पड़ताल-बड़ासी पुल – गले नहीं उतरा इंजीनियर जीत सिंह रावत का निलंबन

लोनिवि के आलाधिकारियों की भेदभावपूर्ण जांच पर उठे सवाल

अधिशासी अभियंता जीत सिंह रावत बड़ासी पुल पर आवागमन शुरू होने के बाद 17 अक्टूबर 2018 में देहरादून ट्रांसफर होकर आए

पुल के निर्माण में किसी प्रकार की कोई भूमिका नहीं। दो अन्य निलंबित इंजीनियर शैलेन्द्र मिश्रा व अनिल चंदोला बड़ासी पुल के निर्माण कार्य से जुड़े रहे

तीन दिन पूर्व चीफ इंजीनियर शरद कुमार बिरला की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में जीत सिंह रावत को नहीं माना गया था दोषी

कुछ महीने पूर्व हुए कौडियाला पुल हादसे में सिर्फ अटैचमेंट, निर्माण कंपनी से भी प्रतिबन्ध हटाया। जबकि इस हादसे में मजदूरों की मौत भी हुई थी


अविकल उत्त्तराखण्ड

देहरादून। करे कोय और भरे कोय। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की डोईवाला विधानसभा में 21 करोड़ की लागत से बने बड़ासी पुल में अधिशासी अभियन्ता जीत सिंह रावत के निलंबन से शासन की जांच सवालों के घेरे में आ गयी है। रविवार को ही सीएम तीरथ सिंह रावत ने इस घपले कि उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए गए थे। साफ लगता है कि सीएम को भी सही तथ्य नहीं बताए गए।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने थानो रोड पर निर्मित बड़ासी पुल की एप्रोच रोड के क्षतिग्रस्त होने का तत्काल संज्ञान लेते हुए इसके कारणों की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिये थे।
मुख्य अभियंता राष्ट्रीय राजमार्ग देहरादून ने इस संबंध में अपनी जांच आख्या दी है कि बडासी सेतु के पहुंच मार्ग से संबंधित धारक दिवाल के निर्माण में कंसलटेंट के द्वारा प्रस्तुत स्ट्रक्चरल ड्राइविंग को सक्षम अधिकारी के बिना अनुमोदन के अधिमानक निर्माण कार्य कराया गया। कार्यस्थल पर निर्मित पहुंच मार्ग पर बरसात के पानी के निकास का कोई प्रबंध नहीं रखा गया। कार्य के प्रति इस प्रकार की लापरवाही पर प्रमुख सचिव  आर.के. सुधांशु ने अधिशासी अभियंता  जीत सिंह रावत, तत्कालीन अधिशासी अभियंता  शैलेन्द्र मिश्र एवं सहायक अभियंता  अनिल कुमार चंदोला के निलंबन के आदेश जारी किए हैं।
पुल के एप्रोच रोड का बार-बार क्षतिग्रस्त होने पर मुख्यमंत्री ने असंतोष व्यक्त करते हुए इसकी तत्काल उच्च स्तरीय जांच के निर्देश दिए थे एवं दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने को कहा ।

तीन दिन पूर्व राष्ट्रीय राजमार्ग उत्त्तराखण्ड के मुख्य अभियंता शरद कुमार बिरला ने बड़ासी पुल की एप्रोच रोड ध्वस्त होने के मामले की जांच की थी। मुख्य अभियंता की जांच में अधिशासी अभियंता जीत सिंह रावत को दोषी नहीं माना गया था।

लेकिन प्रमुख सचिव आर के सुधांशु की ओर से 22 जून सोमवार को जारी किए गए आदेश में अधिशासी अभियंता जीत सिंह रावत के साथ पूर्व में रिवर्ट किये गए सहायक अभियंता शैलेंद्र मिश्र तथा सहायक अभियंता अनिल कुमार चंदोला को निलंबित कर लोनिवि के मुख्य अभियंता कार्यालय पौड़ी में अटैच कर दिया गया।

इस भेदभाव पूर्ण जाँच से यह साफ हो गया कि अधिकारियों ने कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों पर गौर ही नही किया गया। या फिर आंखें मूंद ली।

दरअसल, थानो रोड पर बने भड़ासी पुल पर उदघाटन से पूर्व ही ट्रैफिक शुरू कर दिया गया था। यह बात अक्टूबर 2018 की है।  चूंकि, अक्टूबर 2018 के प्रथम सप्ताह में तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स स्टेडियम में इन्वेस्टर्स मीट का आयोजन किया गया था। इस इन्वेस्टर्स मीट का भारी प्रचार किया गया।

चूंकि, रायपुर-थानों रोड पर कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लेना था। कई बड़े उद्योगपति भी शिरकत करने वाले थे। लिहाजा, जॉलीग्रांट एयरपोर्ट से वीवीआईपी को इसी थानों-रायपुर रोड से गुजर कर ही इन्वेस्टर्स मीट स्थल रायपुर स्पोर्ट्स स्टेडियम पहुंचना था।

इन्हीं सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए अक्टूबर 2018 के पहले सप्ताह में इसी वीवीआईपी इन्वेस्टर्स सम्मेलन की वजह से स्टेडियम से लगभग 7 किमी दूरी पर बने बड़ासी पुल को बिना उद्घाटन के ट्रैफिक के लिए खोल दिया गया था।

उस समय शैलेन्द्र मिश्रा देहरादून pwd में अधिशासी अभियंता के पद पर कार्यरत थे। शैलेन्द्र मिश्रा ही थानों रोड के तीनों पुल (21 करोड़ के बड़ासी, 9 करोड़ के भोपालपानी व 10 करोड़ के सिलवालधारा) के निर्माण कार्य को देख रहे थे। बाद में भोपालपानी पुल में दरार आने व पुश्ता ढहने के बाद शैलेन्द्र मिश्रा को 15 अक्टूबर 2018 को निलंबित करने के साथ पद से भी रिवर्ट कर दिया गया था। उस समय मिश्रा समेत चार इंजीनियरों को निलंबित किया गया था।

पूर्व सीएम हरीश रावत के समय 15 सितम्बर 2016 को बड़ासी पुल का निर्माण कार्य देहरादून की निर्माण कंपनी दून एसोसिएट को दिया गया था। 21 करोड़ की लागत का यह ठेका e टेंडरिंग के जरिये दिया गया।

सीएम तीरथ रावत ने कहा कि दोषी बख्शे नहीं जाएंगे लेकिन शासन की यह जांच सवालों के घेरे में

यहां यह तथ्य गौरतलब है कि मिश्रा के निलम्बन के बाद 17 अक्टूबर 2018 को अधिशासी अभियंता को कीर्तिनगर से ट्रांसफर कर देहरादून लाया गया। चूंकि उन्होंने मिश्रा के हटने के बाद देहरादून में join किया था। लिहाजा, अधिशासी अभियंता जीत सिंह रावत का बड़ासी पुल के निर्माण में कोई भूमिका नहीं थी।

जल्दबाजी में की गई जांच में इस खास पहलु की अनदेखी कर दी गयी। जबकि मुख्य अभियंता शरद कुमार बिरला की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में अधिशासी अभियंता जीत सिंह रावत को दोषी नहीं माना गया था। इससे साफ जाहिर है कि अधिकारी सच की तह में नही गए और भेदभावपूर्ण कार्रवाई कर दी। अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा अधिशासी अभियंता जीत सिंह रावत को भुगतना पड़ गया। अधिशासी अभियंता जीत सिंह रावत इस दंड के कतई हकदार नहीं थे।

रायपुर-थानों रोड पर बने तीन पुलों से जुड़े तथ्य

बड़ासी पुल- लागत 21 करोड़- दून एसोसिएट

भोपालपानी पुल- लागत 9 करोड़-मैसर्स शिवशंकर

सिलवालधारा पुल- लागत 10 करोड़- दून इंफ्रास्ट्रक्चर

कौडियाला पुल हादसे में सिर्फ अटैचमेंट, निर्माण कंपनी से भी प्रतिबन्ध हटाया

लगभग आठ महीने पूर्व ऋषिकेश-बद्रीनाथ राजमार्ग पर कौडियाला के करीब एक पुल की स्लैब डालते हुए पुल की शटरिंग भरभरा कर गिर गई थी। इस हादसे में कुछ मजदूर भी मारे गए थे। लेकिन इस दर्दनाक हादसे के बाद शासन ने निलंबन की कार्रवाई से बचते हुए चार इंजीनियरों को आफिस से attach कर दिया था। जबकि यह पुल चारधाम आल वेदर रोड व ऋषिकेश-,कर्णप्रयाग रेल परियोजना की खास कड़ी था।

यही नही, कंस्ट्रक्शन कंपनी राजश्यामा पर लगाया गया प्रतिबन्ध भी शासन ने हटा लिया। जबकि इस हादसे में मौतें भी हुई थी। शासन की इस भेदभावपूर्ण कार्रवाई ने कई स्तरों पर गोलमाल के खेल पर भी सवालिया निशान लगा दिए।

Pls clik

ब्रेकिंग- बड़ासी पुल घोटाले में तीन इंजीनियर सस्पेंड,पौड़ी attach

खुला भ्र्ष्टाचार – दून के बड़ासी- भोपालपानी व लच्छीवाला फ्लाईओवर – सीएम ने दिये जांच के आदेश

सीमांत चमोली के किमोठा गांव की महिलाओं ने ऐसे मनाया योग डे, देखें एक्सक्लूसिव वीडियो

सीएम तीरथ का योग, प्रेमचंद का जंगल ध्यान व रेखा का अनुलोम-विलोम, देखें वीडियो

Total Hits/users- 30,52,000

TOTAL PAGEVIEWS- 79,15,245

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *