स्मृति शेष- बुड्ढे की बात और आंवले का स्वाद बाद में पता चलता है…

हिमालयी सरोकारों से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार जेपी पंवार से विख्यात पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा ने कम शब्दों में बहुत कुछ कहा-देखिये video जेपी के माउंटेन मैसेज के जरिये।

21 मई को कोरोना पीड़ित प्रसिद्ध पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा ने ऋषिकेश में अंतिम सांस ली। इसी दिन शाम को उनका अंतिम संस्कार किया गया।94 वर्षीय बहुगुणा के निधन पर पीएम मोदी समेत कई लोगों ने दुख जताया।

अविकल उत्त्तराखण्ड

पर्वत प्रेरणा के स्रोत हैं। पर्वत व्यक्ति के साहस और पराक्रम को प्रोत्साहित करते हैं। पर्वतों की मुख्य देन् मिट्टी और पानी। इसीलिए मैं हिमालय बचाने की बात कह रहा हूँ। हिमालय को भोगवादी सभ्यता के विकास से अलग रखो। मोटर सड़कें कम हो। भूस्खलन बढ़ता है। पहाड़ों के जलधारण करने की शक्ति कम होती है। इसलिए पहाड़ों में रोप वे *रज्जू मार्ग) ज्यादा से ज्यादा बनने चाहिए।

पेड़ ऐसे लगे जो भोजन व पानी दे सके।
सुरक्षा भी एक अहम सवाल है। तिब्बत तक आ गया चीन। एक कदम पर नेपाल है। पहाड़ों की गरीबी दूर होने से कोई उन्हें बहका नही सकता। इसलिए पहाड़ों के भू उपयोग ऐसा होना चाहिए जिससे लोगों को पानी और संपन्नता मिले। और एक कहावत ,,,बुड्ढे की बात और आंवले का स्वाद बाद में पता चलता है…

पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा से वरिष्ठ पत्रकार जेपी पंवार की बातचीत का वीडियो।

Pls clik-जाने माने पर्यावरणविद सुंदर लाल बहुगुणा का निधन

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