हाईकोर्ट सख्त, उत्तराखण्ड की नदियों पर मशीनों से नहीं होगा अब खनन

हाईकोर्ट ने निजी खनन व्यापारियों को फायदा पहुंचाने पर उठाये सवाल.शासन 21 दिन के अंदर शपथ पत्र में बताएं कि खनन रॉयल्टी में इतना फर्क क्यों?

अविकल उत्तराखंड

नैनीताल। अवैध खनन व रॉयल्टी को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट का एक और सख्त फैसला सामने आया है। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आर सी खुल्बे की खंडपीठ ने प्रदेश की नदियों के खनन में लगी सभी मशीनों को तत्काल प्रभाव से जब्त करने के आदेश दिया। इस आदेश के बाद खनन लाबी में प्रशासन व हड़कंप मच गया।

हाईकोर्ट ने तत्काल प्रभाव से समस्त नदियों और तटों में मशीनों से खनन पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने  सभी 13 जिलों के डीएम को आदेश दिया कि नदियों से खनन काम मे लगी सभी मशीनों को जब्त करें। सभी जिलाधिकारियों जिला खनन टास्क फोर्स के अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी सम्भाल रहे हैं।

हल्द्वानी निवासी गगन पाराशर की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने सोमवार को यह आदेश दिया। गौरतलब है कि राज्य मरण अवैध खनन एक बड़ा मुद्दा रहा है। और खनन माफिया ,अधिकारियों और नेताओं के गठजोड़ से सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व की हानि हो रही है।

न्यायालय ने सचिव खनन को कहा कि खनन रॉयल्टी के दामों में भारी अंतर से निजी खनन व्यापारियों को क्यों लाभ पहुंचाया जा रहा है?

खंडपीठ ने सरकार से पूछा है कि सरकारी खनन दरों में 31 रुपया प्रति क्विंटल है जबकि प्राइवेट खनन कारोबारी के लिए 12 से 19 रुपया प्रति क्विंटल है। कोर्ट ने सवालिया लहजे में पूछा कि रॉयल्टी की दरों में ये फर्क निजी खनन कारोबारियों को फायदा देने के लिए तो नहीं किया गया।

कोर्ट ने यह भी पूछा है कि नियमानुसार माइनिंग में हाथ से चुगान की अनुमति है, जिसमें सरकार तो हाथ से चुगान ही करा रहा है लेकिन निजी खनन कारोबारी मशीनों से खनन करा रहे हैं, ऐसा क्यों हो रहा है।

हाईकोर्ट ने सचिव खनन को व्यक्तिगत एफिडेविट जमा कर 21 दिनों में माइनिंग की रॉयल्टी में भारी अंतर को स्पष्ट करने को कहा है।

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