चुनौती- प्रमोशन प्रक्रिया पर सिविल व इंटेलीजेंस इंस्पेक्टर वर्ग में पनपे मतभेद

इस मामले से जुड़ा एक पत्र भी सोशल मीडिया में वॉयरल भी हो रहा है

वॉयरल पत्र से पुलिस महकमे में चिंता बढ़ी। पुलिसकर्मियों के ग्रेड पे से उपजे हालात को देखते शासकीय प्रवक्ता सूबोध उनियाल संयम बरतने की सलाह दे चुके हैं

डिप्टी एसपी के लिए पदोन्नति प्रक्रिया शुरू होते ही सिविल और इंटेलीजेंस इंस्पेक्टरों में रार

सिविल पुलिस के इंस्पेक्टरों ने पदोन्नति प्रक्रिया में 2002 बैच के एसआई से पदोन्नत इंटेलीजेंस सेवा के इंस्पेक्टरों को शामिल करने पर जताया कड़ा एतराज

अविकल उत्त्तराखण्ड

देहरादून। पुलिसकर्मियों के ग्रेड पे को लेकर चल रही कशमकश के बाद डिप्टी एसपी के सात पदों के लिए पदोन्नति प्रक्रिया शुरू करने के साथ ही सिविल पुलिस और इंटेलीजेंस सेवा के इंस्पेक्टरों में विवादा शुरू हो गया है। सिविल पुलिस के इंस्पेक्टरों ने पदोन्नति प्रक्रिया में 2002 बैच के एसआई से पदोन्नत इंटेलीजेंस सेवा के इंस्पेक्टरों को शामिल किए जाने पर कड़ा एतराज जताया है। इस मामले से जुड़ा एक पत्र भी सोशल मीडिया में वॉयरल भी हो रहा है।


सिविल पुलिस के इंस्पेक्टरों का कहना है कि एक ही संवर्ग होने के बावजूद पुलिस मुख्यालय ने 2014 में नियम विरुद्ध इंटेलीजेंस के एसआई को पदोन्नति प्रदान कर दी। जबकि, सिवल पुलिस में 1989-90, 97-98 और 2000-02 के एसआई को अर्ह होने के बावजूद पदोन्नति प्रदान नहीं की गई। इसके अलावा चयन वर्ष, पीटीसी मैरिट, चयन परीक्षा में वरिष्ठ होने के बावजूद सिविल पुलिस के एसआई वरिष्ठता में पिछड़ गए हैं। जबकि, अन्य सभी विभागों में कैडर की वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति की जाती है।


इस विसंगति को दूर करने के लिए सिविल पुलिस के इंस्पेक्टरों ने अप्रैल 2020 में पुलिस मख्यालय में ज्ञापन भी दिया गया, लेकिन इस पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।
सिविल पुलिस के इंस्पेक्टरों का कहना है कि यदि यही स्थिति रही तो नागरिक पुलिस के एसआई अगले 15 से 20 साल तक इंस्पेक्टर और डिप्टी एसपी नहीं बन पाएंगे और वो एक ही पद से रिटायर हो जाएंगे।

नियमावली नहीं हो सकी फाइनल


शासन ने वर्ष 2018 में पुलिस इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर सेवा नियमावली बनाई थी। इसमें सब इंस्पेक्टर कि 34 प्रतिशत पद सीधी भर्ती और 33 प्रतिशत रैंकर्स और 33 प्रतिशत वरिष्ठता के आधार पर भरे जाने थे। इस बीच विभाग मे बैकलाग के पदों का मामला समाने आया। ये पद 2018 से खाली चल रहे थे।

शासन ने राय दी कि पुराने पदों पर भी यही मापदंड अपनाया जाए। मामला मंजूरी के लिए कैबिनेट के समक्ष लाया गया तो पूरी नियमावली को लेकर ही विरोध हो गया। बैठक में सभी पदों को उत्तर प्रदेश की नियमावली के अनुसार भरने की बात कही गई। उत्तर प्रदेश में 50 फीसदी पद सीधी भर्ती और 50 प्रतिशत वरिष्ठता के आधार पर भरे जाते हैं। ऐसे में नियमावली नए सिरे से बनाने के लिए कैबिनेट की उपसमिति बनाई गई, जिसकी रिपोर्ट अभी तक शासन को नहीं मिली। रिपोर्ट नहीं मिलने के कारण शासन अभी तक नियमावली को अंतिम रुप नहीं दे पाया है।

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