और दून पुलिस शामली अस्पताल के रजिस्टर खंगालती रही
अब विधायक और बेबी के कानूनन डीएनए मिलान का इंतजार
डीएनए फ़ॉरेंसिक लैब के टेक्निकल मैनेजर दिनेश शर्मा ने 4 अगस्त को जारी की DNA रिपोर्ट
डीएनए जांच वसंत कुंज, दिल्ली की मान्यता प्राप्त लैब में हुई, जांच के परिणाम की पूरी जिम्मेदारी ली DFL ने
कोई भी व्यक्ति अपना डीएनए प्रोफाइल बनाने को स्वतंत्र
कानूनी पचड़े में फंसे व्यक्तियों का डीएनए कोर्ट के आदेश पर ही संभव
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। पीड़िता की बेटी और दीपक कुमार का डीएनए नही मिला। यह तथ्य 4 अगस्त को सामने आ गया था। फिर पिता के तौर पर उत्त्तराखण्ड के भाजपा विधायक महेश नेगी का नाम सामने आया।
उत्त्तराखण्ड के बहुचर्चित सेक्स स्कैंडल में बेबी और दीपक कुमार का डीएनए मिलान दिल्ली की फॉरेन्सिक लैब (DFL) में हुआ था। और दून पुलिस शामली अस्पताल के रजिस्टर उलट पुलट रही थी। यही नहीं, इस डीएनए रिपोर्ट को पीड़िता अगस्त माह में दी गयी तहरीर में संलग्न कर पुलिस को दे आयी थी। इस डीएनए रिपोर्ट के बाद यह सत्य सामने आया था कि बेबी दीपक कुमार की बेटी नही है।
4 अगस्त को डीएनए जांच का रिजल्ट आया और 7 अगस्त को दीपक कुमार और पीड़िता का पारस्परिक अलगाव हो गया। इस संबंध विच्छेद के बाद पीड़िता देहरादून अपने भाई के यहां आ गयी।इसके बाद ही पीड़िता ने कहा कि डीएनए जांच की मांग करते हुए साफ कह दिया कि उसकी बेटी का पिता विधायक महेश नेगी है। इस आरोप के बाद ही सत्ता के गलियारों में हलचल मची।
विधायक का नाम आने के बाद एक पखवाड़े पहले देहरादून पुलिस शामली जाती है। शामली के जिस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 18 मई 2020 को बेबी का जन्म होता है। वहां के रजिस्टर खंगाले जाते हैं। 27 जुलाई 2020 के दिन (यही डेट पीड़िता ने डीआईजी /एसएसपी को सौंपी तहरीर के साथ दी गयी डीएनए रिपोर्ट में बताया था। डीएनए रिपोर्ट में सम्बंधित दिल्ली की फ़ॉरेंसिक लैब का पूरा पता भी दिया हुआ है।) डीएनए जांच के लिए किसी भी प्रकार के सैंपल लिए जाने के लिखित प्रमाण नहीं मिलते। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के सीएमस देहरादून पुलिस को लिखित में यह लिख कर दे देते है कि 27 जुलाई को अस्पताल में कोई सैंपल नही लिया।
इसके अलावा दून पुलिस शामली के सिविल अस्पताल के रजिस्टर खंगालने के बाद यह बयान दे चुकी है कि अस्पताल में डीएनए जांच के कोई दस्तावेज नही मिले। जबकि हकीकत यह है कि पीड़िता ने अपनी तहरीर में DNA रिपोर्ट भी संलग्न की है। लेकिन दून पुलिस वास्तविक डीएनए जांच केंद्र के पते में न जाकर शामली सरकारी अस्पताल हो आयी और मीडिया को बता दिया कि वहां सैंपल लिए ही नही गए। जबकि डीएनए रिपोर्ट में DFL का पूरा पता व मोबाइल नंबर दिया है।
फिर अचानक बेबी की डीएनए रिपोर्ट को सवालों के कठघरे में खड़ा कर दिया जाता है। जबकि सच्चाई यह है कि कोई भी व्यक्ति निजी तौर पर अपना DNA प्रोफाइल बनाने की लिए स्वतंत्र है। अपने बच्चों के डीएनए मिलान के लिए भी कोई पाबंदी नही है।
क्या कहती है दिल्ली फ़ॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट
दिल्ली की डीएनए फॉरेंसिक प्रयोगशाला के टेक्निकल मैनेजर दिनेश शर्मा ने अपने हस्ताक्षर से यह रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में दीपक कुमार और बेबी के डीएनए मिलान की पुष्टि नही की गई है। और कहा गया है कि पिता दीपक कुमार और बेबी के जेनेटिक लक्षण आपस में नही मिलते।डीएनए रिपोर्ट में साफ लिखा है कि जांच के बाद यह पाया गया कि बेबी दीपक कुमार की जैविक पुत्री नही है।
रिपोर्ट में lab ने यह भी लिखा चूंकि उक्त सैंपल किसी कानूनी प्रक्रिया या कोर्ट के आदेश से थर्ड न्यूट्रल पार्टी ने एकत्रित नहीं किये गए हैं। लिहाजा, डीएनए सैंपल की वास्तविकता का दावा नहीं किया जा सकता। इस रिपोर्ट को कोर्ट में भी पितृत्व के दावे का कानूनी आधार भी नहीं बनाया जा सकता। आगे यह भी कहा गया है कि रिपोर्ट में जिन नाम के व्यक्तियों की जांच की गयी, वह client ने ही उपलब्ध कराए हैं। लिहाजा रिपोर्ट में दर्ज नामों की यह लैब पुष्टि नहीं करती है। मरीज के बारे में दी गयी अधूरी या गलत जानकारी के लिए भी लैब उत्तरदायी नही है।
अलबत्ता डीएनए फोरेंसिक लैब अपनी जांच के परिणामों की पूरी जिंम्मेदारी लेती हुई दिखी। यह भी जानकारी दी गयी है कि डीएनए जांच मान्यता प्राप्त (CTRF an ISO/IEC15189) प्रयोगशाला में कई गयी है। और वसंत कुंज, दिल्ली की यह लैब अपने डीएनए रिजल्ट के लिए अदालत व किसी भी जांच एजेंसी के समक्ष पूरी तरह उत्तरदायी है।
डीएनए जांच, तलाक । बेबी का पिता भाजपा विधायक महेश नेगी
पीड़िता के 18 मई को बेबी होने पर पति को शक हुआ और दिल्ली की forensic lab से बेबी और दीपक कुमार का डीएनए करवाया गया। 4 अगस्त 2020 को रिपोर्ट आ गयी । रिपोर्ट में यह पुष्ट हो गया कि बेबी का पिता दीपक कुमार नहीं कोई और है। ठीक इसी मोड़ पर 7 अगस्त को दीपक और पीड़िता आपसी समझौते से अलग हो गए। और पीड़िता 7 अगस्त के बाद देहरादून आ गयी।
इसके बाद पीड़िता ने द्वाराहाट से भाजपा विधायक महेश नेगी को बेटी का पिता बता कर सनसनी मचा दी। विधायक पत्नी रीता नेगी और पीड़िता के बीच देहरादून के होटल में बातचीत भी हुई। बात नही बनी तो रीता नेगी ने अगस्त के पहले पखवाड़े में पीड़िता, पूर्व पति समेत अन्य परिवारीजनों पर ब्लैकमेलिंग व 5 करोड़ उगाही का मुकदमा दर्ज करवा दिया। बाद में पीड़ित ने भी विधायक महेश नेगी को अपनी बेटी का पिता बताते हुए पुलिस को तहरीर दी। लेकिन पुलिस ने तब तक मुकदमा दर्ज नही किया जब तक कोर्ट ने आदेश नहीं दिये।
सितम्बर के पहले सप्ताह में नैनीताल हाई कोर्ट ने पीड़िता को गिरफ्तारी परिचय देकर विधायक महेश नेगी को करारा झटका दिया यही नहीं 5 सितंबर को देहरादून की अदालत ने पीड़िता की तहरीर पर पुलिस को मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए इसके बाद ही देहरादून पुलिस ने विधायक महेश नेगी व उसकी पत्नी रीता नेगी पर मुकदमा दर्ज किया । हालांकि, सत्ता के दबाव में इस सेक्स स्कैंडल में काफी उतार चढ़ाव भी आ रहे है। सिपाही हरिओम को विधायक द्वारा धमकाने व ऑडियो का मामला भी गरमाया हुआ है। इस मामले की जांच से जुड़े तीन अधिकारी अभी तक हटाये जा चुके हैं।
अब इस सेक्स स्कैंडल में पीड़िता के 164 के बयान और कोर्ट के आदेश पर पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए विधायक महेश नेगी और बेबी के डीएनए जांच का पूरे प्रदेश में बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है।
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सेक्स स्कैंडल-मुझ पर झूठा मुकदमा..एमएलए महेश नेगी, पत्नी व पुत्र से कभी नही मिला- दीपक-पूर्व पति, देखें पत्र
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