मुझे अभी तक जांच रिपोर्ट नहीं मिली- पंकज पांडे, आयुष सचिव
सीएम के निर्देश के बाद शासन में अटकी आयुर्वेद विभाग के डॉ राजेश अडाना की डिग्रियों की जांच सम्बन्धी फाइल.
अपर सचिव विजय जोगदंड को देनी है फाइनल रिपोर्ट
अविकल उत्तराखण्ड
देहरादून। उत्तराखण्ड आयुर्वेद विभाग से जुड़े एक बहुचर्चित मामले में शासन स्तर की जांच में देरी ने क्यों सवालों को जन्म दे दिया है। सीएम धामी के निर्देश पर शुरू हुई शासन स्तर की जॉच अभी तक सार्वजनिक नहीं हुई है।
फरवरी से सुर्खियों में आया यह मामला नवंबर तक भी अंजाम तक नहीं पहुंचा। केस आयुर्वेद विवि के चिकित्सक डॉ राजेश अड्डाना की डिग्रियों के फर्जीवाड़े से जुड़ा है।
शिकायत यह थी कि –
राजेश कुमार पुत्र श्री नगीना सिंह ने फर्जी तरीके से एक ही सत्र – 1999 में कानपुर विश्वविद्यालय से बीएएमएस अंतिम वर्ष व गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार से सत्र 1999 में एक वर्षीय पीजी डिप्लोमा इन योगा दोनों ही संस्थागत छात्र के रूप में किया। यानी कि एक ही साल में दो कोर्स पूरे किए।
इसमें गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर से पत्र 10 फरवरी को भेजे पत्र में प्राचार्य ऋषिकुल से जाँच के लिये कहा था।Aayurved university
शिकायत के बाद क्या हुआ
14 फरवरी, 2023 को हुई शिकायत के बाद शासन ने हकीकत जानने लिए 22 फरवरी को विभिन्न विश्वविद्यालयों को पत्र भेज दिया। कानपुर विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक ने आरोपों की पुष्टि करते हुये 13 अप्रैल 2023 को आयुष सचिव को भेजे पत्र में कहा कि वर्ष 1999 में राजेश अडाना बी०ए०एम०एस० तृतीय वर्ष का रेगुलर छात्र था । Fake degree case
इसके बाद शासन ने 11 अप्रैल को कुलपति गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार को रिमाइंडर भेजते हुए राजेश अडाना द्वारा वर्ष 1999 में रेगुलर छात्र के रूप में एक वर्षीय पी०जी० डिप्लोमा इन योगा करने के आरोपों के संबंध में जानकारी चाही।
कुलसचिव गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार ने 20 अप्रैल 2023 को शासन को भेजे पत्र में आरोपों की पुष्टि कर बताया कि राजेश अडाना ने वर्ष 1999 में रेगुलर छात्र के रूप में एक वर्षीय पी०जी० डिप्लोमा इन योगा किया गया है ।
शासन के फैसले का इंतजार ?
गुरुकुल कांगड़ी विवि व शाहू जी महाराज कानपुर विवि के पत्र व डॉ राजेश अड्डाना से जुड़ी मार्कशीट समेत अन्य दस्तावेज शासन तक पहुंच चुके हैं। अपर सचिव विजय जोगदंड को फाइनल जांच कर अपनी रिपोर्ट देनी है। लेकिन कई महीने बीतने के बाद भी अपर सचिव की रिपोर्ट सचिव पंकज पांडे तक नहीं पहुंची।
इस बाबत आयुष सचिव पंकज पांडे का कहना है कि उन्हें जॉच रिपोर्ट नहीं मिली। जबकि जांच रिपोर्ट में हो रही देरी पर जब अपर सचिव विजय जोगदंड से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।
एक ही साल संस्थागत छात्र के रूप में कानपुर व हरिद्वार विवि से डिग्री लेने के इस बहुचर्चित मामले में शासन का रुख साफ नहीं होने से सीएम धामी के कड़े निर्देश की भी धज्जियां उड़ा रही है।
डॉ राजेश अड़ाना के डिग्री मामले से पूर्व राज्य सरकार कई फर्जी शिक्षकों व दारोगाओं पर कड़ी कार्रवाई कर चुकी है लेकिन इस मामले में स्पष्ट व प्रमाणिक तथ्यों के बावजूद शासन के मौन पर कई सवाल उठने लगे हैं।
शिकायत जो की गई
1. राजेश कुमार पुत्र श्री नगीना सिंह द्वारा एक ही शैक्षिक सत्र वर्ष-1999 में दो विश्वविद्यालयों से संस्थागत नियमित Regular Student के रूप में पंजीकरण कराकर उपाधि प्राप्त करना पूर्णतः अविधिक था। इसलिये बी.ए.एम.एस. (सी.एस.एम. कानपुर विश्वविद्यालय से बी.ए.एम.एस. अंतिम वर्ष 1999 में अनुक्रमांक – 4210 नियमित संस्थागत Regular Student हैं) व एक वर्षीय पी.जी. डिप्लोमा इन योग (गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार से अनुक्रमांक- 2274 नामांकन संख्या-980596 नियमित संस्थागत् Regular Student हैं) दोनों ही उपाधि अवैध व निरस्त करने योग्य है तथा विधिमान्य नहीं है। बी.ए.एम.एस. के आधार पर प्राप्त की गई आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारी पद की नियुक्ति आदेश प्रथम नियुक्ति तिथि / जारी आदेश की तिथि से निरस्त करने योग्य है)।
2. इनके द्वारा वर्ष-1998 में एक वर्षीय पी. जी. डिप्लोमा इन योग में प्रवेश हेतु गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार में स्नातक की कौन सी उपाधि प्रस्तुत की गई क्योंकि उपलब्ध अभिलेखानुसार बी. ए. एम. एस. की उपाधि वर्ष 2000 की है। बिना स्नातक उतीर्ण किये परास्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेश नहीं लिया जा सकता है, अतः यह उपाधि भी विधिमान्य नहीं है।
3. इनके द्वारा अपनी अनिवार्य इंटर्नशिप वर्ष 2002 में पत्रांक- 1056 / गुरूकुल / 2002-2003 दिनांक- 06.08.2002 पूर्ण करना दर्शाया गया है परन्तु बी.ए. एम.एस. की उपाधि वर्ष 2000 के दीक्षांत समारोह में प्रदान किया जाना प्रस्तुत है। बिना अनिवार्य इंटर्नशिप पूर्ण किये हुये उपाधि प्रदान नहीं की जा सकती है, यह नियमतः असम्भव है व विधिमान्य नहीं है।
4. इनके द्वारा भारतीय चिकित्सा परिषद्, उत्तरांचल में उक्त अभिलेखों को प्रस्तुत कर निबंधन संख्या- यू.ए.000287 निबंधन तिथि- 12.09.2005 जन्मतिथि- 07.03.1967 प्राप्त किया गया, जो बिना किसी सत्यापन के दिया जाना अविधिक था तथा निरस्त किये जाने योग्य है। इससे पूर्व इनके द्वारा वर्ष 2000 में भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तर प्रदेश में उक्त फर्जी अभिलेखों को प्रस्तुत कर निबंधन संख्या-47761 प्राप्त किया गया था. इसे भी निरस्त करने की आवश्यकता है. तद्नुसार विधिमान्य नहीं है।
5. इनके द्वारा ऋषिकुल राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज हरिद्वार (एच.एन.बी. गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर) से उक्त बी.ए.एम.एस. के आधार पर एम.डी. आयुर्वेद पाठ्यक्रम किया गया है एम.डी. आयुर्वेद की उपाधि भी निरस्त करने योग्य है और विधिमान्य नहीं है।
6. डॉ० राजेश कुमार अदाना द्वारा गलत जानकारी प्रस्तुत कर व सही तथ्यों को तत्समय छुपाकर एवं प्राधिकारियों को गुमराह कर आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारी की नियुक्ति प्राप्त की गई थी। जबकि इनके द्वारा राजकीय सेवा में योगदान प्रस्तुत करते समय शपथ-पत्र प्रस्तुत किया गया था कि किसी भी स्तर व अवसर पर सही तथ्य प्रकाश में आने पर नियुक्ति स्वतः निरस्त समझी जायेगी। राजकीय सेवा में प्रथम नियुक्ति को अवैध विधि शून्य मानते हुये कार्यवाही की जाये।
पीजी डिप्लोमा योगा, गुरुकुल कांगड़ी विवि हरिद्वार का अंकपत्र 1999
सेवा में
श्री गजेन्द्र सिंह कफलिया उपसचिव उत्तराखण्ड शासन, देहरादून
विषयः राजेश कुमार पुत्र श्री नगीना सिंह द्वारा पी०जी० डिप्लोगा (योग) के संदर्भ में।
महोदय,
आयुष एवं आयुष शिक्षा अनुभाग, देहरादून, दिनांक 11 अप्रैल 2023 के आलोक में सूक्ष्य है कि श्री राजेश कुमार पुत्र श्री नगीना सिंह को सन् 1999 में गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के योग विज्ञान विभाग से पी०जी० डिप्लोमा (योग) में प्रवेश नाक के आध पर दिया गया था।
छत्रपति साहू जीमहाराज कानपुर विवि BAMS मार्कशीट
सचिव, आयुष एवं आयुष शिक्षा अनुभाग, उत्तराखण्ड शासन।
विषय :-
श्री राजेश कुमार पुत्र श्री नगीना सिंह के शैक्षिक अभिलेखों (बी०ए०एम०एस०) के सत्यापन के सम्बन्ध में।
महोदय/ महोदया,
कृपया उपर्युक्त विषयक पत्रांक 229/XL-1 / 2023 दिनांक 22/02/2023 का संन्दर्भ ग्रहण करने का कष्ट करें
उक्त पत्र के माध्यम से 13 बिन्दुओं में बिन्दु संख्या 04.05 य 06 इस विश्वविद्यालय से सम्बन्धित है। तदुक्रम में बिन्दु संख्या 04, 05 व 06 की आख्या अभिलेखानुसार निम्नवत् है।
आरोप पत्र का जवाब-आयुर्वेद निदेशक डॉ अरुण त्रिपाठी ने शासन को भेजे जवाब में कहा कि 1999 में ली गयी BAMS और योगा की डिग्री
शासन में आयुष सचिव पंकज पांडे-/अपर सचिव विजय जोगदंड की ओर से 13 अप्रैल 2023 को भेजा गया आरोप पत्र
शासन का 11 अप्रैल का पत्र-जांच में प्रगति नहीं
आयुष सचिव डॉ पंकज पांडे का 22 फरवरी के पत्र
अपर सचिव विजय जोगदंड का 14 फरवरी का जांच सम्बन्धी पत्र
Pls clik- पढ़ें, डॉ राजेश अड्डाना की एक साल में दो डिग्री