टिहरी राजशाही के खिलाफ बिगुल फूंकने वाले अमर शहीद को शत-शत नमन। मात्र 29 साल के युवा क्रांतिकारी श्रीदेव सुमन ने टिहरी राजशाही की चूलें हिला दी थी। अन्याय के खिलाफ 84 दिन तक अनशन करने के बाद श्री देव सुमन ने जान दे दी थी। श्रीदेव सुमन का जन्म 25 मई 1915 को टेहरी के जौला गांव में हुआ था। युवा सुमन देव गांधी जी से प्रभावित होकर 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में जेल गए थे।
राजधानी देहरादून में आंदोलनकारी रविन्द्र जुगरान व प्रदीप कुकरेती ने शहीद सुमन को याद किया
इसी बीच, श्रीदेव सुमन ने टिहरी रियासत के अत्याचार के खिलाफ आंदोलन किया। 1944 में उन्हें राजद्रोह के आरोप में जेल डाल दिया। श्री देव सुमन ने जेल में ही रहकर 84 दिन तक अनशन करने के बाद 25 जुलाई को प्राण त्याग दिए। क्रांतिकारी सुमन की मृत्यु के बाद भयभीत राजशाही ने उनके शव को रातों रात भागीरथी और भिलंगना नदी के संगम में बहा दिया।
श्री देव सुमन के शहीद होने की खबर के फैलते ही टिहरी राजशाही के खिलाफ जनता सड़कों पर उतर गई। आंदोलन बहुत ही तेज हो गया। जनता के आक्रोश के बाद 1 अगस्त 1949 को टेहरी रियासत का आजाद हिंदुस्तान में विलय हो गया। श्री देव सुमन के बलिदान दिवस 25 जुलाई को ऐतिहासिक जेल जनता के दर्शनार्थ खोली जाती है। टिहरी रियासत ने जिन बेड़ियों से श्री देव को जकड़ा था। जनता उन बेड़ियों को भी नमन करती है। उत्तराखंड सरकार ने एक विश्वविद्यालय का नामकरण किया है। शहीद श्रीदेव सुमन को आज पूरा उत्तराखंड याद कर रहा है।
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