अमित शाह ने सतपाल-हरक को किया फोन, भाजपा में हलचल के संकेत

पुराने टेस्ट प्लेयर्स को लीड करना नये कप्तान धामी के सामने सबसे बड़ी चुनौती

विधानमंडल दल की बैठक के बाद अनमने नजर आये कई वरिष्ठ नेता

वरिष्ठ नेता नयी कैबिनेट से बना सकते हैं दूरी

अविकल उत्त्तराखण्ड

देहरादून।
भाजपा मुख्यालय में विधानमंडल दल की बैठक खत्म होने के बाद कुछ नेताओं की भाव भंगिमा बहुत कुछ इशारा कर गई। बैठक में पुष्कर सिंह धामी के नाम के ऐलान के बाद कुछ वरिष्ठ नेताओं की बॉडी लैंग्वेज से पार्टी की अंदरूनी कहानी गड़बड़ाने के संकेत मिल रहे हैं। बैठक के बाद मीडिया से बात न कर सीधे निकल जाने से भी अंदरूनी असंतोष की चर्चाओं को बल मिल रहा है। कुछ नेताओं की गोपनीय बैठक की भी चर्चा है।

इन वरिष्ठ नेताओं के अनुभव पर यूथ एंगल को तरजीह मिलने के बाद  पुराने चेहरों के धामी कैबिनेट में बने रहने पर भी सवाल खड़े हो गए है। यह खबर आ रही है कि कुछ पुराने मंत्री फिर से शपथ न लें। शपथ ग्रहण समारोह रविवार की सांय राजभवन में आयोजित किया जाएगा।

नये सीएम धामी के सामने वरिष्ठ नेताओं को साथ लेकर चलने की चुनौती
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र को रिपीट किये जाने की अंतिम समय तक थी चर्चा

इस नाराजगी को भांपते हुए केंद्रीय नेतृत्व ने इन नेताओं से संपर्क साधना शुरू कर दिया।
पुष्ट सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्री अमित शाह ने स्वंय सतपाल महाराज व हरक सिंह रावत से बात की। इन दोनों नेताओं का नाम सीएम पद के प्रबल दावेदारों में शुमार था। सूत्रों के मुताबिक शाह ने इन दोनों नेताओं से नये सीएम को सहयोग करने की बात कही।

सतपाल महाराज, 96 में केंद्र में बने मंत्री

खबर यह भी आ रही है कि भाजपा से जुड़े कुछ वरिष्ठ नेता भी इस निर्णय के बाद असहज महसूस कर रहे हैं। शासन-प्रशासन व राजनीति का अच्छा खासा अनुभव रखने वाले ये नेता नये सीएम के अंडर में काम करने से भी हिचकिचा रहे हैं। यह नाराजगी अभी बन्द कमरे से बाहर बाहर नही निकली है। लेकिन वरिष्ठ नेता केंद्रीय नेतृत्व के इस फैसले को लेकर हतप्रभ अवश्य दिख रहे हैं।

भाजपा के अंदर देखी जा रहे इस नए सत्ता संघर्ष से आने वाले दिनों में कुछ नई हलचल देखने को मिल सकती है। सूत्रों के मुताबिक विधायक से सीधे सीएम बने पुष्कर सिंह धामी के शासन-प्रशासन से जुड़े कम अनुभव को भी चुनावी गतिविधियों से जोड़कर देखा जा रहा है।

हरक सिंह रावत-1991 में कल्याण सिंह कैबिनेट में मंत्री रहे

पार्टी सूत्रों का कहना है चुनावी साल में नेतृत्व को कांग्रेस के मुकाबले के लिए वरिष्ठ व अनुभवी नेता को कमान सौंपनी चाहिए थी। कांग्रेस के हमलावर नेता हरीश रावत की रणनीति की काट के लिए उनके ही मुक़ाबले के नेता को सामने लाना चाहिए था। एक तर्क यह भी दिया जा रहा है कि सीधे सीएम बनाने के बजाय पहले चरण में मंत्री बनाने से शासन का अनुभव भी हो जाता। लेकिन, पार्टी के रणनीतिकार महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस का उदाहरण देते हुए कह रहे हैं कि पार्टी अब युवाओं को मौका दे नया प्रयोग करना चाहती है।

तीरथ की विदाई के बाद पूर्व सीएम त्रिवेंद्र, सतपाल महाराज, बिशन सिंह चुफाल, धन सिंह, हरक सिंह को सीएम पद का प्रमुख दावेदार बताया जा रहा था।

बिशन सिंह चुफाल । पांच बार के विधायक व पूर्व कैबिनेट मंत्री

बहरहाल, चुनावी साल में दिग्गजों को किनारे कर भाजपा नेतृत्व ने युवा चेहरे पुष्कर धामी पर भरोसा जता उत्त्तराखण्ड भाजपा का कलेवर बदलने का मन बना लिया है। पुष्कर सिंह धामी को रातों रात टेस्ट टीम की कप्तानी सौंपने के बाद वरिष्ठ खिलाड़ी कितने मन से मैच खेलेंगे ,इस पर भी संशय बना हुआ है।

हालांकि, नये सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अपने पहले सबोधन में सभी को साथ लेकर चलने की बात कही है। लेकिन कांग्रेसी गोत्र के अलावा भाजपा के सीएम पद के दावेदार युवा कप्तान धामी की कप्तानी में फील्ड में उतरेंगे? यह भी अहम सवाल बना हुआ है।

धन सिंह रावत, पूर्व उच्च शिक्षा राज्यमन्त्री

नये सीएम धामी पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी के करीबियों में शुमार किया जाता रहा है। धामी की ताजपोशी में कोश्यारी की रणनीति को अहम माना जा रहा है।

अब पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी के राजनीतिक शिष्य पुष्कर धामी के रणकौशल पर निर्भर करेगा कि वो किस वरिष्ठ खिलाड़ी को पैड बांध पिच पर उतरने को कहते हैं और किस खिलाड़ी को बाल सौंप विपक्ष पर अटैक की जिम्मेदारी सौंपते हैं।

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