ी बस अड्डे के गार्डर पुल के निर्माण में किये गये बड़े बदलाव

देखें, पौड़ी बस अड्डे के गार्डर पुल में क्या बदलाव किये गए

पुल का वजन कम करने और रैम्प की ऊँचाई कम करने के बाबत किये बदलाव

गार्डर पुल को रेस्ट करने वाली जगह के पिल्लर को भी बदला गया

अनिल बहुगुणा की रिपोर्ट

अविकल उत्तराखंड/ पौड़ी। कछुवे की चाल से बन रहे पौड़ी के विवादास्पद बस अड्डे में बनाये गये गार्डर पुल पर उठ रहे सवालों के बाद पुल के डिजायन में बदलाव की खबर सामने आ रही है। कार्यदायी संस्था ने पुल के नक्शे में कुछ रद्दोबदल किये है। लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता राजेश चंद्र शर्मा प्रमुख अभियंता के निर्देश पर सोमवार को आधिकारिक रिपोर्ट प्रमुख अभियंता को सौपेंगे। मिली जानकारी के अनुसार गार्डर पुल के रेस्ट वाले स्थान के नीचे जो दो पिल्लर खड़े किये गये है उनकी दूरी नक्शे के मुताबिक 15 मीटर थी जिसे बाद में घटा कर 10 मीटर किया गया है।

इसके अलावा LMV के आने जाने वाले गार्डर पुल का वजन 60 टन कम करने के लिए पुल का रनवे कंक्रीट और सीमेंट के बजाय अब लोहे की प्लेटों से बनाये जाने का निर्णय किया गया है। इस गार्डर पुल का अपना डेड वेट 48 टन के पास आया है इसके अलावा इस पर लाइव वेट के साथ साथ एयर प्रेशर भी पड़ना है।

इधर, निर्माण संस्था का मानना है कि छत वाले रैम्प को सुविधाजनक बनाने के लिए ये चेंज किया गया है और इनसे पुल का डेड वेट 60 टन कम हो जायेगा। नहीं तो कुल डेड वेट 108 टन हो रहा था। पिल्लरों की दूरी कम करने के बाबत एग्जीक्यूटिव इंजीनियर डी सी नौटियाल का कहना है कि एक पिल्लर की बुनियाद के नीचे नाला होने के कारण इसको 5 मीटर खिसकाया गया है।

इस पुल को लेकर निर्माण करने वाली एजेंसी जनता की आशंका को लेकर पूरी तरह से मंथन कर उसको दूर करने की कोशिश में है। स्थानीय लोग अब इस निर्माण की जांच थर्ड पार्टी से करवाने की बात करने लगे है जो प्रदेश में पुलों के गिरने को देखते हुये उचित भी है।

गार्डर पुल को लेकर जनता की आशंकाओं पर लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता राजेश चंद्र शर्मा का कहना है कि पुल पूरी तरह से सुरक्षित है।

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