भर्ती घोटाले पर पनपते आक्रोश को भांप धामी कैबिनेट, संघ व संगठन में बदलाव की आहट
राहुल गांधी-केजरीवाल की उत्तराखंड के भर्ती घोटाले को 2024 लोकसभा चुनाव तक जिंदा रखने की रणनीति
अविकल थपलियाल/अविकल उत्तराखंड
देहरादून। विधानसभा बैकडोर भर्ती, uksssc पेपर लीक व अन्य भर्ती घोटालों में भाजपा-कांग्रेस के नेताओं की मिलीभगत के बाद अब संघ से जुड़े नेताओं का नाम उछलने के बाद प्रदेश की राजनीति नयी करवट लेती दिखाई दे रही है।
भर्ती घपलों से उत्तराखंड, दिल्ली व नागपुर तक भाजपा – संघ में उठे तूफान के बाद एक बड़े पॉलिटिकल आपरेशन की आहट साफ सुनाई दे रही है। 2023 के निकाय व 2024 के लोकसभा चुनाव में इन भर्ती घोटालों के ‘नायकों’ की सीधी पड़ती छाया को देख पीएम मोदी की देखरेख में मेगा सर्जरी की तैयारी शुरू हो गयी है। संघ के शीर्ष नेतृत्व भी भर्ती घोटाले से जुड़े मामले की पल पल रिपोर्ट ले रहा है। recruitment scams
विधानसभा बैकडोर भर्ती की जांच के बाद धामी कैबिनेट व उत्तराखंड को देख रहे आरएसएस कैडर में व्यापक सर्जरी की संभावना जताई जा रही है। विपक्ष के हमले रोकने व जनता की नाराजगी को दूर करने के लिए भाजपा नेतृत्व चिन्हित नेताओं को किनारे पर बैठाने जा रहा है। इस कड़ी में धामी कैबिनेट में काफी उथल पुथल की संभावना भी जताई जा रही है।

भर्ती घपले के देशव्यापी खतरे को भांपते हुए भाजपा व संघ आलाकमान उत्तराखंड के बाबत कई विकल्पों पर मंथन में जुट गया है। चूंकि, उत्तराखंड के बेरोजगारों के रोजगार से जुड़े मामले में छलकपट की पूरी फिल्म के खास किरदार अभो भी फुल स्विंग में बालिंग कर रहे हैं। इन किरदारों के खिलाफ जनहितकारी एक्शन नहीं होने पर युवाओं का आक्रोश अब नयी शक्ल अख्तियार करता जा रहा है। PM Modi
देहरादून, हल्द्वानी के अलावा कई कस्बों में जारी आन्दोलन अब नेताओं के व्यक्तिगत विरोध में तब्दील होने की दिशा में बढ़ रहा है। पूर्व विधानसभाध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल को टिहरी में काले झंडे दिखा विरोध की खबरें सामने आ चुकी है। युवा वर्ग रात में थाली बजा विरोध के स्वर तेज कर रहा है। आने वाले कल में जनप्रतिनिधियों के खुले घेराव की खबरें सामने आ सकती है।
भाजपा नेतृत्व के लिए उत्तराखंड के इस भर्ती घोटाले में कांग्रेस व आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के कूदने से भी स्थिति असहज देखी जा रही है। राहुल गांधी व अरविंद केजरीवाल इन घोटालों को राष्ट्रीय स्तर पर उठा कर इस मुद्दे को लोकसभा चुनाव 2024 तक जिंदा रखने की रणनीति पर चल रहा है। Arvind kejriwal

इस बीच, संघ के प्रांत प्रचारक युद्धवीर यादव के लगभग छह दर्जन करीबियों को उत्तराखंड के विभिन्न विभागों में नौकरी व शराब, खनन, निर्माण कार्य के ठेके मिलने की कथित सूची के वॉयरल होने के बाद राजनीतिक माहौल नये सिरे से गर्मा गया है।
हालांकि, संघ नेताओं ने सूची को पूरी तरह फर्जी बताते हुए सीएम के दरबार में दस्तक दी। और फिर तत्काल अज्ञात के खिलाफ आईटी एक्ट में मुकदमा भी दर्ज हो गया। बेशक युद्धवीर यादव से जुड़ी सूची सौ प्रतिशत फर्जी हो, बावजूद इसके आम जनमानस में कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। प्रान्त प्रचारक युद्धवीर यादव से जुड़ी सूची की भी निष्पक्ष जांच की मांग उठने लगी है।
बहरहाल, विधानसभा भर्ती घोटाले की जारी जांच व uksssc पेपर लीक में हर रोज हो रही गिरफ्तारी के बाद भी घपले-घोटाले की भारी भीड़ खींच रही इस फिल्म ने भाजपा के लिए गंभीर चुनौती खड़ी कर दी है। कई विभागों से जुड़े उत्तराखंड के इतिहास के सबसे बड़े भर्ती घोटाले में सीएम पुष्कर सिंह धामी के राजनीतिक व प्रशासनिक कौशल की भी परीक्षा है। Rahul gandhi

यूँ तो, उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पेपर लीक मामले में जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह के अलावा किसी बड़े भाजपा नेता का नाम सामने नहीं आया। लेकिन विधानसभा बैकडोर भर्ती में भाजपा के कई नेताओं के (कांग्रेस के भी) नाम सामने आ चुके हैं। इसके अलावा सहकारिता, पुलिस भर्ती व अन्य विभागों में बांटी व खरीदी गई नौकरियों में भी कई नेताओं व अधिकारियों की मिलीभगत भी चर्चा के केंद्र में है।
नतीजतन,वजनता गहरे आक्रोश में है। भाजपा नेतृत्व सरकारी नौकरियों के इस भाई भतीजावाद व कमीशन के अलंबरदारों की टोटल सर्जरी की तैयारी में जुट गया है। धामी मंत्रिमंडल, संगठन व संघ में तब्दीली से ही भाजपा एक सीमा तक स्वंय को डिफेंड कर सकती है…छली गयी जनता भाजपा नेतृत्व व सीएम धामी के किसी बड़े फैसले के इंतजार में है….
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