भविष्य के सत्ता संघर्ष, राजनीतिक जंग और उठापटक में भी पूर्व विधायक संगठन से जुड़े सदस्यों की संभावित भूमिका भी चर्चा में.
पूर्व विधायकों की देगची में पक रही खिचड़ी की महक का इंतजार.
राज्य गठन के 22 साल के इतिहास में पहली बार टॉप नौकरशाही का चिंतन शिविर व पूर्व विधायकों का संगठन बड़ी इवेंट
अविकल थपलियाल/ समाचार विश्लेषण
देहरादून। उत्तराखण्ड के बीते 22 साल के इतिहास में नवंबर महीने में दो घटनाएं पहली बार हुई। दोनों ही घटनाएं अपने-अपने हिसाब से बड़ी है। यह दोनों इवेंट दो दिन के अंतराल में हुई। इधर, गुरुवार को मसूरी में हाई प्रोफाइल चिंतन शिविर समापन की ओर था उधर राज्य के कई पूर्व विधायक एक संगठन बनाकर विधानसभा स्पीकर ऋतु खंडूडी से अपने हितों के संरक्षण की गुहार लगा रहे थे।
पहली बड़ी घटना हालिया मसूरी चिंतन शिविर को माना जा रहा है। राज्य गठन के बाद टॉप नौकरशाह पहली बार एक छत के नीचे तीन दिन तक विभिन मसलों पर सिर जोड़ कर बैठे रहे। जिलों से लेकर सचिवालय तक वरिष्ठ नौकररशाह के बगैर सूना रहा। नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी की मौजूदगी चिंतन शिविर की गंभीरता को व्यक्त करने के लिए काफी थी। सीएम धामी समेत कैबिनेट मंत्रियों ने भी शिविर को अपने विजन से सींचने की।कोशिश की।
उत्तराखण्ड की बंजर, उर्वरा व पथरीली धरती पर मसूरी से फेंके गए बीजों पर कब तक कोंपले फूटेंगी, आने वाले दिनों में यह भी साफ हो जाएगा। (इस मुद्दे पर क्रमिक चर्चा जारी रहेगी)
फिलहाल, चर्चा दूसरी बड़ी खबर की। बीते 24 नवंबर को अपने मसलों और राज्य के सरोकारों को लेकर पूर्व विधायक लामबंद हुए। भाजपा-कांग्रेस के पूर्व विधायको दलीय मतभेद छोड़कर ‘उत्तराखण्ड पूर्व विधायक संगठन’ बनाया। राज्य गठन के 22 साल के इतिहास में ऐसे संगठन का वजूद में आना भी कई राजनीतिक कहानियों को जन्म दे रहा है। संगठन का खाका खिंचते ही तुरंत स्पीकर ऋतु खण्डूड़ी के सरकारी आवास में जाकर संरक्षण मांगना भी सत्ता के गलियारों में बहस का मुद्दा बनता जा रहा है।
बहरहाल, भाजपा सरकार में मंत्री रहे लाखीराम जोशी को पूर्व विधायक संगठन का अध्यक्ष व पूर्व विधायक भीमलाल आर्य को सचिव बनाया गया है। गौरतलब है कि 2020 में तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के विरोध की वजह से लाखीराम जोशी को निलंबित कर दिया गया था।फिर निलंबन वापस ले लिया गया था।
बरसों बरस से राजनीति में रमे इन नेताओं का कहना है कि यह एक गैर राजनीतिक संगठन है। और राज्य के ज्वलन्त मुद्दों के अलावा अपनी पेंशन-भत्ते आदि में वृद्धि को लेकर सरकार पर दबाव बनाएंगे।
उत्तराखण्ड पूर्व विधायक संगठन दिसम्बर महीने में एक सेमिनार भी आयोजित करेगा। गुरुवार को हुई बैठक में लगभग 40 पूर्व विधायक जुटे। लेकिन अध्यक्ष लाखीराम जोशी का कहना है कि लगभग 150 के आसपास पूर्व विधायकों को एक मंच पर लाया जाएगा।
जोशी काफी नाराज भी दिखे। कहा कि,
पूर्व विधायकों को कोई नहीं पूछ रहा । कोई महत्व नहीं दे रही जबकि उनमें से कई उत्तर प्रदेश में भी विधायक रहे हैं और लंबा अनुभव भी रखते हैं।
इस पूरे राजनीतिक घटनाक्रम की अहम बात यह रही कि पूर्व विथायकों ने एक मांग पत्र स्पीकर ऋतु खंडूड़ी को सौंपा। यही नहीं, स्पीकर से संरक्षण की भी गुहार लगाई। इस संरक्षण मांगने के भी कई राजनीतिक मतलब निकाले जा रहे हैं। पूर्व विधायक संगठन कब तक सीएम धामी की चौखट पर पहुंचता है,इस पर भी नजरें टिकी हुई हैं।
पूर्व विधायकों की एक संवैधानिक समिति बनाने का भी अनुरोध किया। स्पीकर ऋतु खंडूड़ी ने पूर्व विधायकों के सुझाव व मांग पर भरोसे का आश्वासन दिया।
खुफिया तंत्र से लेकर राजनीतिक समझ रखने वाले चेहरे पूर्व विधायकों के इस संगठन के निर्माण की मूल वजह जानने की कोशिश में जुटे हुए हैं। हालांकि, पूर्व विधायकों के यह कहने से कि सरकार उनको महत्व नहीं दे रही है। काफी कुछ तस्वीर साफ भी हो रही है। भविष्य के सत्ता संघर्ष, राजनीतिक जंग और उठापटक में भी पूर्व विधायक संगठन से जुड़े सदस्यों की संभावित भूमिका भी चर्चाओं के केंद्र में है। फिर भी 22 साल में पहली बार बने पूर्व विधायकों के इस संगठन ने जो खिचड़ी की देगची चूल्हे पर चढ़ाई है उसकी महक जल्द ही उत्तराखण्ड के कोने कोने में फैलती जाएगी…
पूर्व विधायक रिटायर्ड अफसरों को पुनर्नियुक्ति देने से नाराज
पूर्व विधायक संगठन के अध्यक्ष लाखीराम जोशी ने कहा कि प्रदेश में रिटायर होते ही अधिकारियों को फिर से तुरंत नियुक्ति दे दी जाती है। जो गलत परम्परा बनती जा रही है। जबकि पूर्व विधायकों की राय को कोई महत्व नहीं दिया जाता।
जोशी ने कहा कि महंगाई को देखते हुए पेंशन – भत्ते,पेट्रोल-डीजल,स्वास्थ्य ,परिवहन सुविधा बढ़ाने और पूर्व विधायकों को ब्याज मुक्त ऋण देने के अलावा उनकी सुविधाओं का ख्याल रखने की भी बात कही।
यही नहीं, पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, हीरा सिंह बिष्ट, पूर्व विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन, देशराज कर्णवाल, राजेश जुंवाठा, मातबर सिंह, शैलेन्द्र रावत, गोविंद लाल शाह, मुन्नी देवी, विजय सिंह पंवार, ओम गोपाल रावत आदि विधायकों ने भी अपनी समस्याओं के लिए संघर्ष का संकल्प किया।
कुछ पूर्व विधायक मुझसे मिले थे। पूर्व विधायक जमीनी हकीकत जानते हैं। अनुभवी पूर्व विधायकों के पास कई ऐसे सुझाव हैं, जो सदन के संचालन और मजबूती और उसकी गरिमा को बनाए रखने में योगदान दे सकते हैं।
– ऋतु खंडूड़ी भूषण, अध्यक्ष, विधानसभा
politics – So the organization of former MLAs in Uttarakhand was not formed just like that! movement increased
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