Scam- आरबीएस की गिरफ्तारी के बाद बोले हरदा,भगवान व उत्तराखंड मुझे क्षमा करें

हरीश रावत के कार्यकाल में वीपीडीओ भर्ती घोटाला हुआ था,लेकिन 2017 से 2022 तक भाजपा सरकार में यह घोटाला दबा रहा, उठे सवाल

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की वीपीडीओ भर्ती मामले में पूर्व अध्यक्ष समेत तीन बड़े अधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद भाजपा का एक गुट सन्नाटे में है। लेकिन पूर्व सीएम हरीश रावत ने साफ कह दिया कि भगवान मुझे क्षमा करें, उत्तराखंड मुझे क्षमा करें। शायद इन संस्थाओं में नियुक्त व्यक्तियों के चयन में मुझसे गंभीर चुकें हो गई हैं! उस दौर में आने साथियों से यह भी कहा कि जांच में सहयोग करें।

पूर्व सीएम के कार्यकाल में ही यह भर्ती परीक्षा हुई थी। और घोटाला भी पकड़ लिया गया था। उस समय गिरफ्तार आरबीएस रावत के रातों रात हुए इस्तीफे पर भी टीका टिप्पणी शुरू हो गयी थी।

लेकिन 2016 से 2022 की जुलाई तक यह मामला ठंडे बस्ते में रहा। 2017 से 2022 तक त्रिवेंद्र व तीरथ सिंह रावत ( चार महीने) की सरकार में दोषियों के यह मसला दबा ही रहा। बल्कि आरबीएस रावत संघ के प्रकोष्ठ से जुड़ते हुए तीरथ रावत सरकार में प्रमुख सलाहकार भी बन गए। उठे। uksssc recruitment scam

अब धामी सरकार ने यह घोटाले की फ़ाइल खोली। लेकिन इससे पहले मामले को दबाने पर विजिलेंस पर भी सवाल उठे। आयोग के पूर्व अध्यक्ष आरबीएस रावत की गिरफ्तारी के बाद पूर्व सीएम हरीश रावत नर अपनी गलती मानते हुए सोशल मीडिया में जानकारी दी है।

हालांकि, अभी कांग्रेसकाल में 339 दारोगा भर्ती में हुई गड़बड़ी की जांच तेजी से चल रही है। इस घपले में भी बड़े लोगों पर एक्शन होने की पूरी पूरी संभावना जताई जा रही है।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की पोस्ट साभार

अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के जन्म से लेकर अब तक पतन की कहानी से मैं बहुत क्षुब्ध हूँ। बड़े अरमानों से हमने इस संस्था को और मेडिकल व शिक्षा के भर्ती चयन बोर्डों को तथा प्राविधिक शिक्षा बोर्ड को परीक्षा करवाने की अनुमति देने के निर्णयों को लिया था। मन में एक सोच थी कि सारी नियुक्तियों को प्रक्रिया सम्मत बनाया जा सके। समय पर व विधि सम्मत तरीके से नियुक्तियां हो सकें।

आयोग के पूर्व अध्यक्ष आरबीएस रावत

राज्य जिसे हमने तदर्थ/आउट सोर्स की नियुक्तियों का स्वर्ग बना दिया था। एक अनिश्चितता नौजवानों के भविष्य में स्थाई भाव बन गई थी उसको समाप्त करने के लिये इन संस्थाओं को खड़ा किया गया। मेरी भावना थी कि नौजवानों के मन में विश्वास की भावना पैदा हो सके कि हम परिश्रम करेंगे तो हमें समय पर विधि सम्मत तरीके से नियुक्तियां मिल जाएंगी। मैंने बड़े तौल करके इनके प्रथम अध्यक्ष और आयोग के सदस्यों को नियुक्त किया, मेडिकल भर्ती बोर्ड और उसके चेयरमैन को नियुक्त किया। यहां तक कि लगभग non-functional बन चुके लोक सेवा आयोग को भी फंक्शनल बनाया, परीक्षाएं करवाई।vpdo recruitment

आयोग में गड़बड़ी की शिकायत आने पर अध्यक्ष से इस्तीफा मांगा और नये अध्यक्ष की नियुक्ति व्यापक परामर्श करके की। इन दोनों अध्यक्षों के कैरियर ग्राफ को देखेंगे तो आपको भी लगेगा कि ये नियुक्ति करते वक्त हमने कोई गलती नहीं की। लेकिन व्यक्ति कहां और किस क्षण बड़ी गलती कर जाए या अकर्मण्य सिद्ध हो जाए, कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकता है। भगवान मुझे क्षमा करें, उत्तराखंड मुझे क्षमा करें। शायद इन संस्थाओं में नियुक्त व्यक्तियों के चयन में मुझसे गंभीर चूकें हो गई हैं!

मैंने उस कालखंड में अपने साथ काम करने वाले लोगों से कहा है कि हर जांच में पूरा सहयोग करें। उत्तराखंड के साथ न्याय होना चाहिए। जहां कई वर्षों से पुलिस के लोगों की पदोन्नति नहीं हुई थी, पुलिस सिस्टम में एक फर्स्ट्रेशन था। मैंने उस फर्स्ट्रेशन को समाप्त करने के लिए भी पुलिस को लेकर कई निर्णय लिए हैं। आज वह निर्णय स्क्रूटनी के दौर में हैं। मैंने उस कालखंड में मेरे साथ काम करने वाले प्रत्येक व्यक्ति से कहा है कि यदि किसी तरीके की जांच के लिए उनके सहयोग की आवश्यकता है तो वह सहयोग करें और इन जांचों में सहयोग करना हम सबका कर्तव्य है।
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