…तो फिर सब कुछ गढ़वाल को मिलेगा ! बहुगुणा आये तो फीकी पड़ेगी निशंक-बलूनी की चमक! राज्यसभा चुनाव।

राज्यसभा चुनाव- उत्त्तराखण्ड से राज्यसभा टिकट का पैनल दिल्ली दरबार में। जल्द ऐलान संभव

पार्टी की अंदरूनी चर्चा में भाजपा कैडर को तवज्जो देने पर बल, मैदानी एंगल की भी सुगबुगाहट

अविकल उत्त्तराखण्ड

देहरादून।
आप विजय बहुगुणा को शोमैन भी कह सकते है। आप उन्हें प्रिंस भी पुकार सकते हैं। और आप उन्हें एक बेहतरीन मैनेजमेंट स्किल वाले राजनेता भी कह सकते हैं। बेशक कठिन कोरोनाकाल में पूर्व सीएम विजय बहुगुणा की कोई दस्तक उत्त्तराखण्ड में नही सुनायी दी। लेकिन अब उनके नाम की धमक एक बार फिर सुनायी दे रही है।

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पूर्व सीएम विजय बहुगुणा। मछली की आंख पर नजर। तो उत्त्तराखण्ड में नया पावर सेंटर बनेंगे बहुगुणा!

2017 के विधानसभा चुनाव के बाद लगभग उत्त्तराखण्ड की राजनीति में बहुत सक्रिय नहीं दिखने वाले बहुगुणा का नाम राज्यसभा उम्मीदवारों के पैनल में है। और कुछ जानकार लोग उत्त्तराखण्ड से उनके राज्यसभा में जाने की ताल भी ठोक रहे हैं। इस मुद्दे पर अपने ही एक मामले में उलझे कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत भी कैमरे के सामने बहुगुणा की खुलकर पैरवी करने से नहीं चूक रहे।

चूंकि, उत्त्तराखण्ड की राजनीति में विजय बहुगुणा एक बड़े प्रेशर ग्रुप के तौर पर जाने गए हैं। लगभग एक दर्जन से अधिक विधायक उनके साथ हरदम खड़े दिखाई देते रहे हैं। लेकिन राज्यसभा के लिए कांग्रेस के बागी बहुगुणा की मजबूती को देखते हर भाजपा कैडर अंदर ही अंदर सहमा हुआ है। भाजपा के रणनीतिकारों का यह मानना है कि सब कुछ कांग्रेस के बागियों को देने से मूल कैडर स्वंय को उपेक्षित महसूस करेगा।

केंद्रीय मंत्री- रमेश पोखरियाल निशंक। एक नयी चुनौति की आहट

इसके अलावा यह बात भी सामने आ रही है कि मोदी-शाह राज में पौड़ी गढ़वाल को बहुत कुछ मिला है। राजनीतिक फील्ड में सीएम त्रिवेंद्र,केंद्रीय कैबिनेट मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी सभी गढ़वाल से हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ आफ आर्मी स्टाफ विपिन रावत समेत कई अन्य हस्तियां भी गढ़वाल से है। विजय बहुगुणा भी मूलतः गढ़वाल से ही है। लगभग दो साल पहले राज्यसभा सदस्य बने अनिल बलूनी के बाद इस बार भी गढ़वाल को ही मौका देने से भाजपा के अंदर नए असंतोष को जन्म दे सकता है।

इस बार, पार्टी के अंदर मैदान को उचित प्रतिनिधित्व देने पर भी अंदरखाने चर्चा गर्म है। तर्क यह दिया जा रहा है कि लगभग तीन दर्जन विधानसभा सीट मैदानी इलाके से आती है। 2022 के चुनाव में इन सीटों पर आम आदमी पार्टी का विशेष फोकस रहेगा। ऐसे में मैदानी मूल के किसी पार्टी नेता को मौका दिया जाना चाहिए। यह नाम ऐसा हो जो क्षेत्रीय संतुलन भी साध सके।

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राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी। पारी की शुरुआत के साथ ही उलझते समीकरण

भाजपा के राजनीतिक गलियारों में यह भी मुद्दा भी गर्म है कि बहुगुणा को टिकट मिलते निशंक-बलूनी की सत्ता की चमक पर काफी असर पड़ेगा। दोनों ही गढ़वाल से हैं और बहुगुणा भी। बहुगुणा अपनी विशिष्ट शैली व मजबूत समर्थकों की वजह से निशंक-बलूनी पर भारी नजर आएंगे।ब्राह्मण राजनीति में भी बहुगुणा का कद बीस ही नजर आएगा। यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि बहुगुणा सिर्फ राज्यसभा सदस्य बन कर नहीं रहेंगे। मोदी कैबिनेट का हिस्सा भी बनेंगे। ऐसे में निशंक-बलूनी को पार्टी में तीन साल पहले कांग्रेस से आये बहुगुणा की अप्रत्यक्ष अंदरूनी चुनौती का भी सामना करना पड़ेगा।

प्रदेश भाजपा संगठन विजय बहुगुणा, महेंद्र पांडेय, पूर्व सांसद बलराज पासी, अनिल गोयल व नरेश बंसल के नाम का पैनल भेज चुकी है। हालांकि, ऊपरी स्तर पर श्याम जाजू व विजय वर्गीज का नाम  भी सुर्खियों में है। नाम का ऐलान कभी भी सम्भव है। क्या मोदी-शाह-नड्डा कांग्रेस के बागी बहुगुणा पर मुहर लगा एक बार फिर सब कुछ गढ़वाल को देकर सीएम त्रिवेंद्र के सामने नया पावर सेंटर पैदा करेंगे या फिर किसी भाजपा कैडर नेता पर विश्वास जताएंगे …..

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