उत्त्तराखण्ड के राजनीतिक हालात.. “आप” तो ऐसे न थे

साथी हाथ बढ़ाना साथी रे -आप

हम बोलेगा तो बोलेगा कि बोलता है-भाजपा

करवटें बदलते रहे सारी रात हम -कांग्रेस

अपनी किस्मत ही कुछ ऐसी थी कि दिल टूट गया-उक्रांद

कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन-बसपा

अविकल उत्त्तराखण्ड

देहरादून। उत्त्तराखण्ड के विधानसभा चुनाव में सिर्फ 18 महीने रह गए हैं। भाजपा एक नए टंटे में उलझ गयी है। कांग्रेस बड़ी जंग से पहले अपने खूंटे, कील-कांटे ठीक करने की कोशिशों में जुटी है।

आप का ऑक्सीमीटर आम के साथ

आम आदमी पार्टी के फिलहाल सीमित लेकिन समर्पित कार्यकर्ता समूचे प्रदेश में जनता को जोड़ने के अभियान में जुट चुके है।

एकमात्र क्षेत्रीय दल उत्त्तराखण्ड क्रांति दल व बसपा कोरोनकाल में अपनी उखड़ी सांसों को पटरी पर लाने के जुगत में है। कुल मिलाकर सितम्बर 2020 की ताजा राजनीतिक सूरतेहाल कुछ ऐसी ही उभर रही है। “आप” तो ऐसे न थे कि तर्ज पर आंखें लाख सवाल पूछ रही हैं।

बीते लगभग 10 दिन से सीएम त्रिवेंद्र रावत को अपने ही दल के कुछ विधायकों के प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष  हमलों से रूबरू होना पड़ रहा है।

रायपुर, देहरादून से भाजपा विधायक उमेश और सीएम त्रिवेंद्र रावत चुनावी अखाड़े में एक दूसरे से उलझ चुके हैं। विजय बहुगुणा गुट के विधायक उमेश शर्मा ने भी लेटर बम फोड़ कर राजनीति गर्मा दी। सब कुछ सुनियोजित रणनीति का हिस्सा लग रहा है। मुख्यमन्त्री खेमा भी चुफाल व उमेश शर्मा पर पलटवार कर रहा है। उमेश 2016 में विजय बहुगुणा के साथ भाजपा में शामिल हुए थे।

आम आदमी पार्टी की दस्तक के बाद भाजपा के कुछ विधायक अपने अपने मुद्दों को लेकर मुखर हैं। डीडीहाट से भाजपा विधायक बिशन सिंह चुफाल बुधवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा से मन की बात कह आये हैं।

कुछ तुम कहो, कुछ हम कहें। चुफाल व नड्डा ।

नतीजतन, भाजपा की सियासत के कई रंग दिखने लगे। इस बीच, विधायक पूरन फर्त्याल के बाद कांग्रेस से भाजपा में आये विधायक उमेश शर्मा काऊ का जे पी नड्डा को लिखा पत्र भी वायरल हो गया। (देखें पत्र) पत्र में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र पर विशेष तौर पर निशाना साधा गया है। दरअसल, काऊ व त्रिवेंद्र रावत एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। काऊ पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के खास समर्थक माने जाते हैं।

दूसरी ओर, त्रिवेंद्र समर्थक भी सोशल मीडिया में चुफाल के दिल्ली से मुंह लटका कर वापस लौटने की बात का बढ़ चढ़ कर प्रचार कर रहे हैं। बहरहाल, नाराज विधायकों से सरकार बातचीत कर रही है। डैमेज कंट्रोल तेजी से चल रहा है। लंबे अर्से बाद भाजपा में शुरू हुई पुरानी कहानी किस मोड़ पर थमेगी, यही देखना बाकी है। गृह मंत्री अमित शाह के भी सीएम से फोन पर वार्ता की भी खबरें चर्चा में है।
भाजपा के प्रदेश स्तरीय नेता भी अपनी अपनी गोटी चल रहे हैं लेकिन सुमडी में ताकि किसी को हवा न लगे।

भाजपा में जारी जंग के बीच आम आदमी पार्टी अपने एजेंडे में शिद्दत से जुटी दिख रही। भाजपा विधायक महेश नेगी व कुंवर प्रणव चैंपियन के मुद्दे पर उत्त्तराखण्ड से लेकर दिल्ली तक विरोध जताने के बाद कार्यकर्ता घर-घर सम्पर्क में जुट गए हैं। देहरादून में कोरोना के बढ़ते खतरे के बीच आप कार्यकर्ता ऑक्सीमीटर के जरिये जनता का ऑक्सीजन लेवल नाप रहे हैं। इसके जरिये जनता से आप का भावनात्मक रिश्ता जोड़ने की भी कोशिश हो रही हसि। उमा सिसौदिया ने यह अभियान रायपुर इलाके में शुरू किया है।

इसके अलावा आम आदमी पार्टी से जोड़ने का अभियान भी तेजी से चल रहा है। कुमायूँ में कई जगह आप से जुडो अपील वाले केजरीवाल के पोस्टर नजर आ रहे हैं। हालांकि, आप पार्टी के पास अभी न तो बेहतर संगठन ही है और न ही कोई बड़ा चेहरा। बावजूद इसके कम परिचित आप नेता व कार्यकर्ता  अपने लक्ष्य को सामने रख विभिन्न कार्यक्रम आहूत कर रहे हैं। दिल्ली में केजरीवाल अलग से उत्त्तराखण्ड के मुद्दे पर तूफानी बैठक कर ही चुके हैं।

आम आदमी पार्टी के चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद  कांग्रेस भी चुनावी मंथन  में इस कदर डूबी कि शुरुआती दौर में विधायक महेश नेगी व कुंवर प्रणव चैंपियन के मुद्दे को लपकने में थोड़ा चूक गयी। अलबत्ता 7 सितम्बर से प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह भाजपा के खिलाफ निर्णायक जंग छेड़ने जा रहे है। नेता प्रतिपक्ष डॉ इंदिरा ह्रदयेश हल्द्वानी से ही जमकर बम गोले छोड़ रही है।  पूर्व मुख्यमन्त्री हरीश रावत और संगठन के बीच कुछ कुछ तालमेल नजर आने लगा है। हमेशा की तरह हरीश रावत हर दिन नए मुद्दे को लेकर हाजिर दिख रहे। केजरीवाल से सतर्क हरीश रावत 2022 में सत्ता में आने पर बिजली पानी मुफ्त देने का वादा करते दिख रहे हैं। हालांकि, लेकिन कांग्रेस में सबसे बड़ी दिक्कत चुनावी नेतृत्व को लेकर दिख रही है। फिलहाल, आम आदमी पार्टी ने भी कांग्रेसी नेताओं को करवटें बदलने पर मजबूर कर दिया ।

इधर, 2002 के चुनाव में चार सीटें जीतने वाली उत्त्तराखण्ड क्रांति दल और सात सीट जीतने वाली बहुजन समाजवादी पार्टी फिलहाल हाशिये पर दिख रही है। 2017 के चुनाव में यह दोनों दल एक भी सीट नही जीत पाए। इस बार केजरीवाल की आप पार्टी उत्त्तराखण्ड के विधानसभा चुनाव किस्मत आजमाएगी। ऐसे में उक्रांद व बसपा को जीत के लिए कुछ नए फार्मूले तलाशने होंगे।

यह भी पढ़ें। more political stories, plss clik

उत्त्तराखण्ड भाजपा का रायता दिल्ली में फैला, नड्डा से मिले नाराज चुफाल

Total Hits/users- 30,52,000

TOTAL PAGEVIEWS- 79,15,245

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *