चार सदस्यीय जांच कमेटी गठित, दो महीने में देगी अपनी रिपोर्ट
मोतीचूर रेंज की जांच में सामने आए थे बड़े वित्तीय घपले
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। राजाजी टाइगर रिजर्व की रेंज में हुए घोटाले की जांच की जाएगी। जांच के लिए अपर प्रमुख वन संरक्षक की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई है। प्रमुख मुख्य वन संरक्षक जयराज ने इस संबंध में आदेश जारी किये हैं। उधर, उत्तराखंड में हिम तेंदुओं की गणना इसी महीने शुरू की जाएगी।
यह जांच कमेटी पिछले पांच साल के दौरान हुए कार्यों का भौतिक सत्यापन करने के साथ ही वित्तीय अनियमितताओं की जांचकर दो माह के अंदर अपनी रिपोर्ट देगी।
राजाजी टाइगर रिजर्व की मोतीचूर रेंज में जून 2018 में वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत पर मुख्य वन संरक्षक (एचआर) से जांच कराई गई थी। 22 मार्च 2019 की जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि मोतीचूर में लंबी दूरी की गश्त के दौरान भोजन आदि के नाम पर अत्यधिक बढ़ी दरों पर बिल बनाकर भुगतान किया गया।
रिजर्व क्षेत्र ऐसे स्थानों पर लैंटाना उन्मूलन दिखाया गया, जहां लैंटाना थी ही नहीं। यही नहीं कोटेशन व बिलों में कई गड़बड़ी मिली। उस वक्त दो रेंजरों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई थी।
एक रेंज में गड़बड़ी मिलने पर अब पूरे रिजर्व में हुए कार्यों की जांच कराई जा रही है।
उत्तराखंड में हिम तेंदुओं की गणना इसी माह
मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक के सभी वनाधिकारियों को तैयार रहने के निर्देश
देहरादून। उत्तराखंड सहित पूरे देश में हिम तेंदुओं की इसी महीने गणना शुरू की जा रही है। मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक जेएस सुहागा ने सभी वनाधिकारियों को जरूरी संसाधनों के साथ गणना की तैयारी करने के निर्देश दिए हैं।
भारतीय वन्य जीव संस्थान के सहयोग से प्रोजेक्ट सिक्योर हिमालय तथा प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड के अंतर्गत हिम तेंदुओं की गणना तीन चरणों में होगी। उत्तराखंड में जोशीमठ, बागेश्वर, गंगोत्री, गोविंद वन्य पशु विहार, केदाननाथ, नंदादेवी, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, टिहरी में हिम तेंदुओं के संभावित वासस्थलों में गिनती होनी है। पहले चरण में उपस्थिति संबंधी साक्ष्य पद चिह्न, विष्ठा, शिकार और आवाज एकत्र किए जाने हैं। दूसरे चरण में ट्रेल वॉक करके शिकार की उपस्थिति का पता करना होगा। ट्रेल वॉक प्रत्येक ग्रिड में लगभग 5 किमी होगी, जिसमें हर प्रकार का क्षेत्र सम्मिलित होगा। तीसरे चरण में कैमरे लगाए जाएंगे, जिससे प्राप्त आंकड़ों के आधार पर अंतिम गणना की जाएगी
जाड़ों में हिम तेंदुए नीचे की ओर आते हैं
गर्मियों में हिम तेंदुए अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में चले जाते हैं, जहां वन कर्मियों का जाना संभव नहीं है। शीतकाल में ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अत्यधिक बर्फबारी होने के कारण जंगली जानवर नीचे की ओर आने लगते है, इसीलिए हिम तेंदुओं की गिनती शीतकाल में की जाती है। हिम तेंदुओं के साथ ही उनके लिए उपलब्ध शिकार की भी गणना की जाती है ताकि आगमी वर्षों में होने वाले प्रभाव का अनुमान लगाया जा सके। हिम तेंदुए का मुख्य शिकार भरल होता है जिनकी घटती संख्या चिंता का विषय हो सकती है
उत्तरकाशी में बन रहा देश का पहला हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र
उत्तरकाशी के लंका में देश का पहला हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र बनाया जा रहा है। मुख्य वन संरक्षक गढ़वाल सुशांत पटनायक ने बताया कि उत्तरकाशी एवं चमोली में भालू रेस्क्यू केंद्र स्थापित करने के लिए भी शासन को प्रस्ताव भेजा जा रहा है।
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