भुतहा बन रहें गांवो को बचाने की भी एक मुहिम है रामलीला मंचन

रावण वध और श्री रामराजतिलक के साथ श्रीरामलीला मंचन का समापन

अविकल उत्तराखंड

पौड़ी। पलायन की मार के चलते जहाँ उत्तराखंड के गांव दिन -प्रतिदिन खाली हो रहें है वहीं दूसरी ओर जिला पौड़ी गढ़वाल के अंतर्गत विकासखंड द्वारीखाल के ग्राम सभा तिमली के डंगला नौबाड़ी ,तिमली ,कण्डवाण बाड़युँ के प्रवासी ग्रामीणों ने सामुदायिक सहभागिता से दस दिनों की रामलीला का मंचन कर भुतहा बनने की ओर बढ़ रहें गांवो को बचाने की मुहिम छेड़ी है, प्रवासी अनिल डबराल ने बताया वो जीविकापार्जन हेतु देहरादून पलायित हो गए थे लेकिन उनका बचपन गांव में ही बीता है गांव के प्रति स्नेह उन्हें बार -बार गांव आने को प्रेरित करता है।

इसलिए उन्होंने गांव में अन्य प्रवासियों व ग्रामीणों के सहयोग से रामलीला मंचन करवाने की ठान ली जिसकी योजना उन्होंने एक वर्ष पूर्व ही बना दी, इस एक वर्ष के दौरान पलायित ग्रामीण गांव आये और उन्होंने अपने खंडहर हो रहें मकानों की मरम्मत करवाई जिससे भुतहा बनने की ओर अग्रसर उनके गांव अब आबाद हो गए है इस अविस्मरणीय मंचन का मुख्य उद्देश्य अपनी पारम्परिक सांस्कृतिक परम्पराओं को जीवित रख, नई पीढ़ी को भी हस्तांतरित व अवगत करवाया जाना है जिससे भावी पीढ़ी को भी अपने पैतृक गांव, धरोहर, संस्कृति और परंपराओं के प्रति रुचि लगाव और आकर्षण पैदा हो सके जीविकोपार्जन के लिए गाॅंव से पलायन कर चुके अधिकांश परिवारो व दीशा-ध्याणियों (बेटी -बहिनों ) को भी इस रामलीला मंचन में आमंत्रित किया गया था।

जिसमें 50 वर्ष बाद गांव की बेटियां व बहिने एक ही मंच पर मिले एवं रामलीला मंचन को ” दिशा ध्याणी श्रीरामलीला” का नाम दिया गया है कमेटी के संयोजक इंद्र मोहन डबराल द्वारा अवगत कराया गया कि, इस कार्यक्रम के लिए ग्राम सभा के सम्मिलित गाॅंव तिमली, डंगला नौबाडी, कण्डवाण-वाड्यू की सभी विवाहित दीदी-भुली, फूफू-बेटियों को विधिवत निमंत्रण-पत्र प्रेषित कर आमंत्रित किया गया रामलीला के समापन पर सभी दीशा -ध्याणियों को अरसे की कंडी देकर विदाई दी गई कमेटी के अध्यक्ष सरदार सिंह गुसाईं ने बताया कि सभी आगन्तुको के रहने और खाने की व्यवस्था रामलीला कमेटी के द्वारा की गई थी समिति के सचिव दीपचंद कुकरेती एवं उपसचिव जे पी कुकरेती ने जानकारी दी कि, रामलीला मंचन के कारण पूरा गाॅव पुन: आबाद दिखाई दे रहा है। गांव की कई बेटियाॅं जो शादी के बाद दशकों से गाॅंव में नहीं आई थी।

वर्तमान समय में सबका आपस में मेल-मिलाप संभव हो पाया है। रामलीला मंचन में सुमन डबराल, राजेश डबराल, इंद्र मोहन डबराल तथा सांस्कृतिक मंत्री के तौर पर प्रचार प्रसार का कार्य राजेश डबराल द्वारा किया गया राम की भूमिका अरुण डबराल, लक्ष्मण की भूमिका हर्ष डबराल, सीता का अभिनय कुमारी आयशा, रावण का चरित्र मुकेश कुकरेती, हनुमान की भूमिका नरेश डबराल द्वारा अदा की गई। रामलीला-मंचन के पूर्व नाट्य कलाकार चंद्रमणि कुकरेती, खुशीराम डबराल एवं राजेश डबराल द्वारा भी महत्वपूर्ण चरित्र अदा किए गए। इसके अलावा कुमारी प्रेरणा द्वारा भरत की भूमिका निभाई गई, नवीन कुकरेती, गिरीश डबराल, कमलेश डबराल,भुवनेश डबराल,आशीष डबराल, मनोज कुकरेती, अमित डबराल, चन्द्रकान्त कुकरेती व नत्थी सिंह , नेहा द्वारा रामलीला मंचन में महत्वपूर्ण चरित्र तथा कार्यक्रम संम्पन्न करवाने में सुभाष डबराल, सुनील सिंह गुसाईं व विनीत डबराल, महेश कुकरेती, विनोद कुकरेती द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई दीशा -ध्याणियों की विदाई के दौरान गांव में माहौल भावुक हो उठा, नम आँखो से विदाई लेते हुए उन्होंने कुलदेवी मां राजराजेश्वरी से सभी की कुशलता की कामना करते हुए कहा कि राजी -ख़ुशी रहेंगे तो अगले साल फिर मिलेंगे।

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