कांग्रेस गोत्र के मंत्री उलझे आपस में, महाकुम्भ घोटाले में तीरथ- त्रिवेंद्र के तेरे-मेरे कार्यकाल के चक्कर ने उलझाये पार्टी
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। सीएम तीरथ सिंह रावत राज के 100 दिन पूरे हो गए। विकास पुस्तिका बंट गयी। सीएम की बैठकें, दौरे और निरीक्षण के दौर जारी है। इन 100 दिनों में कई मर्तबा जुबान भी फिसली। अर्थ का अनर्थ हुआ। मुद्दा भी बना। बात आयी-गयी हो गयी।
पूर्व सीएम के दायित्वधारी झटके में हटे। लेकिन नयी सूची बनाने में 100 दिन गुजर गए। पार्टी कार्यकर्ताओं को इंतजार है। अलबत्ता पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह व पूर्व आईएफएस आरबीएस रावत सीएम के सलाहकार बने। कोरोना में सभी 13 जिलों का दौरा कर चुके सीएम तीरथ इन 100 दिनों में दो बार दिल्ली हो आये। दिल्ली दौरे के लाभ की गणित भी कुछ दिनों में पता चल जाएगी।
कोरोना से निपटने की मशक्कत व वात्सल्य योजना की घोषणा के बीच महाकुम्भ कोविड जॉच घोटाला सामने आ गया। इस घोटाले की तीन स्तरों पर जॉच हो रही है। गंगा जी में डुबकी लगा चुकी बड़ी मछलियां बच जाएंगी लेकिन छोटी मछली कांटे में फंस जाएंगी। उत्त्तराखण्ड की नौकरशाही अपने को बचा ही ले जाती है। एन एच घोटाले की सच्चाई किसी से छुपी नही है।
तमाम प्रशासनिक निर्णय व सीएम की घोषणाओं के बावजूद जनता को अभी भी सार्थक व सकारात्मक पहल का इंतजार है। लेकिन सीएम तीरथ रावत के इन 100 दिनों में भाजपा मंत्रियों के बीच चल रही जंग से रायता फैलता नजर आ रहा है।
यही नही, स्वंय सीएम तीरथ व पूर्व सीएम त्रिवेंद्र भी महाकुम्भ घोटाले की टाइमिंग को लेकर उलझ गए। फर्जी कोविड जांच मामले में भाजपा सरकार बुरी तरह घिर चुकी है। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र के कार्यकाल में कोविड जांच के लिए कंपनी/फर्मों का चयन किया गया। जबकि 1 लाख फर्जी कोविड जांच नये सीएम के कालखण्ड में हुई। जांच जारी है लेकिन त्रिवेंद्र-तीरथ जुबानी जंग से घोटाले को लेकर संदेह और गहरा गया है।
सीएम तीरथ कह चुके हैं कि महाकुम्भ घोटाले मेरे कार्यकाल के नहीं है जबकि पूर्व सीएम त्रिवेंद्र कह रहे है कि जांच में साफ हो जाएगा कि किसके कालखण्ड में यह सब हुआ।
इसके अलावा, जून के पहले सप्ताह में पूर्व पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के हरिद्वार में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाये जाने की बात का तत्काल शासकीय प्रवक्ता व कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने खंडन कर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। शासकीय प्रवक्ता के त्वरित खंडन से सरकार में हलचल मची। और जनता में हैरानी। हालांकि, सतपाल महाराज ने शासकीय प्रवक्ता को जवाब न देकर यही कहा कि वो अपना काम करते रहेंगे। 18 जून को पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने हरिद्वार में बैठक में अधिकारियों को कहा कि इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए जमीन का चयन करें। इस बैठक में विधायक सुरेश राठौर के अलावा अधिकारी मौजूद थे।
वन व श्रम मंत्री हरक सिंह व श्रम बोर्ड अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल के बीच जारी खींचतान त्रिवेंद्र काल से ही चल रही है। श्रम कल्याण में घोटाले आदि को हाईकोर्ट में मामला चलने के बाद इस तनातनी ने विपक्ष को बड़ा मुद्दा दिया हुआ है। त्रिवेंद्र राज में हरक सिंह के सभी करीबी बोर्ड से हटा दिए गए थे। इधर, तीरथ के सीएम बनते ही हरक सिंह ने भी बोर्ड में नई सचिव मधु नेगी चौहान को ले आये। नेहरू कालोनी में बोर्ड कार्यालय को हटाने का त्रिवेंद्र राज में लिया गया फैसला भी।पलट दिया गया। बहरहाल, हरक सिंह, सत्याल व सचिव के त्रिकोण में फंसे श्रम कल्याण बोर्ड में चल रही महाभारत पर कोई अंकुश लगता नही दिख रहा।
इस बीच, चारधाम देवस्थानम बोर्ड को भंग नहीं करने सम्बन्धी बयान के बाद पर्यटन व संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज निशाने पर हैं। सत्ता संभालते ही सीएम तीरथ सिंह रावत ने चारधाम देव स्थानम बोर्ड पर पुनर्विचार की बात कही थी। अब एक बार फिर चारधाम व अन्य मंदिरों से जुड़े तीर्थ पुरोहित आंदोलन पर उतर आए हैं। इस मुद्दे पर त्रिवेंद्र सरकार को भी भारी विरोध झेलना पड़ा था।
इधर, राज्य सरकार की करवट लेने से पहले ही राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी कभी डाँटकाली-मोहंद के बीच मोबाइल की घण्टी बजवा दे रहे हैँ। तो कभी लैंसडौन में डॉप्लर रडार लगवा दे रहे हैं। सत्ता के गलियारों में इस तरह के मुद्दों पर भी खूब चर्चा हो रही है।
इन सभी मामलों से एक बात शीशे की तरह साफ हो गयी है कि मंत्रियों के बीच परस्पर तालमेल की विशेष कमी दिख रही है। त्रिवेंद्र राज में हाशिये पर खड़े नेता तीरथ राज में लाइम लाइट में दिख रहे हैं। कांग्रेसी गोत्र के नेताओं के लिए राज्य में हुआ सत्ता परिवर्तन ज्यादा मुफीद साबित हो रहा है।
कैबिनेट मंत्री हरक सिंह ने ताजे बयान में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत पर जमकर भड़ास निकाली। कह दिया कि त्रिवेंद्र ने कर्मकार कल्याण बोर्ड की जांच करवा कर भाजपा का ही नुकसान किया। वो जिस डाली पर बैठे थे उसे ही काट रहे थे।
भाजपा के हरिद्वार में भाजपा विधायक (अब मंत्री) यतीश्वरानंद व पूर्व मंत्री मदन कौशिक के बीच विवाद अभी भी थमा नहीं है।
बहरहाल, सीएम तीरथ के 100 दिनों में पार्टी का अंदरूनी लोकतंत्र काफी मजबूत हुआ है। सभी बड़े नेताओं के बीच ठीकठाक तलवारें चल रही है। सरल छवि के सीएम तीरथ के लिए इन घघाड़ पार्टी नेताओं को करवट में लेना भी एक चुनौती बनी हुई है। शुरुआती 10 दिनों में बढ़त लेने वाले सीएम तीरथ अब अपने ही घर की लड़ाई से पार पा लें तो अगले 100 दिन थोड़ा सुधर जाएं। वरना रायता तो फैल ही चुका है ……
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