बाथरूम से निकलते ही बोले नेगी दा-लेकी आणू छो बरात….
सुपरहिट घरजवै फ़िल्म की 5 अनसुनी बातें, जो दिलचस्प भी हैं और अहम भी
विपिन बनियाल/अविकल उत्तराखंड
-1986 में रिलीज़ हुई गढ़वाली फ़िल्म घरजवै जैसी सफलता आज तक किसी को नहीं मिली है। उत्तराखंडी सिनेमा के 38 साल के इतिहास में घरजवै किसी धूमकेतु की तरह है, जिसकी चमक लगातार बरकरार है। सफलता कहानी जितनी दिलचस्प है, उसी तरह उस कहानी में भी कई रंग छिपे हैं, जो फ़िल्म के निर्माण से जुड़ी है। तमाम किस्से हैं, घटनाएं हैं, जिनसे गुजर कर घरजवै को हम एक सुपरहिट फिल्म के तौर पर जान सकें हैं। पहली बात, फ़िल्म के 2 गाने, छम घुंघरू और रूमझूमा से जुड़ी है।


इन गानों की शूटिंग सुबह 10 बजे से लेकर अगली सुबह 4 बजे तक चली थी। दूसरी बात, सुपरहिट गीत चिट्ठी किले नी भेजी देवी प्रसाद सेमवाल ने पूरा लिख दिया था, लेकिन फ़िल्म की कहानी के अनुरूप संगीतकार नरेंद्र सिंह नेगी कुछ लाइनों में बदलाव चाहते थे। उन्होंने बहुत माथापच्ची की, पर बात नहीं बनी। बाद में वे बाथरूम में घुसे और वहां से निकल कर फिर फ़िल्म के हीरो बलराज नेगी से मुखातिब होकर बोले-बलराज लाइन मिल गई। ये लाइन थीं-लेके आणू छो बरात, अब तो उमर भर कु साथ। तीसरी बात, फ़िल्म के संगीतकार बतौर पहले नेगी दा को साइन नहीं किया गया था, लेकिन बाद में उनकी जरूरत महसूस करते हुए उन्हें साइन किया गया।
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चौथी बात, फ़िल्म के निर्माण के लिए चरण सिंह चौहान ने काफी मेहनत की थी, लेकिन बाद में तरन तारण धस्माना को निर्देशक बनाया गया। पांचवी बात, फ़िल्म में हीरो और टंडेल के बीच फाइटिंग सीन है। टंडेल भारी भरकम काया वाले कलाकार थे। शूटिंग के दौरान वो हीरो के ऊपर ऐसे गिरे कि फिर हीरो को उठाने के लिए बाकी लोगों को आगे आना पड़ा। फ़िल्म से जुड़ी ये सारी बातें फ़िल्म के हीरो बलराज नेगी ने धुन पहाड़ की यू ट्यूब चैनल के लिए दिलचस्प ढंग से बतायी है। विस्तृत जानकारी के लिए आप धुन पहाड़ की यू ट्यूब चैनल देख सकते हैं।


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