गढ़वाली फिल्म जग्वाल व कौथिग में किया अनुराधा ने पार्श्व गायन
अनुराधा पौडवालः गढ़वाली में गाया, तो मिली खुशखबरी
विपिन बनियाल/अविकल उत्तराखण्ड
-अनुराधा पौडवाल ने अपनी आवाज से कभी दिव्य अनुभूति कराई है, तो कभी जिंदगी के तमाम अन्य रंगों के दर्शन कराए हैं। हिंदी फिल्म संगीत से लेकर भक्ति संगीत तक के अपने लंबे सफर में उन्होंने सफलता की नई इबारत लिखी है।
अनुराधा पौडवाल ने हाल ही में 27 अक्टूबर को अपना जन्मदिन मनाया है। उत्तराखंडी सिनेमा के साथ अनुराधा पौंडवाल का नाम पहले दिन से जुड़ा है। इसकी वजह, यह है कि वर्ष 1983 में आई पहली गढ़वाली फिल्म जग्वाल की वह पार्श्वगायिका रही है। इसके बाद, उन्होंने वर्ष 1986 में कौथिग फिल्म में भी पार्श्व गायन किया।
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जग्वाल के लिए संगीतकार रणजीत गजमीर के निर्देशन में उन्होंने दो गानों के जरिये उत्तराखंडी दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींचा। जग्वाल का पहला गाना विदाई का एक गीत था, जिसका फिल्म की कहानी के साथ अहम जुड़ाव था। काला डांडा बोल वाला गाना दरअसल, एक लोकगीत था, जिसे बेहतरीन ढंग से गाकर अनुराधा पौंडवाल ने एक अलग तरह का प्रभाव छोड़ा। दिलचस्प बात यह रही कि उनके साथ इस गाने में सह गायक उदित नारायण थे, जो कि अनुराधा पौंडवाल की तरह ही बॉलीवुड में पैर जमाने के लिए उस दौरान संघर्ष कर रहे थे।
पहली गढ़वाली फिल्म जग्वाल में अनुराधा पौडवाल की आवाज में दूसरा गाना सैरा बस्ग्याल बोल वाला था, जिसे नरेंद्र सिंह नेगी पहले ही अपनी कैसेट में गाकर खासी लोकप्रियता बटोर चुके थे। जग्वाल के निर्माता पाराशर गौड़ ने इस गाने को बाद में अनुराधा पौडवाल की आवाज में रिकार्ड कराया। जग्वाल के बाद अनुराधा पौडवाल ने कौथिग में एक गीत गाया। बोल थे-ब्यूखनी कू घाम। मायूसी और दर्द को बयां करने वाले गढ़वाली फिल्मों के बेहतरीन गानों में इसे प्राथमिकता से शामिल किया जा सकता है। संगीतकार नरेंद्र सिंह नेगी ने इस गीत को लिखा भी था।
गढ़वाली फिल्म में जब-जब अनुराधा पौडवाल ने पार्श्व गायन किया, तो तब-तब उनके लिए खुशखबरी भी साथ आई। अनुराधा पौंडवाल ने वर्ष 1973 से फिल्मों में गा रही थीं, लेकिन उन्हें जिस सफलता की दरकार थी, वो उन्हें 1983 में तब मिली, जबकि वह जग्वाल में गा चुकी थी। हीरो फिल्म के तू मेरा जानू है बोल वाले गाने ने अनुराधा की शोहरत को तेजी से बढ़ा दिया। गढ़वाली गाना गाने पर अनुराधा पौंडवाल के लिए यह पहली खुशखबरी थी।
इसके बाद, कौथिग फिल्म में जैसे ही उन्होंने गाया, वैसे ही वर्ष 1986 में उन्हें पहला फिल्म फेयर अवार्ड मिला, जो कि उत्सव फिल्म के गाने के लिए दिया गया था। इसके बाद उनके लिए फिल्म फेयर अवार्ड की एक तरह से झड़ी लग गई और आशिकी, दिल है कि मानता नहीं, बेटा जैसी फिल्मों के लिए उन्हें यह अवार्ड मिला। अनुराधा पौंडवाल और उत्तराखंडी फिल्म संगीत के रिश्ते पर धुन पहाड़ की यूट्यूब चैनल ने खास वीडियो तैयार किया है, जिसे आप देखकर विस्तार से जानकारी हासिल कर सकतेे हैं।
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