श्रीदेव सुमन विवि से संबंद्धता नहीं लेने वाले महाविद्यालयों की ग्रांट बंद करने का विरोध


कहा, आदेश वापस न लिया तो फैसले को हाईकोर्ट में देंगे चुनौती

अविकल उत्त्तराखण्ड

देहरादून। डीएवी पीजी काॅलेज देहादून के तीन पूर्व छात्रसंघ अध्यक्षों और उपाध्यक्ष ने श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय से संबंद्धता नहीं लेने वाले महाविद्यालयों की सरकारी ग्रांट बंद करने के कैबिनेट के फैसले पर आपत्ति जताते हुए इसे नियम विरुद्ध बताया। उन्होंने कहा कि सरकार को तुरंत यह फैसला वापस लेना चाहिए अन्यथा वह इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे।

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रविवार को डीएवी पीजी काॅलेज के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष विवेकानंद खंडूरी, विजय प्रताप सिंह मल्ल व रविंद्र जुगरान तथा पूर्व उपाध्यक्ष अनिल वर्मा ने एक संयुक्त पत्रकार वार्ता में कहा कि कैबिनेट ने 15 जनवरी को निर्णय लिया कि जो महाविद्यालय अनुदान की श्रेणी में हैं उन्हें अनिवार्य रुप से श्रीदेव सुमन विवि की संबद्धता लेनी होगी अन्यथा उनका अनुदान बंद कर दिया जाएगा। सरकार हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से संबद्ध किसी भी महाविद्याल को ग्रांट नहीं देगी।


पूर्व छा़त्र नेताओं ने कहा कि जुगराण की ओर से संबद्धता को लेकर एक जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई है, जिस पर तेजी से सुनवाई हो रही है। याचिका का मुद्दा यही है कि संबद्धता समाप्त नहीं हो सकती क्यूंकि संबद्धता केंद्री विश्वविद्यालय अधिनियम के द्वारा दी गई है। इसमें साफ लिखा है कि 2009 या उससे पूर्व के महाविद्यालय भविष्य में भी केंद्रीय विश्वविद्यालय से जुड़े रहेंगे।
पूर्व छात्र नेताओं ने कहा कि सरकार, प्रमुख्य सचिव उच्च शिक्षा आनंद बर्धन के 5 अक्अूबर 2020 को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को लिखे उस पत्र को छिपा रही है जिसमें उन्होंने साफ लिखा था कि सहयता प्राप्त महाविद्यालय असंबद्ध नहीं किए जा सकते, क्यूंकि इन्हें संबद्धता केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम 2009 से मिली हुई है। उनको असंबद्ध किए जाने के लिए अधिनियम में संसंद में संशोधन करना अनिवार्य है।
उन्होंने कहा कि गढ़वाल विश्वविद्यालय के अलावा पांच और ऐस विश्वविद्यालय है, जहां संबद्धता तो केंद्रीय विवि से है और सौ प्रतिशत अनुदान राज्य सरकार देती है।

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