बसपा की याचिका से निर्दलीय विधायक की सदस्यता पर मंडराया खतरा

बसपा ने निर्दलीय विधायक उमेश के उत्तराखंड जनता पार्टी के गठन को बनाया मुख्य हथियार। विधायक को अयोग्य घोषित करने के लिए पेश किए कई तथ्य

स्पीकर के फैसले पर टिकी निगाहें। 2021 में दल-बदल कर चुके विधायक यशपाल आर्य, संजीव आर्य , राजकुमार, प्रीतम पंवार व रामसिंह कैड़ा को भी विधायकी से इस्तीफा देना पड़ा था। उमेश कुमार द्वारा नामांकन पत्र में बलात्कार का मुकदमा छुपाने के मामले में हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। खानपुर से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके रविन्द्र पनियाला ने निर्दलीय विधायक उमेश कुमार की सदस्यता निरस्त करने की मांग कर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी । अपने तर्क के समर्थन में रविन्द्र पनियाला व सुरेंद्र सिंह ने विधानसभा अध्यक्ष को सौंपी याचिका में कई सबूत पेश करते हुए दल- बदल कानून का उल्लंघन करने पर निर्दलीय विधायक की सदस्यता रद्द करने की बात कही है।

बसपा नेता रविन्द्र पनियाला गुरुवार की दोपहर अपने समर्थकों के साथ विधानसभा पहुंचे। स्पीकर ऋतु खंडूड़ी व विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल के देहरादून से बाहर होने पर उनके कार्यालय में याचिका रिसीव कराई गई।

देहरादून में नई पार्टी के गठन पर आहूत कार्यक्रम की फ़ोटो-साभार दैनिक जागरण

पनियाला ने कहा कि उत्तराखंड राज्य विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा जारी किए बिना किसी राजनीतिक दल की सदस्यता ग्रहण करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 191 (2) तथा 10 वीं अनुसूची का भी साफ साफ उल्लंघन है।

याचिका में कहा गया है कि उमेश कुमार ने निर्दलीय विधायक की हैसियत से विधानसभा चुनाव जीता। मार्च में रिटर्निंग अफसर के विजयी प्रमाण पत्र फॉर्म 21- ई    में भी उमेश कुमार को निर्दलीय विधायक ही दर्शाया गया है। यही नहीं, विधानसभा में भी उमेश कुमार की सिटिंग व्यवस्था बतौर निर्दलीय प्रत्याशी ही की गई है।

याचिका में कहा गया है कि चुनाव जीतने के बाद उमेश कुमार ने अप्रैल माह में उत्तराखंड जनता पार्टी का गठन कर स्वंय को राष्ट्रीय अध्य्क्ष घोषित कर दिया। यह समाचार कई पत्रों व टीवी चैनल में प्रसारित हुआ। यही नहीं, उमेश कुमार ने सोशल मीडिया के जरिये उत्तराखण्ड जनता पार्टी से भी जुड़ने की अपील की।

याचिका कर्ता का कहना है कि स्वयं को “उत्तराखंड जनता पार्टी” नाम की राजनीतिक पार्टी से संबद्ध कर दिया है उनका यह कृत्य साफ तौर पर देश के संविधान की सुसंगत धाराओं को तोड़ना था और साथ ही निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में प्राप्त जनादेश के साथ धोखाधड़ी भी थी।

यही नहीं, नयी पार्टी बनाने के बाद स्थानीय वेडिंग पॉइंट में प्रेस कांफ्रेंस कर नयी पार्टी के गठन की सार्वजनिक जानकारी भी दी।

पनियाला ने कहा कि ‘नवगठित राजनीतिक दल वास्तव में प्रतिवादी विधायक के चुनाव से बहुत पहले से ही अस्तित्व में था। भारत के चुनाव आयोग में “उत्तराखंड जनता पार्टी” 9 अप्रैल 2022 से पूर्व ही एक पंजीकृत पार्टी थी और 2022 के उत्तराखण्ड राज्य के विधान सभा चुनाव में भी इस दल ने भाग लिया। उत्तराखण्ड जनता पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनावों में 24-ऋषिकेश निर्वाचन क्षेत्र से श्री अनूप सिंह राणा व 11-नरेंद्रनगर निर्वाचन क्षेत्र से श्री रनबीर सिंह असवाल को पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लडाया था।

खानपुर से बसपा प्रत्याशी रविन्द्र पनियाला

याचिका में कहा गया है कि संविधान में वर्णित प्रावधानों के उल्लंघन करने के एक माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी अभी तक प्रतिवादी विधायक ने विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया है। इससे सिद्ध होता है कि वे संविधान का उल्लंघन करने के बाद भी उत्तराखण्ड राज्य की विधानसभा का सदस्य बने रहना चाहते हैं। उत्तराखण्ड राज्य विधानसभा ने भी सभी तथ्यों के सार्वजनिक हो जाने के बाद भी अभी तक प्रतिवादी विधायक को उत्तराखण्ड राज्य विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित नहीं किया है।

बसपा प्रत्याशी रविन्द्र पनियाला ने मीडिया से वार्ता में कहा कि नामांकन के समय दाखिल किए गए शपथ पत्र में उमेश कुमार ने अपने बलात्कार से जुड़े मुकदमे का जिक्र नहीं कर तथ्य छुपाए हैं। इस मुद्दे पर अभी हाईकोर्ट का फैसला आना बाकी है

गुरुवार को विधानसभा के बाहर मीडिया से बातचीत में पनियाला के साथ आये कई समर्थको ने  उमेश कुमार के बलात्कार से जुड़े मसले पर जोरदार आलोचना की। बातचीत से सम्बंधित वीडियो दोपहर से ही वॉयरल हो रहे हैं।

2021 में दल बदल कर चुके कई विधायकों ने दिए थे इस्तीफे

गौरतलब है कि 2021में भाजपा में शामिल होने के बाद प्रीतम पंवार व रामसिंह कैड़ा ने इस्तीफा दे दिया था। इन दोनों निर्दलीय विधायकों के भाजपा में शामिल होने पर अमरेंद्र बिष्ट ने विधानसभा में याचिका पेश की थी।  जबकि पुरोला से कांग्रेस विधायक राजकुमार को भी भाजपा की सदस्यता लेने के बाद विधायकी छोड़नी पड़ी थी। इससे पूर्व भाजपा विधायक यशपाल आर्य व संजीव आर्य ने कांग्रेस में शामिल होते ही विधायकी से इस्तीफा दे दिया था। इससे पहले 2016 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में गए कांग्रेस के 9 विधायकों को तत्कालीन स्पीकर कुंजवाल ने दल-बदल कानून के उल्लंघन के आरोप में अयोग्य घोषित कर दिया था।

खानपुर के निर्दलीय विधायक के नयी पार्टी बनाने के बाद विधायकी पर मंडराए खतरे के बाद सभी की निगाहें स्पीकर ऋतु खंडूड़ी के फैसले पर टिक गई है,…

स्पीकर ऋतु खंडूड़ी

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