..जब रणजीत बोले…लेकिन कांपते हाथों से शमशीर (तलवार) नहीं उठा करती


रणजीत रावत ने शेर के बहाने पुराने गुरू हरीश पर किया प्रहार

हौसले उड़ानों की बुनियाद होते हैं लेकिन कांपते हाथों से शमशीर नहीं उठा करती

अविकल थपलियाल

देहरादून। यूँ तो कांग्रेस के जलसे में ऊपरी तौर पर सब कुछ ठीक ही नजर आ रहा था। लेकिन नये नवेले कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत के एक शेर ने समूची कांग्रेस में सिहरन भर दी। शेर पर तालियां भी खूब बजी। और जब तक लोग शेर का मतलब समझते तब तक बात बहुत दूर तक निकल गयी।

बिजली गिरी ..बिजली गिरी..

कांग्रेस की राजनीति में उछले रणजीत रावत के इस शेर ने पल भर में अंदरूनी कहानी भी बयां कर दी। प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव समेत कई अन्य कांग्रेसजनों की मौजूदगी में दागे गये इस शेर के बहाने रणजीत रावत ने अपने पुराने राजनीतिक गुरू हरीश रावत पर निशाना साधा।

मंच पर पुराने गुरू हरीश रावत मौजूद थे। और गणेश गोदियाल के बहाने पूरे शो पर हरीश समर्थकों का ही बोलबाला दिख रहा था। नारे भी हरीश और गोदियाल के नाम के इर्द गिर्द ही उमड़ घुमड़ रहे थे। लंबे समय बाद कांग्रेस मुख्यालय में हरीश समर्थकों का ही दबदबा नजर आने से माहौल में अलग से तुर्शी नजर आ रही थी।

हरीश समर्थकों का उत्साह व चेहरे की रौनक देखते ही बन रही थी। कार्यकर्ताओं के हुजूम की पेशबंदी भी साफ इशारा कर रही थी कि अब उत्त्तराखण्ड कांग्रेस में हरीश ही हरीश हैं।

…जब थे साथ साथ

इस जलसे से एक दो -चार दिन पहले सांसद प्रदीप टम्टा , महेंद्र माहरा व अन्य नेता साफ कह चुके थे कि काँग्रेस का चेहरा सिर्फ हरीश रावत ही हैं। नयी टीम के गठन के बाद प्रदेश कांग्रेस चेहरे की जंग में बुरी तरह उलझ भी गयी है।
इसी जंग के बहाने सोमवार को नेता विपक्ष बने प्रीतम सिंह भी चुटकी लेने से नहीं चूके थे। और साफ कहा कि उनका चेहरा भी बुरा नहीं है। प्रीतम सिंह का यह बयान मीडिया की खूब सुर्खियां भी बना।

इस जंग का अगला पड़ाव आज का हाई प्रोफाइल कांग्रेस का समारोह भी बना। जब कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत की बोलने की बारी आई तो उन्होंने जो शेर पढ़ा वो सीधे सीधे पुराने गुरू को बींध गया।

इस शेर के बहाने रणजीत रावत ने कांग्रेसजनों को भी यह संदेश देने की कोशिश की कि उम्र के इस पड़ाव पर खड़े हरीश रावत कांपते हाथों से तलवार नही उठा सकते।

कांग्रेस की राजनीति में पूर्व सीएम हरीश रावत व रणजीत रावत का 35 साल का साथ रहा। रणजीत रावत उनके दाहिना हाथ माने जाते रहे। सीएम बने हरीश रावत के समय रणजीत रावत सत्ता के मुख्य केंद्र बिंदु थे।

इधर, 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद दोनों के बीच तलवारें खिंची। बोलचाल व दुआ सलाम तक बन्द है। सल्ट उपचुनाव के समय भी बेटे का टिकट कटने के बाद रणजीत रावत ने अपने पुराने गुरू से जुड़ी कुछ खास बातें उछाल कर प्रहार किया था।

और एक बार फिर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में रणजीत रावत शेर सुनाकर पुराने बॉस को असहज कर गए। प्रदेश से लेकर दिल्ली तक कार्यकारी अध्यक्ष के शेर पर बजी तालियों की गूंज ने कांग्रेस के गलियारे में हलचल मचा दी है। इंतजार अब गुरू के पलटवार का है…

कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत का मंच से बोले गये शेर की पंक्तियां कुछ कुछ ऐसी थी

– हौसले उड़ानों की बुनियाद होते हैं लेकिन कांपते हाथों से शमशीर (तलवार) नहीं उठा करती

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