मानसून सत्र…लोकायुक्त….भू कानून व देवस्थानाम एक्ट.. पर टिकी निगाहें

चुनाव से पहले के विधानसभा मानसून सत्र में सीएम धामी इन मुद्दों पर ले पाएंगे ठोस फैसला ?

उत्त्तराखण्ड विधानसभा का मानसून सत्र 27 अगस्त तक चलेगा

अविकल थपलियाल

देहरादून। उत्त्तराखण्ड विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन दिवंगत नेताओं को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के बाद अब शेष दिन सदन में महाभारत देखने को मिलेगी। उधर, सड़क पर पहले से ही कई संगठन आंदोलित हैं।

महंगाई, बेरोजगारी,ग्रेड पे, आंदोलित कर्मी, व कुंभ समेत अन्य घोटालों पर कांग्रेस के पास बोलने को बहुत कुछ है। नये नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह व उपनेता करण माहरा की टीम की सदन में बेहतर परफार्मेन्स धामी सरकार के लिए परेशानी का सबब बन सकती है।


लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले जनता को संदेश देने के लिए सत्तारूढ़ भाजपा व विपक्षी कांग्रेस के पास तीन मुद्दों पर बराबर का मौका है। इन तीन मुद्दों पर भाजपा चुकी तो कांग्रेस की बमबारी तेज हो जाएगी। और अगर सीएम धामी इन तीनों ज्वलंत मुद्दों का हल निकाल गए तो पार्टी विपक्ष पर लीड लेती दिखायी देगी।

लोकायुक्त का गठन

बीते दो साल से विधानसभा की प्रवर समिति की हवाले लोकायुक्त एक्ट अब सदन की संपत्ति बन चुका है। पूर्व सीएम नारायण दत्त तिवारी व बीसी खंडूडी के समय प्रदेश में लोकायुक्त की व्यवस्था रही। लेकिन बीते कुछ सालों से लोकायुक्त की संस्था बेजान पड़ी हुई है। कांग्रेस के 2012 से 17 के बीच निश्चित अवधि 180 दिन के अंदर लोकायुक्त के मसले पर स्टैंड नहीं लेने की वजह से भाजपा ने 100 दिन के अंदर लोकायुक्त के गठन का वादा किया था। लेकिन भाजपा सरकार के पांचवें साल में भी लोकायुक्त एक्ट बस्ते से बाहर निकल नही पाया।। चुनावी साल में भाजपा के नए सीएम पुष्कर धामी ने इस मुद्दे पर लीड ले ली तो पार्टी विपक्ष के आरोपों से बच सकती है। यह एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनने जा रहा है।

चारधाम देवस्थानम एक्ट और तीर्थ पुरोहित

त्रिवेंद्र सरकार ने दो साल पहले चारधाम देवस्थानम बोर्ड का गठन किया था। इस एक्ट के तहत चारधाम समेत 51 मंदिर बोर्ड में शामिल किए गए थे। इस एक्ट के विरोध में चारों धामों समेत अन्य मंदिरों के तीर्थ पुरोहित आंदोलित हैं। नये सीएम ने पूर्व राज्यसभा सदस्य मनोहरकान्त ध्यानी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। समिति तीर्थ पुरोहितों की मांगों पर विचार करेगी। विपक्ष इस मुद्दे पर बहुत मुखर है। मौजूदा विधानसभा सत्र में इस मुद्दे ओर सरकार के पॉजिटिव स्टैंड से स्थिति सुधर सकती है। वर्ना यह मुद्दा उत्त्तराखण्ड से बाहर भी सुर्खियां बटोर रहा है। भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी देवस्थानम एक्ट के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे हुए हैं।

उत्त्तराखण्ड भू कानून, ये दिल मांगे मोर

लंबी चुप्पी के बाद प्रदेश में भू कानून को लेकर नये सिरे से बहस छिड़ गई है। सोशल मीडिया से शुरू हुई इस मुहिम में सरकार के नए नियमों से उबाल आया हुआ है। प्रमुख विपक्षी दल के नेता भी भू कानून में आवश्यक संशोधन की बात कर रहे है। चूंकि, त्रिवेंद्र काल में भू कानून की धाराओं में संशोधन कर जमीन खरीद के नियमों में खासी ढील दी दी गयी थी। उस समय पूंजी निवेश व इन्वेस्टर्स को लुभाने के तर्क के साथ भूमि की खरीद फरोख्त में दी गयी ढील आज एक बड़ा मुद्दा बन गया है। पूर्व सीएम बीसी खंडूडी काल खंड में बनाये गए भू कानून को लागू करने की बात हो रही है। भू माफिया व दलालों के नए सिरे से सक्रिय होने की खबरें भी सरगर्म हैं।

भू कानून, लोकायुक्त व चारधाम देवस्थानम एक्ट को लेकर सत्ता-विपक्ष में जमकर बयानबाजी हो रही है। विधानसभा चुनाव के इन तीन बड़े मुद्दों का सीएम धामी की टीम क्या हल निकालती है। प्रदेश और देश की निगाहें इसी मानसून सत्र पर टिकी हैं..



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