उत्त्तराखण्ड की विधानसभा में पैतृक संपत्ति में महिलाओं को सहखातेदार बनाने के उद्देश्य से उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमीदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (संशोधन) विधेयक 2021 सदन के पटल पर रखा गया
पंचायती राज संशोधन विधेयक पेश
शून्यकाल में आपदा पर घेरा सरकार को
सत्र शुरू होने से पहले लाठीचार्ज के विरोध में कांग्रेस विधायकों ने विधानभवन की सीढ़ियों पर धरना दिया
प्रदेश के सभी जिलों में नहीं बनेंगे बंदर के बाड़े
तेल कीमतों पर भी रखा सरकार का पक्ष
अविकल उत्त्तराखण्ड
गैरसैंण। लाठीचार्ज व महंगाई के बाद कांग्रेस ने दैवीय आपदा पर सरकार की नाकामी को लेकर हमला बोला। इस मुद्दे पर सदन में काफी गर्मागर्मी हुई। मंत्री कौशिक आपदा व अन्य विभागों की कोशिशें, डॉप्लर राडार व आपदा के अत्याधुनिक उपकरणों के इर्द गिर्द ही घूमते रहे।
शून्यकाल में कांग्रेस ने नियम 310 के तहत आपदा पर चर्चा की मांग की। स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल ने नियम 58 में चर्चा की अनुमति दी।
कांग्रेस ने हाल ही में आयी तपोवन से लेकर मुनस्यारी आपदा को लेकर सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह्रदयेश ने कहा कि राज्य सरकार ने आपदा प्रभावितों को उनके ही हैंपर छोड़ दिया है। पीड़ितों का मुआवजा भी लटकाया जा रहा है।
तपोवन आपदा में बचाव कार्य गलत दिशा में किया गया। सही दिशा में होता तो कई लोग बचाये जा सकते थे। कांग्रेस विधायकों के आरोपों के जवाब में संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि पीडितों को मानकों के हिसाब से मुआवजा दिया गया । बचाव एवम राहत कार्य समय पर किये गए। केंद्र सरकार ने पूरी सहायता की।
बुधवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले कांग्रेस विथायकों ने लाठीचार्ज के विरोध में सुबह 10 से 11 बजे तक भराड़ीसैंण विधानसभा की सीढ़ियों पर धरना दिया।
नियम 310 के तहत कांग्रेस ने आपदा को लेकर निम्नलिखित तथ्य पीठ के सामने रखे
उत्तराखण्ड का अधिकांश भाग पर्वतीय होने के कारण यहाँ भूकम्प भूस्खलन, हिमखण्डों के गिरने/पिघलने जैसी आपदायें आती रहती है। साथ ही ज्यादातर क्षेत्र वनाच्छादित होने के कारण वनों में आग लगने बारिश ज्यादा होने पर आने वाली आपदा के कारण उत्तराखण्ड में जान-माल का नुकसान होता रहता है। यहाँ की जनता को राज्य की विशिष्ट भौगोलिक संरचना के कारण प्रदेश को प्रतिवर्ष प्राकृतिक आपदाओं के कारण राज्य में प्रतिवर्ष जान-माल का नुकसान उठाना पड़ता है जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा और हाल ही फरवरी माह में तपोवन में आयी आपदायें है। उक्त दोनों आपदाओं में राज्य को जान-माल की अत्यधिक हानि उठानी पड़ी है, किन्तु प्रदेश सरकार ने भीषण आपदाओं के बाद भी कोई सबक नहीं लिया है। वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा. जिसमें प्रदेश के साथ-साथ देश के अन्य भागों से केदारनाथ दर्शन को आये हजारों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी साथ ही क्षेत्रीय लोगों का अपनी चल एवं अचल सम्पत्ति के साथ ही पशुधन एव फसलों का भी काफी नुकसान उठाना पड़ा। उक्त आपदा के कारण कई मकान, स्कूल, कालेज, अस्पताल इत्यादि भवनों एवं अन्य सामग्री भी नष्ट हो गयी| हजारों लोग लापता हुए, इसके बावजूद भी सरकार इससे सबक लेने के बजाय सडकों में निर्माण हेतु अंधाधुध पहाड़ों के कटान, पेड़ों का पातन तथा डैम निर्माण की अनुमति देती गई।
अपनी जरूरते पूरी करने के लिए प्राकृति संपदा का आवश्यकता से अधिक दोहन करना हमारे लिए विनाशक होता जा रहा है। सडको के निर्माण एवं विकास कार्यों ने जगलों को उजाडकर रख दिया है, साथ ही नदियों को उनके स्वाभाविक प्रवाह से विमुख किया जा रहा है। राज्य में कई क्षेत्रों में बिजली परियोजनायें चल रही है, खनन के लिए शांत पहाडों में लैंडमाइंस के धमाके किये जाते है जिसका सीधा असर बरसात के दिनों में भूस्खलन के रूप में प्रतिवर्ष देखने को मिलता है।
परियोजनाएं पर कार्य करने वाली कम्पनियों द्वारा नदियों में मलवा डाला जाता है जिस कारण नदियों का तल ऊँचा उठता जाता है तथा बरसात के दिनों में भूस्खलन की समस्याओं की सबसे बड़ी वजह यही है। परियोजनाओं के निर्माण के लिए बढ़ी संख्या में पेड़ काटे जाते हैं, पेड़ कटने के कारण पहाड़ों में मिट्टी की पकड़ कमजोर होती रही है, जिस कारण पहाड़ों का दरकना निरन्तर पहाडी क्षेत्रों में बना हुआ है। बाँधों के निर्माण के कारण राज्य में नदियों के बहाव की स्वच्छंदता पर खतरा मंडरा रहा है। उत्तराखण्ड में जिस रफ्तार से नदियों के बहाव को बाँधा जा रहा है, वह भविष्य में और बड़ी तबाही ला सकता है। उक्त संदर्भ में सरकार को कई बार भूवैज्ञानिको एवं केन्द्रीय संस्थाओं द्वारा चेताया गया है परन्तु सरकार द्वारा उक्त चेतावनियों की पूरी तरह अनदेखी की जा रही है, जिसका परिणाम प्रदेश की आम जनता भुगत रही है।
अतः इस तात्कालिक एवं अविलम्बनीय लोक महत्व की सूचना पर नियम 310 के अर्न्तगत सदन की सम्पूर्ण कार्यवाही स्थगित कर चर्चा की मॉग करते हैं।
नेता प्रतिपक्ष डा इंदिरा हृदयेश ,करन माहरा,काजी निजामुद्दीन, मनोज रावत,प्रीतम सिंह,हरीश सिंह,हाजी फुरकान अहमद,आदेश सिंह चौहान,गोविन्द सिंह कुंजवाल, ममता राकेश व राजकुमार ने नियम 310 के तहत आपदा पर चर्चा कराए जाने की मांग की थी।
आपदा पर कांग्रेस के सवाल का गोलमोल जवाब
जवाब में कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि उक्त विषय पर आपदा प्रबन्धन विभाग, आई0आई0टी0 रूड़की के सहयोग से राज्य में भूकम्प चेतावनी व्यवस्था का संचालन कर रहे हैं। ऐसा करने वाला उत्तराखण्ड राज्य का एक मात्र राज्य है। इससे भूकम्प की स्थिति से समय से चेतावनी पहुँचा कर जीवन की क्षति को कम किया जा सकता है इसके अतिरिक्त जनपद नैनीताल मुक्तेश्वर में डॉप्लर रडॉर की स्थापना की जा चुकी है। शीघ्र ही एक अन्य डॉप्लर राडार राज्य में स्थापित किया जायेगा। इससे हमें बादल फटने की चेतावनी समय से मिल पायेगी।
इसके अतिरिक्त मौसम सम्बन्धित चेतावनियों हेतु राज्य के 176 स्थानों में अत्याधुनिक उपकरण स्थापित किये गये हैं।
उन्होंने बताया कि आपदा प्रबन्धन विभाग समय-समय पर Wadia, IIRS, IIT, CBRI आदि संस्थानों के वैज्ञानिकों से परामर्श एवं विभिन्न कार्यो हेतु उनका सहयोग लेते हैं। वर्तमान में वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान गंगोत्री ग्लेश्यिर की निगरानी कर रहा है।
मौसम विज्ञान विभाग के द्वारा निश्चित ही समय-समय पर मौसम सम्बन्धित पूर्वानुमान व चेतावनियाँ उपलब्ध करवायी जाती हैं। जिसके आधार पर जन-समुदाय को सावधान किये जाने के साथ ही प्रशासन व प्रतिवादन बलों को तैयारी के उच्च स्तर पर रखा जाता है।
आपदा प्रबन्धन विभाग विशेषज्ञों व अनुभवी लोगों को अपने साथ जोड़ते हुये अत्याधुनिक तकनीक अपना रहा है तथा इस हेतु योजनायें तैयार की जा रही हैं एवं जनमानस को प्रशिक्षित भी किया जा रहा है।
सरकार ने पेट्रोल डीजल की कीमतों पर दी सफाई
संसदीय कार्यमंत्री के तौर पर मदन कौशिक ने बताया कि उत्तराखण्ड की दर अन्य राज्य की तुलना में कम है। इस सम्बन्ध में उन्होंने आंकड़े पेश करते हुए कहा कि पैट्रोल एवं डीजल की कीमतें वर्तमान में भारत सरकार की नीति के अनुसार प्रतिदिन के आधार पर Petroleum Planning and Analysis cell के द्वारा की गई निर्धारण के आधार पर ऑयल कम्पनियों द्वारा निर्धारित की जाती है।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा मात्र वैट लिया जाता है। आज की तिथि में पैट्रोल का रिटेल मूल्य उत्तराखण्ड राज्य में 89.71 रू0 तथा डीजल 81.97 रू0 है। जबकि पंजाब में पैट्रोल 90.21 रू0 है तथा मुम्बई में पैट्रोल 97.57 रू0 तथा डीजल 88.60 रू० है, जयपुर (राजस्थान) में पैट्रोल 97.72 रू0 तथा डीजल 89.98 रू० है।
उन्होंने बताया कि आज की तिथि में खाद्य तेल के दाम उत्तराखण्ड राज्य में अन्य राज्यों की अपेक्षा अधिक नहीं है । देहरादून में वर्तमान में सरसों का तेल 122 रू0 तथा वनस्पति घी 112 रू0 किग्रा० है जबकि लुधियाना में यह दरें सरसों का तेल 145 रू0 तथा वनस्पति घी 119 रू0 है । मुम्बई में सरसों का तेल 151 रू0 तथा वनस्पति घी 137 रू0 है ।
आज की तिथि में प्याज की दरें उत्तराखण्ड राज्य के देहरादून में 49.00 रू0 प्रति किलो जबकि लुधियाना में रू0 50.00, मुम्बई में रू0 62.00 तथा कलकत्ता में रू0 67.00 है ।
उत्तराखण्ड राज्य द्वारा राज्य उज्जवला योजना के अन्तर्गत निःशुल्क गैस कनैक्शन वितरित किये जा रहे है । अभी तक 7,761 गैस कनैक्शन वितरित किये जा चुके है तथा इस वर्ष और अधिक निशुल्क गैस कनेक्शन हेतु 1.00 करोड़ रू0 की धनराशि जनपदों को वितरित की जा चुकी है। प्रधानमंत्री उज्जवला गैस योजना के अन्तर्गत राज्य में 4,04,713 निशुल्क गैस कनैक्शन वितरित किये गये हैं।
संसदीय मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा महंगाई कम करने हेतु आवश्यक अनुसूचित वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने एवं मूल्य निर्धारण तथा किसानों को मूल्य समर्थन योजना का लाभ दिये जाने हेतु आवश्यक कदम उठाये गये हैं। अत्त्योदय अन्न योजना के तहत गुलाबी राशन कार्डधारक 1.80लाख है। मासिक नियमित देयता प्रतिकार्ड 35 कि०ग्रा० खाद्यान्न है जिसमें 02 रू0 प्रति कि0ग्रा० की दर से 13.300 कि0ग्रा0 गेहूँ एवं 03 रू0 प्रति कि0ग्रा0 की दर से 21.700 कि0ग्रा0 चावल उपलब्ध कराया जाता है एवं प्राथमिक परिवार के अन्तर्गत प्रदेश में सफेद राशन कार्ड धारक कुल संख्या 11.67 लाख हैं। जिनकी मासिक नियमित देयता प्रति यूनिट 05 कि०ग्रा० खाद्यान्न है जिनमें 02 रू0 प्रति कि0ग्रा0 की दर से 02 कि0ग्रा0 गेहूँ एवं 03 रू0 प्रति कि0ग्रा0 की दर से 03 कि0ग्रा0 चावल उपलब्ध कराया जाता है।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा माह अप्रैल, 2020 से जून, 2020 हेतु (प्रति यूनिट प्रतिमाह 05 कि0ग्रा0 चावल की दर से) 92,864.85 मी0टन चावल का आवंटन किया गया, जिसके सापेक्ष 60,50,394 लाभार्थियों को 89830.99 मी0टन चावल का वितरण किया गया।
द्वितीय चरण में माह जुलाई, 2020 से नवम्बर, 2020 हेतु (प्रति यूनिट प्रतिमाह 03 कि0ग्रा0 गेहूँ व 02 कि0ग्रा0 चावल की दर से) 94,910 मी0टन गेहूँ एवं 61,940 मी०टन चावल का आवंटन किया गया, जिसके सापेक्ष 60,03,704 लाभार्थियों को 90,467.384 मी0टन गेहूँ एवं 61,722.56 मी0टन चावल का निशुल्क वितरण किया गया।
उक्त योजना के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा माह अप्रैल, 2020 से नवम्बर, 2020 (प्रति राशन कार्ड 01 कि0ग्रा0 दाल निःशुल्क) हेतु 10,771.448 मी0टन दाल का आवंटन किया गया, जिसके सापेक्ष 13,49,309 राशन कार्डधारक परिवारों को 10,415.708 मी0टन दाल का निःशुल्क वितरण किया गया।
उन्होंने बताया कि आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत भारत सरकार द्वारा अवरूद्ध/प्रवासियों को 02 माह (मई एवं जून 2020) हेतु प्रति व्यक्ति 05 कि0ग्रा० निशुल्क चावल तथा 01 कि०ग्रा० प्रति परिवार निःशुल्क दाल का वितरण किये जाने हेतु 3097.895 मी०टन चावल व 270.524 मी0टन दाल का आवंटन किया गया, जिसके सापेक्ष 13673 प्रवासियों को 387.913 मी0 टन चावल एवं 38.925 मी0टन दाल का निःशुल्क वितरण किया गया।
राज्य खाद्य योजना के तहत लगभग 10 लाख पीला राशन कार्ड धारकों को, जिनकी मासिक नियमित देयता प्रति राशन कार्ड 7.50 कि०ग्रा० खाद्यान्न है जिनमें 8.60 रू0 प्रति कि0ग्रा० की दर से 05 कि0ग्रा0 गेहूँ एवं 11.00 रू0 प्रति कि०ग्रा० की दर से 2.50 कि0ग्रा0 चावल उपलब्ध करा जा रहा है।
कोविड-19 के दृष्टिगत लॉकडाउन की अवधि में राज्य खाद्य योजना के लगभग 10 लाख परिवारों को मंहगाई से राहत दिये जाने के उद्देश्य से 12.50 कि०ग्रा० खाद्यान्न प्रति राशन कार्ड माह अप्रैल, 2020 से जून, 2020 तक अतिरिक्त रूप से वितरित किया गया है।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री दाल पोषित योजना का शुभारम्भ करते हुये माह सितम्बर, 2019 से नवम्बर, 2020 तक लगभग 23 लाख राशन कार्डधारको परिवारों को सस्ती दरों पर उचित दर विक्रेताओं के माध्यम से 02 कि0ग्रा० दाल प्रति राशन कार्ड प्रतिमाह उपलब्ध करायी जा रही है।
सितम्बर, 2019 से माह नवम्बर, 2020 तक लगभग 23 लाख परिवारों को 2.86 लाख कु0 विभिन्न प्रकार की दालों का वितरण सुनिश्चित किया गया है।
सभी जिलों में नहीं बनेंगे बंदर बाड़े
विधायक चंदन राम दास के प्रश्न के उत्तर के जवाब में वन मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि वर्तमान में सरकार की ऐसी कोई योजना नही है कि सभी जिलों में बंदर बाड़े बनाये जाएं, उन्होंने जानकारी दी के वर्तमान में प्रदेश के तीन स्थानों चिड़ियापुर, रानीबाग, और अल्मोड़ा में बंदर बाड़े बनाए गए हैं।
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