काम पर लौटने की डेडलाइन खत्म, खतरे में हड़ताली मनरेगा कर्मियों की नौकरी

29 मई तक काम पर नही लौटे तो सोमवार के बाद लिया जाएगा एक्शन। रिक्त पदों की सूची शासन को भेजने को कहा। ढाई महीने से कर रहे हड़ताल

परियोजना समन्वयक ने शासन के निर्देशों का हवाला देते हुए मुख्य विकास अधिकारी व अपर जिला कार्यक्रम समन्वयकों को भेजे पत्र में एक्शन लेने को कहा।

मनरेगा कर्मचारी संगठन ने कमर कसी, कहा कि मांगे पूरी होने के बाद ही काम पर लौटेंगे

कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने जताया विरोध

अविकल उत्त्तराखण्ड

देहरादून। जो जो हड़ताली मनरेगा कर्मी 29 मई, शनिवार तक काम पर नही लौटेंगे, उनकी सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी जाएगी। शासन के 20 मई के निर्देश के बाद नरेगा परियोजना कोऑर्डिनेटर  मोहम्मद असलम ने सभी मुख्य विकास अधिकारी व अपर जिला कार्यक्रम समन्वयक को पत्र भेजा है। बीते ढाई महीने से अपनी मांगों को लेकर आंदोलित नरेगा कर्मियों की नौकरी पर तलवार लटक गई है। महामारी काल में सरकार ने इनके खिलाफ सख्त कदम उठाने का फैसला किया है।

पत्र में साफ लिखा है कि  29 मई 2021 तक जो भी कार्मिकों वापस काम पर नहीं लौटते हैं, उनकी सेवायें तत्काल प्रभाव से समाप्त करने के आदेश जारी करें।  इसके बाद कुल हुए रिक्त हुए पदों की पृथक-पृथक संख्या सहित अपर मुख्य सचिव / अपर राज्य कार्यक्रम समन्वयक के अवलोकनार्थ प्रकोष्ठ कार्यालय की ई-मेल पर  31 मई तक भेजने का कष्ट करें।

पत्र में कहा है कि हड़ताल कर रहे कार्मिकों द्वारा दिनांक 29 मई, 2021 तक प्रस्तावित विकल्पों का चयन करते हुए योगदान दिया जाना है।  योगदान ई-मेल के माध्यम से भी स्वीकार किया जा सकता है (यदि सम्बन्धित कार्मिक किसी कारणवश आज 29 मई को भौतिक रूप से कार्यस्थल पर उपस्थित नहीं हो पा रहा है और आगामी कार्यदिवस (सोमवार 31 मई, 2021) को कार्यस्थल पर उपस्थित हो जायेगा) । ऐसे, योगदान कर रहे कार्मिकों की सूचना संलग्न प्रारूप पर दिनांक 29 मई, 2021 को प्रकोष्ठ कार्यालय के ई-मेल mgnregauk2017@gmail.com पर उपलब्ध कराई जानी है।

हड़ताली कर्मियों ने कहा कि जारी रहेगा आंदोलन, नहीं लौटेंगे काम पर

मनरेगा कर्मचारियों के साथ संवेदनहीन व्यवहार ना करे राज्य सरकार- प्रीतम सिंह

उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने विज्ञप्ति जारी करके सरकार द्वारा जारी शासनादेश का जिसमे मनरेगा कर्मचारियों को सरकार की शर्तें न मानने पर बाहर का रास्ता दिखाया गया है उसका घोर विरोध एवं निंदा की है।


प्रीतम सिंह ने कहा की मनरेगा कर्मचारी पिछले 76 दिन से लगातार अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। पीसीसी अध्यक्ष ने बताया कि मनरेगा कर्मचारियों की जायज मांगों एवं विकास कार्यों के अवरुद्ध होने के मद्देनजर स्वयं उन्होंने मुख्यमंत्री से भेंट करके बातचीत का रास्ता अपनाते हुए समन्वय स्थापित करने का आग्रह किया था ।अपर मुख्य सचिव मनीषा पवार से भी दूरभाष पर इस संबंध में वार्ता की गई थी ।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह

प्रीतम सिंह ने कहा कि आज इस महामारी के दौर में जब प्रदेश में नौकरियों का टोटा है और रोजगार ढूंढने से भी नहीं मिल रहा है और राज्य सरकार के पास भी अपनी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए स्टाफ की कमी है ऐसे संकटकाल में राज्य सरकार को चाहिए था कि वह मनरेगा कर्मचारियों के प्रति सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करते, पर यह दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जा सकता है जिस क्रूरता के साथ बिना मनरेगा के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत के राज्य सरकार द्वारा उनके ऊपर अपनी शर्तों को थोपा गया है और उनकी मांगों पर कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया इसे तानाशाही रवैया ही कहा जा सकता है ।


प्रीतम सिंह ने कहा कि किसी भी सरकार के लिए हर संगठन की हर मांग को पूरा करना संभव नहीं होता पर इतना जरूर किया जा सकता था कि इस संवेदनशील दौर के मद्देनजर मनरेगा के प्रतिनिधिमंडल को बुलाकर उनकी जायज मांगों पर निर्णय लेकर और जो कुछ मांगे तुरंत नहीं मानी जा सकती उस पर भविष्य में निर्णय लेने का आश्वासन दिया जा सकता था।
परंतु राज्य सरकार जिस तरह का व्यवहार मनरेगा कर्मचारियों के साथ कर रही है वह अमानवीय ही कहा जा सकता है।

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