कोरोना महामारी व लॉकडौन में जनसंगठनों की वर्चुअल रैली

वर्चुअल रैली के जरिये सैकड़ों लोगों के साथ राज्य के विपक्षी दलों, जन संगठनों ने महामारी में सरकार की।विफलता का मुद्दा उठाया

अविकल उत्त्तराखण्ड

आज उत्तराखंड राज्य के इतिहास में पहली बार वर्चुअल रैली द्वारा सैकड़ों लोगों ने कोरोना महामारी और लॉक डाउन को ले कर सरकार की नाकामी और अव्यवहारिक नीतियों के खिलाफ आवाज़ उठायी।  राज्य के हर क्षेत्र और हर तबके के लोग रैली में ज़ूम एप्प से जुड़े थे। उनके साथ राज्य के सात विपक्षी दलों के नेता, विभिन्न जन संगठनों के प्रतिनिधि, वरिष्ठ बुद्धिजीवी और पत्रकार, और अन्य लोग भी शामिल रहे। 

कांग्रेस की प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने बताया कि वर्चुअल रैली में वक्ताओं ने सरकार के नीतियों और नाकाफी कदमों पर आक्रोश जताते हुए कहा कि सरकार स्वास्थ और राहत, दोनों मोर्चों पर आज तक पूरी तरह से नाकाम रही है। मरीज़ों को खुद ऑक्सीजन या दवाओं को ढूंढ़ना पड़ रहा है।  आज तक स्वास्थ कर्मियों के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है। राज्य के मज़दूर, ड्राइवर, होटल कर्मचारी, लौटे हुए युवा, और अन्य गरीब परिवार सब बेरोज़गार होने के बावजूद सरकार ने न उनको एक पैसे कि मदद की न उनकी सुरक्षा और रोज़गार के लिए कोई कदम उठाए। 

वक्ताओं ने कहा कि दो माह पहले कोविड की दूसरी लहर आने के बाद जन हस्तक्षेप के आह्वान पर प्रदेश भर में हज़ारों  लोगों ने #सरकारकीज़िम्मेदारी हैशटैग के अंतर्गत 3 मई, 8 मई और 11 मई 2021 को अपने-अपने घरों में बैठ कर जनता की माँगों को लेकर धरना दिया। 20 मई को ‘जन हस्तक्षेप’ के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से मिल कर उन्हें एक ज्ञापन सौंपा। इसके बावजूद सरकार अपनी ज़िम्मेदारियों से भाग रही है।

वर्चुअल रैली की अध्यक्षता कमला पंत, उत्तराखंड महिला मंच ने की।  राजनैतिक दलों की और से किशोर उपाध्याय, पूर्व राज्य अध्यक्ष, कांग्रेस; समर भंडारी, राज्य सचिव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी; डॉ  सत्यनारायण सचान, राज्य अध्यक्ष, समाजवादी पार्टी; इंद्रेश मैखुरी, गढ़वाल सचिव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मा – ले); PC तिवारी, अध्यक्ष उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी; राकेश पंत, राज्य संयोजक, तृणमूल कांग्रेस; उत्तराखंड क्रांति दल का सतीश काला; और उत्तराखंड क्रांति दल (डेमोक्रेटिक) के संरक्षक PC जोशी शामिल रहे। उनके साथ वरिष्ठ पत्रकार राजीव लोचन साह, वरिष्ठ इतिहासकार शेखर पाठक, पर्यावरणवादी रवि चोपड़ा, वरिष्ठ पत्रकार जगमोहन रौतेला और अन्य वरिष्ठ बुद्दिजीवी और पत्रकार भी शामिल रहे।  जन संगठनों की और से विनोद बडोनी, अशोक कुमार, राजाराम, पप्पू, सुनीता देवी और चेतना आंदोलन के अन्य प्रतिनिधि; निर्मला बिष्ट और गीता गैरोला, उत्तराखंड महिला मंच; अशोक शर्मा, राज्य सचिव, AITUC; सतीश धौलाखंडी, जन संवाद समिति; कमलेश खंतवाल, भारत ज्ञान विज्ञानं समिति; जयकृत कंडवाल, पीपल्स फोरम उत्तराखंड; चित्रा गुप्ता, जिला चाय बागान मज़दूर सभा; और अन्य संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल रहे।  उनके साथ राज्य के सैकड़ों मज़दूर, छोटे किसान, समाज सेवक और अन्य लोग भी शामिल रहे।  कार्यक्रम का संचालन चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल ने की।

वर्चुअल रैली में उठी ये मांगे

 – हर जनपद में एक कण्ट्रोल रूम बनाया जाये, जिसके पास अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन, टेस्ट और एम्बुलेंस की सही जानकारी हो। हर जनपद में  सरकार एक ही फोन नंबर चलाये, जिससे मरीज़ों को रियल टाइम में सही एवं सटीक जानकारी मिले।

– पर्वतीय क्षेत्रों में ICU व उपयुक्त स्वास्थ्य व्यवस्था हर ब्लॉक में  तुरंत उपलब्ध करायी जाये।

  • राज्य में स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंट लाइन वर्करों के वेतन को तुरंत बढ़ाया जाये।  उनको PPE किट उपलब्ध करवाने की व्यवस्था बनाई  जाये। राज्य के स्वास्थ्य कर्मियों के लिए स्वास्थ्य और जीवन बीमा योजनाओं को सरकार तुरंत लागू करे।
  • प्रत्येक ICU वार्ड में CCTV लगाया जाये, जिससे लोग कम से कम अपने मरीज को, दूर से सही देख तो सकें।
  • जिस किसी भी मरीज़ को कोरोना जैसे लक्षण आ रहे हैं, उनका इलाज़ निशुल्क होना चाहिए।
  • गांव – मौहल्ला  और वार्ड स्तर पर टीकाकरण किया जाये। छोटे कस्बों और बाजारों में विशेष टीकाकरण कैंप लगाए जाएँ।
  • बिना किसी पंजीकरण -राशन कार्ड की शर्त के, सभी लोगों को कम से कम छह महीने का राशन मुफ्त दिया जाये। सभी शहरों में  कम्युनिटी किचेन बनाये जायें। 

– पानी और बिजली के बिलों को पूरी तरह से माफ़ किया जाये।

– मनरेगा के अंतर्गत काम के दिनों को 200 दिन तक बढ़ाया जाये और मजदूरी ₹ 500 की जाये।

– शहरों और पहाड़ों में दिहाड़ी मज़दूरों और लौटे हुए उत्तराखंडियों के लिए तुरंत रोज़गार गारण्टी योजना बनाई जाये।

– राज्य में हर मज़दूर, होटल संचालक, टैक्सी संचालक, गाइड, होटल में कार्यरत कर्मचारी, स्थानीय लोक कलाकार या अन्य गरीब परिवार को न्यूनतम 7500 रुपये प्रतिमाह सहायता दी जाये।

–  निजी स्कूलों को आदेश दिया जाये कि वे कम से कम 25 प्रतिशत फीस कम करें।

–  होटलों को बिजली-पानी के बिल से मुक्ति मिले और टैक्सियों को कमर्शियल टैक्स से। उनकी ओर से लिए गए कर्जों को माफ़ किया जाये और अगर वे केंद्रीय बैंक या अन्य जगहों से लिए गए हैं तो उनके ब्याज़ का खर्चा सरकार उठाये। 
       

  • सरकार तुरंत SLBC (राज्य स्तर पर बैंकों की समिति) की बैठक बुला  कर उसके द्वारा केंद्र को प्रस्ताव भेजे कि  फ़िलहाल ऋणों की वसूली पर रोक लगायें और जब तक स्थितियाँ  सामान्य नहीं हो जाती हैं, उस अवधि को मोरटोरियम के अंतर्गत लायें और ब्याज को माफ़ करें, ऋण अदायगी की अवधि को बढ़ायें। रोजगार के लिए राज्य सरकार द्वारा दिए गए ऋणों को तत्काल माफ किया जाए।

विभिन्न राजनैतिक दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया

किशोर उपाध्याय, पूर्व राज्य अध्यक्ष, कांग्रेस पार्टी
समर भंडारी, राज्य सचिव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
डॉ SN सचान, राज्य अध्यक्ष, समाजवादी पार्टी
इंद्रेश मैखुरी, गढ़वाल सचिव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मा – ले)
PC तिवारी, अध्यक्ष, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी
राकेश पंत, राज्य संयोजक, तृणमूल कांग्रेस
सतीश काला, उत्तराखंड क्रांति दल
PC जोशी, संरक्षक, उत्तराखंड क्रांति दल (डेमोक्रेटिक)

जन संगठनों की और से

उत्तराखंड लोक वाहिनी
उत्तराखंड महिला मंच
चेतना आंदोलन
जन संवाद समिति
वन अधिकार आंदोलन
उत्तराखंड विमर्श
परिवर्तनकामी छात्र संगठन
 हिमालय बचाओ आंदोलन
गंगा बचाओ आंदोलन
उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति
जिला चाय बागान मज़दूर सभा
नौजवान भारत सभा
युगवाणी देहरादून
भारत ज्ञान विज्ञानं समिति
AITUC उत्तराखंड

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