दुखद- पूर्व मंत्री राम प्रसाद टम्टा के निधन पर शोक

पचास साल की सेवा के बाद रामप्रसाद टम्टा ने कांग्रेस छोड़ी

अविकल उत्तराखंड

बागेश्वर। पूर्व कैबिनेट मंत्री लव बागेश्वर के पूर्व विधायक रामप्रसाद टम्टा का निधन हो गया है। वह 75 वर्ष के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उन्होंने आज डा सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में अंतिम सांस ली। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व पूर्व सीएम हरीश रावत ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।

मिली जानकारी के मुताबिक चौगांवछीना खर्कटम्टा निवासी राम प्रसाद टम्टा की छह मई की रात को तबीयत ज्यादा खराब होने पर डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय ले आए।

एसटीएच में हालत में सुधार होने के बाद उन्हें डिस्चार्ज किया गया बाद में उन्हें हार्ट अटैक पड़ा। प्राइवेट अस्पताल ले जाने से पहले उनकी मृत्यु हो गयी। उनके परिवार में चंद्रकांत के अलावा छोटा बेटा अभिलेख, पत्नी मुन्नी देवी व तीन बेटियों समेत भरा-पूरा परिवार है। उनके निधन से शोक की लहर दौड़ गई। उनके बेटे ने बताया कि उनका अंतिम संस्कार आठ मई को गांव में ही होगा।

..जब राम प्रसाद टम्टा ने कांग्रेस छोड़ी


मूलरुप से चैगांवछीना खर्कटम्टा निवासी राम प्रसाद टम्टा 1993 में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार अविभाजित उत्तर प्रदेश में विधायक चुने गए। 2002 में उत्तराखंड की पहली निर्वाचित नारायण दत्त तिवारी सरकार में वह कैबिनेट मंत्री रहे। 2012 में वे 950 वोट से चुनाव हार। 2017 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी। वे 50 साल तक कांग्रेस में रहे । उन्होंने कांग्रेस के नेताओं पर कई बागेश्वर की उपेक्षा के आरोप लगाए थे।

वे 2012 में अपनी हर से दुखी थे। और इसके लिए कांग्रेस के कुछ नेताओं को जिम्मेदार ठहराया था। कांग्रेस छोड़ते वक्त टम्टा ने कहा था कि पार्टी में गुंडाराज, भ्रष्टाचार व अत्याचार का बोलबाला हो गया है। उन्होंने कहा था कि ईमानदारी से काम करने वालों का कांग्रेस में कोई सम्मान नहीं रहा।

उन्होंने 2017 में टिकट नहीं मिलने पर पार्टी छोड़ते हुए कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी और विजय बहुगुणा की घोषणाओं पर तो काम हुआ है। साथ ही इशारों में हरीश रावत कार्यकाल पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि ढ़ाई साल मंे कोई भी काम नहीं हुआ है। उन्होंने यह भी कहा था कि हरी राम टम्टा की स्मृति भवन बागेश्वर में बनना था । एक करोड़ रुपये मंजूर भी हुए लेकिन गोविंद सिंह कुंजवाल ने गरुड़ाबांज पहुंचा दिया। उनके इस्तीफे को कांग्रेस की अंदरूनी कलह से जोड़ा गया था।

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