कुर्सी की जंग में पुराने चेले राजेन्द्र भंडारी ने गुरु महाराज को दी शिकस्त
हाईकोर्ट ने सरकार के बर्खास्तगी के फैसले को निरस्त कर दिया झटका, बहाली के हुए आदेश
अविकल उत्तराखण्ड
नैनीताल/देहरादून। नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस राहत में और हमलावर भी। राजनीति का ऊंट फिर करवट बैठा और चेला भारी पड़ गया अपने पुराने गुरु पर। यूं तो यह ताजातरीन कहानी जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी को हिलाने से जुड़ा है। इस रस्साकसी में एक जमाने के गुरु-चेले सतपाल महाराज और विधायक राजेन्द्र भंडारी परस्पर भिड़े हुए थे। कोर्ट के आदेश के बाद चेले ने अपने कालर खड़े कर लिए हैं …दांवपेंच का खेल अभी जारी है..
ताजी खबर यह है कि उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध नंदा देवी राजजात यात्रा से जुड़े निर्माण कार्यों के टेंडर में की गई हेराफेरी के बाद चमोली जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी को बर्खास्त किये जाने के मुद्दे पर सरकार को कोर्ट के फैसले के बाद बैकफुट पर आना पड़ा है।
नैनीताल हाईकोर्ट का फैसला
बीते 25 जनवरी को चमोली जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी को बर्खास्त किये जाने सम्बन्धी शासन के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी। रजनी भंडारी की ओर से हाईकोर्ट में याचिका पेश की गई। उनके वकील देवदत्त कामत ने कोर्ट को कहा कि सरकार ने पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों का पालन नहीं किया है। और निर्वाचित प्रतिनिधि को राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित होकर हटाया गया।
न्यायमूर्ति ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद रजनी भंडारी को बर्खास्त करने सम्बन्धी आदेश को निरस्त कर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर बहाल करने के आदेश दिए। गौरतलब है कि पूर्व ब्लाक प्रमुख ने नंदा देवी राजजात यात्रा में गड़बड़ी की शिकायत की थी।
दरअसल, 25 जनवरी को शासन ने 2012 की नंदा राजजात यात्रा टेंडर चयन में गड़बड़ी के आरोप व जांच के बाद चमोली जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी के बर्खास्तगी के आदेश जारी किए थे। चमोली जिला प्रशासन की जॉच के बाद शासन ने दस साल पुराने 2012 के मामले में जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी को हटा दिया।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करण मेहरा व बद्रीनाथ से पार्टी विधायक राजेन्द्र सिंह भंडारी ने भाजपा पर बदले की कार्रवाई का आरोप लगाते हुए कई हमले किये। भंडारी ने कहा कि जोशीमठ भू धंसाव के प्रभावितों की जंग लड़ने की वजह से भाजपा सरकार ने यह कदम उठाया।
इस मामले का गौरतलब पहलु यह है कि जांच रिपोर्ट में किसी भी प्रकार की वित्तीय गड़बड़ी की पुष्टि नहीं हुई। कांग्रेस के आरोपों का जवाब देने पंचायत राज मंत्री सतपाल महाराज मैदान में उतरे। और कहा कि धार्मिक व पवित्र नंदा राजजात यात्रा में घपला दुर्भाग्यपूर्ण है।
इस पूरे मामले का रोचक पहलु यह है कि 2012-13 की धार्मिक नंदा राजजात यात्रा कांग्रेस के समय शुरू हुई थी। और उस समय सतपाल महाराज स्वंय कांग्रेस में थे। यही नहीं, चमोली जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी के पति व विधायक राजेन्द्र भंडारी सतपाल महाराज के काफी करीबी माने जाते रहे।
2014 फरवरी महीने में हरीश रावत के सीएम बनते ही सबसे पहले सतपाल महाराज ही कांग्रेस छोड़ भाजपा में गए। उस समय राजेन्द्र भंडारी के भी कांग्रेस छोड़ भाजपा में जाने की चर्चाएं थी। लेकिन भंडारी कांग्रेस में ही बने रहे। और आज राजनीति का तकाजा यह है कि एक दूसरे के बेहद करीबी रहे मंत्री सतपाल महाराज और कांग्रेस विधायक राजेन्द्र भंडारी न केवल अलग अलग पार्टी में है बल्कि पंचायत की राजनीति में एक दूसरे को लंगड़ी देने की कोशिश में है।
फिलहाल, नैनीताल हाईकोर्ट के जिला पंचायत अध्यक्ष को बहाल करने सम्बन्धी फैसले के बाद पंचायत मंत्री सतपाल महाराज व शासन बैकफुट पर है। अदालती फैसले के बाद कांग्रेस में चमोली जिले से लेकर देहरादून तक जश्न का माहौल है।
जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भण्डारी की बहाली सम्बन्धी हाईकोर्ट के फैसले को भाजपा सरकार चुनौती देने की भी तैयारी में है।
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