महाराज व शासन का फरमान, मंत्री हरक व त्रिवेंद्र हलकान

सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने अपने ही पूर्व सीएम त्रिवेंद्र काल में बनी सूर्यधार झील की गड़बड़ी का खुलासा कर हलचल मचाई तो शासन ने कैम्पा के कार्यों की जांच में तेजी दिखा वन मंत्री हरक को बैकफुट पर धकेला। इन दोनों ही मामलों में भाजपा की अंदरूनी राजनीति की अहम भूमिका मानी जा रही है। पूरे खेल को देख कांग्रेस में भी खास तेजी देखी जा रही है।

अविकल उत्त्तराखण्ड

देहरादून। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले चर्चित सूर्यधार झील व कैम्पा के तहत हुए निर्माण कार्यों की गड़बड़ी का मामला उठने से पूर्व सीएम त्रिवेंद्र व वन मंत्री हरक सिंह की मुश्किलें काफी बढ़ गयी हैं। वह मंत्री के विभाग से जुड़े मामले में शासन ने कड़े तेवर अपना लिए हैं। वहीं त्रिवेंद्र के मामले में भाजपा सरकार के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने जांच में गड़बड़ी पकड़ दोषियों के खिलाफ तुरंत एक्शन लेने का फरमान सुना दिया है।

उत्त्तराखण्ड भाजपा के दो बड़े नेताओं महकमे से जुड़े कार्यों की जांच को लेकर चुनावी सियासत गर्मा गयी है। पहला मामला वनमंत्री हरक सिंह के कार्यकाल में कैम्पा की धनराशि से हुए निर्माण कार्यों से जुड़ा है तो दूसरा पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के समय डोईवाला विधानसभा में बनी सूर्यधार झील के निर्माण कार्य में हुई धांधली से जुड़ा है। इस मामले की जांच सिंचाई व पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज लम्बे समय से करवा रहे थे।

इधर, अपर मुख्य सचिव आनंद वर्द्धन ने 11 जनवरी के पत्र केजरिए कैम्पा के सीईओ जे एस सुहाग को लैंसडॉन वन प्रभाग / कालागढ़ टाईगर वन प्रभाग के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 में कैम्पा के तहत कराये गये कार्यों में कथित अनियमितता के संबंध में अपना पक्ष रखने को कहा है। साथ ही अपर मुख्य सचिव ने कहा कि सभी सवालों का जवाब 15 जनवरी तक शासन को उपलब्ध कराया जाय। वन मंत्री की विधानसभा कोटद्वार के आस पास हुए कैम्पा कार्यों में गड़बड़ी को लेकर लैंसडौन के भाजपा विधायक दलीप रावत सीएम धामी व अपर मुख्य सचिव आनन्द वर्द्धन कॉम्प्टर लिख जॉच की मांग कर चुके हैं। यही नहीं लैंसडौन वन प्रभाग के डीएफओ दीपक सिंह भी अपने ट्रांसफरव मुख्यालय अटैचमेंट को लेकर अप्रत्यक्ष तौर पर वन मंत्री हरक सिंह पर निशाना साध चुके है।

वन मंत्री हरक सिंह रावत-अपनी सरकार और जांच ही जांच

इसके अलावा दिसंबर के आखिरी सप्ताह में अपर मुख्य सचिव आनन्द वर्द्धन भी पूर्व मुख्य वन्य जंतु प्रतिपालक व कैम्पा के सीईओ जे एस सुहाग को कारण बताओ नोटिस जारी कर हलचल बढ़ा चुके है। लगभग दो सप्ताह पहले दिए गए नोटिस में कार्बेट टाइगर जोन में अवैध निर्माण को लेकर कड़ा जवाब तलब किया था। इस मामले की जांच राष्ट्रीय व्याघ्र सरंक्षण कमेटी ने भी की थी। (देखें नीचे दिए गए link)

इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए अपर मुख्य सचिव आनन्दवर्धन ने 11 जनवरी को लिखे नोटिस में कैम्पा के सीईओ जे एस सुहाग को 15 जनवरी तक जवाब देने को कहा है। इस मुद्दे पर वन मंत्री हरक सिंह रावत से सम्पर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।

अपर मुख्य सचिव के पत्र का मूल सार

देहरादून।

अपर मुख्य सचिव आनन्द वर्धन के पत्र की मूल भाषा

प्रेषक,

संख्या- /X-2-2022-12(68)2021

आनन्द बर्द्धन,

अपर मुख्य सचिव,

उत्तराखण्ड शासन।

सेवा में

मुख्य कार्यकारी अधिकारी,

उत्तराखण्ड कैम्पा,

देहरादून।

वन अनुभाग-2

देहरादून दिनांक 11 जनवरी, 2022 विषय: लैंसडॉन वन प्रभाग / कालागढ़ टाईगर वन प्रभाग के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 में कैम्पा के तहत कराये गये कार्यों में कथित अनियमितता के संबंध में। महोदय,

कृपया उपरोक्त विषयक अपने पत्र संख्या-824/3-33(5)/2021-22 दिनांक 03.01.2022 एवं पत्र सं०-823/3-33(5)/2021-22 दिनांक 03.01.2022 का संदर्भ ग्रहण करने का कष्ट करें, जिसके द्वारा दिनांक 28.122021 को अमर उजाला समाचार पत्र में प्रकाशित खबर डीएफओ के लेटर बम से वन विभाग में मचा हडकंप के साथ-साथ शासन के पत्र सं0-2895 दिनांक 09:12.2021 एवं पत्र स०-3209 दिनांक 29.12.2021

के संबंध में वस्तुस्थिति स्पष्ट करते हुए आख्या उपलब्ध कराया गया है। उक्त के कम में मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि कृपया प्रश्नगत प्रकरण में निम्न बिन्दुओं के अनुसार सूचना / स्पष्ट आख्या प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) के माध्यम से शासन को दिनांक 15.01.2022 तक उपलब्ध कराने का कष्ट करें

  1. लैसडॉन वन प्रभाग व कालागढ़ टाईगर रिजर्व वन प्रभाग के अन्तर्गत कैम्पा योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 में किन-किन मदों / कम्पोनेन्ट हेतु कितनी-कितनी धनराशि व्यय की गयी तथा उसके सापेक्ष क्या-क्या कार्य कराये गए का विस्तृत विवरण |
  2. क्या उपरोक्त सभी कार्य भारत सरकार द्वारा अनुमोदित ए०पी०ओ० में सम्मिलित थे ?
  3. क्या उपरोक्त सभी कार्यों के निर्वहन एवं बजट के व्यय हेतु CAF Act 2016. CAF Rule 2018, FC Act 1980, Wild Life Protection Act 1972 आदि के प्रविधानों का किसी प्रकार से उल्लंघन तो नहीं हुआ
  4. उक्त कार्यों का कियान्वयन किन कार्यदायी संस्थाओं द्वारा किया गया एवं उन कार्यदायी संस्थाओं का

नामांकन किस प्राधिकारी के अनुमोदन से किया गया ? 5. उन कार्यों की वित्तीय / प्रशासनिक स्वीकृति किस स्तर से प्राप्त की गयी ?

  1. लैसडॉन वन प्रभाग में वित्तीय वर्ष 2020-21 हेतु स्वीकृत धनराशि को वित्तीय वर्ष 2021-22 में किस नियम के तहत तथा किस स्तर के प्रधिकारी के अनुमोदन से व्यय किया गया ?
  2. लैसडॉन वन प्रभाग एवं कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग के अन्तर्गत कैम्पा के तहत वित्तीय वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 में धरातल पर कराये गये कार्यों का स्वयं भौतिक सत्यापन करते हुए वर्तमान तक की विस्तृत भौतिक प्रगति रिपोर्ट, जिसमें स्वीकृत कार्यों के सापेक्ष सम्पादित कार्यों का विवरण भी स्पष्ट रूप से सम्मिलित हो।

भवदीय

संख्या- 83 / x-2-2022-12 (68) 2021 तदिनांक प्रतिलिपि निम्नलिखित को सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित –

  1. प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) वन विभाग, उत्तराखण्ड 2. प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव). उत्तराखण्ड ।

(आनन्द बर्द्धन) अपर मुख्य सचिव

पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में बनी सूर्यधार झील में वित्तीय गड़बड़ी की कहानी-

पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत- चुनाव से पहले झील के उस पार

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के समय उनकी ही डोईवाला विधानसभा में बनी सूर्यधार झील के निर्माण में भारी गड़बड़ी के सबूत मिले हैं। सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने इस मामले के दोषियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इस मामले की परत खुलते ही चुनाव से पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। गौरतलब है कि सिंचाई व पर्यटन मंत्री महाराज और पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के बीच कई मुद्दों पर मतभेद की खबरें आम होती रही हैं।

सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज

दो साल पहले शुरू हुई थी जांच:

29 जून 2017 –  तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सूर्यधार झील के निर्माण का किया ऐलान

22 दिसंबर 2017 – 50 करोड़ 24 लाख रुपये का बजट मंजूर। तेजी से काम शुरू हुआ।

27 अगस्त, 2020 – सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज पत्रकारों को साथ लेकर सूर्यधार बैराज निर्माण स्थल का निरीक्षण किया । अधिकारियों को जमकर लताड़ लगाई।और जांच के आदेश दिए।
और तीन सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया। महाराज के इस कदम से तत्कालीन सीएम की मुश्किलें बढ़ी। विरोधियों ने सूर्यधार झील के बहाने दिल्ली तंक आग लगाई।

01 दिसंबर 2020 को तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सूर्यधार झील का उदघाटन किया

31 दिसंबर 2021 को- जांच समिति ने  शासन को रिपोर्ट सौंप दी।

पर्यटन मंत्री महाराज ने सिंचाई सचिव हरिश्चंद्र सेमवाल ने इस मामले में सिंचाई विभाग के एचओडी प्रमुख अभियंता इंजीनियर मुकेश मोहन को कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

जाँच कमेटी की रिपोर्ट- सूर्यधार झील के निर्माण में मिली गड़बड़ी

जांच रिपोर्ट में पता चला कि तय बजट से 12 करोड़ रुपये अधिक खर्च किए।

बिना शासन की अनुमति के सूर्यधार झील के बैराज की ऊंचाई भी  बढ़ा दी गयी। इसमें प्रोजेक्ट से जुड़े इंजीनियरों पर गाज गिरना तय है।

यही नहीं बिना शासन की मंजूरी केतकनीकी सलाहकार की नियुक्ति भी कर दी गई

सूर्यधार झील की डीपीआर बनाने वाली कंपनी को 27 लांख रुपये का ज्यादा भुगतान का मामला भी पकड़ में आया।

डीपीआर में झील का तकनीकी परीक्षण में भी भारी लापरवाही के सबूत मिले।

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