उत्त्तराखण्ड ने देखा प्रियंका का सहज ,सरल व हँसमुख अंदाज

सत्ता में आने पर आधी आबादी को रोजगार में मिलेगी वरीयता

भाजपा पर किये सधे प्रहार,पीएम के करीबी उद्योगपति फल फूल रहे

कोरोनाकाल में प्रवासी उत्तराखंडियों की पीड़ा को याद किया

अविकल थपलियाल

देहरादून। यूँ तो प्रियंका गांधी को उत्त्तराखण्ड के चुनाव में बुलाने की मांग लम्बे अर्से से होती रही है लेकिन यहां के मतदाताओं को कभी भी उनका भाषण सुनने को नहीं मिला। इधर, दो फरवरी के दिन प्रियंका गांधी ने वर्चुअल रैली के जरिये लगभग 100 विभिन्न स्थानों पर मौजूद 60 हजार मतदाताओं से अपने मन की कही।

अपने इस पहले आधे घण्टे के संबोधन में प्रियंका ने बेहद शांत व हँसमुख सम्बोधन के जरिये लोगों से कनेक्ट किया। चुनावी लटके झटके व लंबी लंबी हांकने के बजाय ग्राउंड रियलिटी पर जोर दिया।

मसलन, आधी आबादी के दुख दर्द का बहुत ही बारीक विश्लेषण किया। कहा, कि महिलाएँ अपना काम करने के अलावा पारिवारिक सदस्यों की सेहत आदि का ख्याल रखती हैं। सारा बोझ उठाती है। कोरोनाकाल में भी सारा बोझ उठाया। महिलाओं के पास मौके कम होते हैं। लेकिन यह भी स्वीकार किया कि राजनीतिक दल उनकी बात नहीं करते।

संबोधन की शुरुआत में ही प्रियंका ने अपनी पिता, चाचा, भाई व बेटे की दून में हुई एजुकेशन का जिक्र करते हुए उत्त्तराखण्ड से पुराने जुड़े रिश्ते का उल्लेख कर लोगों से कनेक्ट किया।चारों धामों को प्रणाम करते हुए पूर्व सीएम हरीश रावत की खूबियों की प्रशंसा की।

इस वर्चुअल रैली के जरिये प्रियंका ने महिलाओं को रोजगार के अवसर देने की घोषणा कर ताली बजवाने के अलावा महंगे सिलिंडर का जिक्र कर रसोई तक पकड़ बनाई। इस दौरान मंच के बैकड्रॉप में महंगे सिलिंडर से जुड़ा एक गीत के जरिये भी महंगाई के खिलाफ अपनी मुहिम को आगे बढ़ाया।

प्रियंका गांधी ने कहा कि 500 रुपए का सिलिंडर लेना जनता का हक है। आपके हक व विकास की जो बात करे उसे अपना कीमती वोट दे।

संबोधन के बीच बीच में उत्साह से भरी महिला कार्यकर्ताओं ने लड़की हूँ लड़ सकती हूँ के जोरदार नारे भी लगाए। प्रियंका ने समझाने के अंदाज में अपनी बात कही। साफ कहा कि वे ये कुछ बातें करने यहां आयी।

कोरोना काल में केंद्र सरकार की असफलता गिनाते हुए प्रवासी उत्तराखंडियों की तकलीफ की भी याद दिलाई। कहा कि, दिल्ली में कई प्रवासी उत्तराखंडी रहते हैं। लॉकडौन लगा दिया लेकिन उनको उत्त्तराखण्ड भेजने की कोई कोशिश नहीं की।  हजारों लोगों की नौकरी चली गयी। कांग्रेस ने व्यवस्था कर उन्हें पहाड़ भेजा। कोरोना से हुई सगे सम्बन्धियों की मौत का जिक्र कर भाजपा को ऑक्सीजन व वैक्सीन का निर्यात करने पर कोसा भी। कहा कि, देश में पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन व वैक्सीन थी, लेकिन भाजपा सरकार के निर्यात करने से देश में मरीजों को ऑक्सीजन व वैक्सीन नहीं मिली।

प्रियंका गांधी ने सधे शब्दों व इशारों में भाजपा व पीएम नरेंद्र मोदी को पर प्रहार किए। कहा कि धर्म, जाति व नकारात्मक बात करने वाले सकारात्मक विकास की बात नहीं करते। किसानों का 14 हजार करोड़ का बकाया देने के बजाय पीएम मोदी ने अपने लिए 16 हजार करोड़ के दो जहाज खरीदे।

बात आगे बढ़ाते हुए साफ कहा कि पीएम मोदी के करीबी उद्योगपति ही फल फूल रहे हैं।

प्रियंका ने महंगाई, रोजगार, खनन, भ्र्ष्टाचार का जिक्र करते हुए शुरुआत में ही कह दिया कि उनका परिवार उत्त्तराखण्ड आकर बहुत खुश होता था लेकिन अब यहां आकर दुख होता है। क्यों कि पैसा होने कर बावजूद भाजपा सरकार ने पांच साल में कुछ नहीं किया।

घोषणा पत्र को प्रतिज्ञा पत्र बताते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार वादों की प्रतिज्ञा को पूरा करेगी। यह भी साफ किया कि जागरूक जनता ही बदलाव कर सकती है। इसके लिए अपने वोट की ताकत को।पहचानते हुए राजनीतिक दलों से अपने हक की बात करनी होगी।

प्रतिज्ञा पत्र में महिलाओं के रोजगार से जुड़े वादों का प्रमुखता से जिक्र कर पहाड़ की मेहनतकश आधी आबादी को जोड़ने की कोशिश की। छतीसगढ़ में कांग्रेस सरकार बनने के तीन घण्टे के अंदर किसानों के कर्जा माफी की बात कह यह इशारा भी किया कि उत्त्तराखण्ड में सरकार बनने के बाद ये सभी प्रतिज्ञाएं पूरी की जाएंगी।

अपने पूरे संबोधन के दौरान प्रियंका गांधी बेहद सहज- सरल अंदाज में अपने मन की कहती चली गयी। संबोधन में राजनीतिक प्रहार भी किये लेकिन चेहरे पर उत्तेजना के भाव के बजाय मुस्कान तैरती दिखी। संयत व सधी बोली में निकले बोलों से जनता के मन को छू कर कांग्रेस के चुनावी अभियान को एक नई ऊंचाई दे गयी  लड़की हूँ लड़ सकती हूँ का नारा देने वाली प्रियंका गांधी…

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