चंडीगढ़ में सड़क दुर्घटना में हुआ निधन, सीएम समेत संगीत प्रेमियों ने जताया दुख
अविकल उत्तराखंड
चैता की चैत्वाल… नंदू मामा की स्याली रे कमला.. ढोल दमों… आदि लोकगीतों के जरिये कम समय में ही संगीतप्रेमियों के दिलों में छा जाने वाले युवा गायक व संगीत निर्देशक गुंजन डंगवाल का पंचकुला, चंडीगढ़ में एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया।
गुंजन कार ड्राइव कर चंडीगढ़ अपने दोस्त से मिलने गए थे। शनिवार सुबह देहरादून लौटते हुए रास्ते में उनकी कार डिवाइडर से टकरा गई और मौके पर ही उनकी मौत हो गई।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने टिहरी निवासी प्रदेश के युवा लोकगायक एवं संगीत निर्देशक गुंजन डंगवाल के सड़क हादसे में निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। उन्होंने ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति तथा शोक संतप्त परिजनों को इस दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की है।
प्रदेश के लोक कलाकारों ने उनके निधन पर गहरा दुख जताया है। शनिवार को गुंजन के निधन की खबर लगते ही सोशल मीडिया में श्रद्धांजलि देने का सिलसिला शुरू हो गया।
गुंजन के गीत चैता की चैत्वाल्या ने उत्तराखंड के अलावा देश- विदेश में काफी धूम मचा रखी है। पेशे से संगीतकार गुंजन ने जीबी पंत इंजीनियरिंग कॉलेज घुड़दौड़ी से इलेक्ट्रिकल से बीटेक भी किया था। संगीत विशारद की भी उनके पास डिग्री थी।
गुंजन डंगवाल का पहला एलबम नंदू मामा की स्याली संगीत प्रेमियों के दिलो दिमाग पर छा गया था। धीरे-धीरे गुंजन गीत के साथ-साथ संगीत और वीडियो एलबम बनाने के लिए भी कार्य करने लगे।
नंदू मामा की स्याली रे कमला, गोरा रंग तेरो रे… उडंदु भौंरे… छमा चौक…आज लागलू मंडाण.. ढोल दमों… चैता की चैत्वाल… गीतोंके जरिये अलग पहचान बनाई थी।
मूल रूप से अखोड़ी गांव जाखणीधार टिहरी निवासी गुंजन का परिवार इन दिनों देहरादून के केदारपुरम में रहता है।
26 वर्षीय गुंजन ने देहरादून में ही अपना स्टूडियो खोला था। शिक्षक माता पिता की संतान गुंजन डंगवाल कम समय में ही उत्तराखंडी संगीत व गायन के क्षेत्र में विशिष्ट पहचान बना गए।
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