जनाब! रातोंरात यूँ ही नहीं बढ़ गया इंटर्न डॉक्टर्स का मानदेय

बीते रविवार 18 जुलाई को प्रदेश सरकार ने मानदेय 7500 से बढ़ाकर 17500 किया

नैनीताल उच्च न्यायालय के आदेश के बाद बढ़ा मानदेय, राज्य सरकार श्रेय लेने की कोशिश न करें -रविंद्र जुगरान

अविकल उत्त्तराखण्ड

देहरादून। लंबे समय से आंदोलित इंटर्न डॉक्टर का रातोंरात मानदेय यूँ ही नही बढ़ गया। हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार को इंटर्न डाक्टर्स का मानदेय बढ़ाना पड़ा। हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी को इंटर्न डॉक्टर्स के स्टाइपेंड को लेकर बेहतर कदम उठाने के आदेश दिए थे।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय में याचिकाकर्ता रवीन्द्र जुगरान ने बताया कि इंटर्न डाक्टरों के मानदेय में 7500 से 17,000 की वृद्धि उच्च न्यायालय उत्तराखंड के हस्तक्षेप के बाद की गई।

गौरतलब है कि राज्य आंदोलनकारी रवीन्द्र जुगरान ने कोरोना की तीसरी संभावित लहर की आशंका के चलते 18 वर्ष से कम उम्र तक के बच्चों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के बाबत जनहित याचिका दायर की थी ।

बीती 7 जुलाई को सुनवाई के दौरान रवीन्द्र जुगरान के अधिवक्ता अभिजय नेगी जी ने हाईकोर्ट में इंटर्न डाक्टरों को कम मिलने वाले स्टाइपेंड का उल्लेख किया। हाईकोर्ट के सामने अन्य राज्यों का हवाला देते हुए बताया कि अन्य राज्यों में लगभग 17,500 स्टाइपेंड दिया जा रहा है जबकी उत्तराखंड में केवल 7,500 मिलता है।

उच्च न्यायालय नैनीताल ने इंटर्न डॉक्टर्स के स्टाइपेंड पर यह आदेश दिए,

कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए इस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने के लिए कहा। और सरकार से इस विषय पर 26 जुलाई तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा। इस मामले में अगली सुनवाई 28 जुलाई को होनी निश्चित हुई है।

कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद राज्य सरकार ने अगली सुनवाई से पहले ही इंटर्न डॉक्टर्स का मानदेय बढ़ा दिया।

याचिकाकर्ता रवीन्द्र जुगरान ने कहा कि सरकार इसका श्रेय ना ले सरकार को कोर्ट के दिशा निर्देश के बाद यह निर्णय लेना पड़ा।

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