महिला आरक्षण पर अध्यादेश लेन की तैयारी, हाईकोर्ट में SLP दायर करेगी सरकार
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा अध्यक्ष द्वारा भर्तियो को निरस्त करने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
उन्होंने कहा कि स्पीकर ने जो प्रस्ताव शासन को भेजा है, उसको अभी से स्वीकृत मान लिया जाय। जैसे ही प्रस्ताव मिलेगा, तत्काल स्वीकृति दूँगा। उन्होंने कहा कि मैंने खुद भर्ती निरस्त करने का अनुरोध किया था। इसलिए स्पीकर ऋतु खंडूडी के प्रस्ताव को अभी से स्वीकृत मान लिया जाय। assembly speaker
गौरतलब है कि स्पीकर ने जांच रिपोर्ट मिलने के बाद शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में 250 नियुक्ति रद्द कर प्रस्ताव शासन को भेजने की बात कही थी। backdoor appoinment
महिला आरक्षण पर अध्यादेश लेन की तैयारी, हाईकोर्ट में SLP दायर करेगी धामी सरकार
दूसरी ओर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने महिला आरक्षण को यथावत रखने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दायर करने की स्वीकृति दी है। साथ ही मुख्यमंत्री ने महिला आरक्षण बनाए रखने के लिये अध्याधेश की तैयारी के भी निर्देश दिये हैं। Hiighcourt nainital
महिला आरक्षण पर हाईकोर्ट की रोक के बाद प्रदेश में विरोध के स्वर देखे जा रहे हैं। विपक्ष ज़मेट सनी जन संगठनों ने इसे मुद्दा बनाया हुआ है।
महिला आरक्षण पर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सरकार को घेरा
राज्य आंदोलनकारियों के बाद राज्य की महिलाओं को मिलने वाले आरक्षण के लाभ को उच्च न्यायालय द्वारा निरस्त किया जाना राज्य सरकार की असफलता है। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने आरोप लगाया कि, भाजपा सरकार के सैकड़ों सरकारी वकीलों की फौज कांग्रेस की सरकारों द्वारा दिए गए इन दो विशिष्ट वर्गों को मिलने वाले आरक्षण की सही पैरवी न्यायालय में नहीं कर पाई साथ सरकार ने अध्यादेश या विधेयक के माध्यम से महिला आरक्षण के लिए कानून भी नहीं बनाया।
यशपाल आर्य ने कहा कि , हाल के उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद राज्य की महिलाओं को सरकारी सेवाओं में मिल रहा 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण समाप्त हो गया है इसी तरह कुछ साल पहले राज्य आंदोलनकारियों को नौकरियों में मिलने वाला आरक्षण भी उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद समाप्त हो गया था। उन्होंने बताया कि , उच्च न्यायालय ने उस शासनादेश को निरस्त कर दिया है जिसके आधार पर राज्य की महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण का लाभ मिलता था।
आर्य ने बताया कि , कांग्रेस की एन डी तिवारी सरकार ने राज्य की महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण देने का फैसला किया था। सरकार के फैसले को जमीन पर उतारने के लिए 24 जुलाई 2006 को तत्कालीन मुख्य सचिव एनएस नपलच्याल की ओर से शासनादेश जारी कर उत्तराखंड की राज्याधीन सेवाओं, निगमों, सार्वजनिक उद्यमों, स्वायत्तशासी संस्थानों में राज्य की महिलाओं को 18 जुलाई 2001 के शासनादेश के अनुसार मिलने वाले 20 आरक्षण को बढ़ाकर 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण कर दिया था।
आर्य ने आरोप लगाया कि , कांग्रेस सरकार के इस निर्णय से तब से लेकर अब तक उत्तराखण्ड की हजारों महिलाओं को राज्य की हर सेवा में अवसर मिला लेकिन राज्य की बर्तमान भाजपा सरकार न्यायालय में राज्य की महिलाओं के हितों की रक्षा करने में असफल रही।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि , भारत के संविधान का अनुच्छेद 16(4) राज्य सरकार को राज्य के उन पिछड़े वर्गों को राज्य की सेवाओं मेंआरक्षण देने की शक्ति प्रदान करता है जिनका राज्य की सेवाओं में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है । आर्य ने बताया कि सभी जानते हैं कि उत्तराखंड की महिलाओं का राज्य की सभी प्रकार की सेवाओं में उनकी लगभग 50 प्रतिशत जनसंख्या के अनुपात में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है इसलिए कांग्रेस सरकार ने राज्य की महिलाओं को राज्य की हर सेवा में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने का निर्णय लिया था।
आर्य ने कहा कि , सरकार जल्दी ही राज्य लोक सेवा आयोग और बिभिन्न सेवा आयोगों के द्वारा हजारों पदों को विज्ञापित करने का दावा कर रही है । इसलिए सरकार अबिलम्ब राज्य की बिधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर महिलाओं को राज्य की सेवाओं में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने का कानून पास करे। ताकि राज्य की महिलाओं को राज्य की सभी सेवाओं में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का लाभ मिल सके।
नेता प्रतिपक्ष ने सुझाव दिया कि , यदि सरकार सत्र नही बुला पा रही हो तो महामहिम राज्यपाल के अद्यादेश द्वारा उत्तराखण्ड की महिलाओं को राज्य की सभी सेवाओं में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का लाभ दे बाद में इसे विधानसभा में कानून के रूप में पास करवाए।
उन्होंने चिंता व्यक्त की कि, यदि जल्दी उत्तराखण्ड की महिलाओं को राज्य की सभी सेवाओं में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का कानून नही बनाया जाता है तो राज्य की मातृ शक्ति राज्य की हजारों नौकरियों के अवसर से वंचित रह जायेगी।
उन्होंने कहा कि यदि सरकार राज्य की महिलाओं के प्रति अपने विधायी कर्तव्यों का पालन नही करती है तो कांग्रेस विधायक दल आगामी विधानसभा सत्र में उत्तराखण्ड की महिलाओं को राज्य की सभी सेवाओं में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का लाभ देने वाला प्राइवेट मेंबर बिल लाकर अपने दायित्व का निर्वहन करेगी।
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