लेटलतीफी- कब तक चलती रहेगी एक साल में दो डिग्री हासिल करने वाले की जांच

मुझे अभी तक जांच रिपोर्ट नहीं मिली- पंकज पांडे, आयुष सचिव

सीएम के निर्देश के बाद शासन में अटकी आयुर्वेद विभाग के डॉ राजेश अडाना की डिग्रियों की जांच सम्बन्धी फाइल.

अपर सचिव विजय जोगदंड को देनी है फाइनल रिपोर्ट

अविकल उत्तराखण्ड

देहरादून। उत्तराखण्ड आयुर्वेद विभाग से जुड़े एक बहुचर्चित मामले में शासन स्तर की जांच में देरी ने क्यों सवालों को जन्म दे दिया है। सीएम धामी के निर्देश पर शुरू हुई शासन स्तर की जॉच अभी तक सार्वजनिक नहीं हुई है।

फरवरी से सुर्खियों में आया यह मामला नवंबर तक भी अंजाम तक नहीं पहुंचा। केस आयुर्वेद विवि के चिकित्सक डॉ राजेश अड्डाना की डिग्रियों के फर्जीवाड़े से जुड़ा है।

शिकायत यह थी कि –

राजेश कुमार पुत्र श्री नगीना सिंह ने फर्जी तरीके से एक ही सत्र – 1999 में कानपुर विश्वविद्यालय से बीएएमएस अंतिम वर्ष व गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार से सत्र 1999 में एक वर्षीय पीजी डिप्लोमा इन योगा दोनों ही संस्थागत छात्र के रूप में किया। यानी कि एक ही साल में दो कोर्स पूरे किए।

इसमें गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर से पत्र 10 फरवरी को भेजे पत्र में प्राचार्य ऋषिकुल से जाँच के लिये कहा था।Aayurved university

शिकायत के बाद क्या हुआ

14 फरवरी, 2023 को हुई शिकायत के बाद शासन ने हकीकत जानने लिए 22 फरवरी को विभिन्न विश्वविद्यालयों को पत्र भेज दिया।  कानपुर विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक ने आरोपों की पुष्टि करते हुये 13 अप्रैल 2023 को आयुष सचिव को भेजे पत्र में कहा कि वर्ष 1999 में राजेश अडाना बी०ए०एम०एस० तृतीय वर्ष का रेगुलर छात्र था । Fake degree case

इसके बाद शासन ने 11 अप्रैल को कुलपति गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार को रिमाइंडर भेजते हुए राजेश अडाना द्वारा वर्ष 1999 में रेगुलर छात्र के रूप में एक वर्षीय पी०जी० डिप्लोमा इन योगा करने के आरोपों के संबंध में जानकारी चाही।

कुलसचिव गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार ने 20 अप्रैल 2023 को शासन को भेजे पत्र में आरोपों की पुष्टि कर बताया कि राजेश अडाना ने वर्ष 1999 में रेगुलर छात्र के रूप में एक वर्षीय पी०जी० डिप्लोमा इन योगा किया गया है ।

शासन के फैसले का इंतजार ?

गुरुकुल कांगड़ी विवि व शाहू जी महाराज कानपुर विवि के पत्र व डॉ राजेश अड्डाना से जुड़ी मार्कशीट समेत अन्य दस्तावेज शासन तक पहुंच चुके हैं। अपर सचिव विजय जोगदंड को फाइनल जांच कर अपनी रिपोर्ट देनी है। लेकिन कई महीने बीतने के बाद भी अपर सचिव की रिपोर्ट सचिव पंकज पांडे तक नहीं पहुंची।

इस बाबत आयुष सचिव पंकज पांडे का कहना है कि उन्हें जॉच रिपोर्ट नहीं मिली। जबकि जांच रिपोर्ट में हो रही देरी पर जब अपर सचिव विजय जोगदंड से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।

एक ही साल संस्थागत छात्र के रूप में कानपुर व हरिद्वार विवि से डिग्री लेने के इस बहुचर्चित मामले में शासन का रुख साफ नहीं होने से सीएम धामी के कड़े निर्देश की भी धज्जियां उड़ा रही है।

डॉ राजेश अड़ाना के डिग्री मामले से पूर्व राज्य सरकार कई फर्जी शिक्षकों व दारोगाओं पर कड़ी कार्रवाई कर चुकी है लेकिन इस मामले में स्पष्ट व प्रमाणिक तथ्यों के बावजूद शासन के मौन पर कई सवाल उठने लगे हैं।

शिकायत जो की गई

1. राजेश कुमार पुत्र श्री नगीना सिंह द्वारा एक ही शैक्षिक सत्र वर्ष-1999 में दो विश्वविद्यालयों से संस्थागत नियमित Regular Student के रूप में पंजीकरण कराकर उपाधि प्राप्त करना पूर्णतः अविधिक था। इसलिये बी.ए.एम.एस. (सी.एस.एम. कानपुर विश्वविद्यालय से बी.ए.एम.एस. अंतिम वर्ष 1999 में अनुक्रमांक – 4210 नियमित संस्थागत Regular Student हैं) व एक वर्षीय पी.जी. डिप्लोमा इन योग (गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार से अनुक्रमांक- 2274 नामांकन संख्या-980596 नियमित संस्थागत् Regular Student हैं) दोनों ही उपाधि अवैध व निरस्त करने योग्य है तथा विधिमान्य नहीं है। बी.ए.एम.एस. के आधार पर प्राप्त की गई आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारी पद की नियुक्ति आदेश प्रथम नियुक्ति तिथि / जारी आदेश की तिथि से निरस्त करने योग्य है)।

2. इनके द्वारा वर्ष-1998 में एक वर्षीय पी. जी. डिप्लोमा इन योग में प्रवेश हेतु गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार में स्नातक की कौन सी उपाधि प्रस्तुत की गई क्योंकि उपलब्ध अभिलेखानुसार बी. ए. एम. एस. की उपाधि वर्ष 2000 की है। बिना स्नातक उतीर्ण किये परास्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेश नहीं लिया जा सकता है, अतः यह उपाधि भी विधिमान्य नहीं है।

3. इनके द्वारा अपनी अनिवार्य इंटर्नशिप वर्ष 2002 में पत्रांक- 1056 / गुरूकुल / 2002-2003 दिनांक- 06.08.2002 पूर्ण करना दर्शाया गया है परन्तु बी.ए. एम.एस. की उपाधि वर्ष 2000 के दीक्षांत समारोह में प्रदान किया जाना प्रस्तुत है। बिना अनिवार्य इंटर्नशिप पूर्ण किये हुये उपाधि प्रदान नहीं की जा सकती है, यह नियमतः असम्भव है व विधिमान्य नहीं है।

4. इनके द्वारा भारतीय चिकित्सा परिषद्, उत्तरांचल में उक्त अभिलेखों को प्रस्तुत कर निबंधन संख्या- यू.ए.000287 निबंधन तिथि- 12.09.2005 जन्मतिथि- 07.03.1967 प्राप्त किया गया, जो बिना किसी सत्यापन के दिया जाना अविधिक था तथा निरस्त किये जाने योग्य है। इससे पूर्व इनके द्वारा वर्ष 2000 में भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तर प्रदेश में उक्त फर्जी अभिलेखों को प्रस्तुत कर निबंधन संख्या-47761 प्राप्त किया गया था. इसे भी निरस्त करने की आवश्यकता है. तद्नुसार विधिमान्य नहीं है।

5. इनके द्वारा ऋषिकुल राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज हरिद्वार (एच.एन.बी. गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर) से उक्त बी.ए.एम.एस. के आधार पर एम.डी. आयुर्वेद पाठ्यक्रम किया गया है एम.डी. आयुर्वेद की उपाधि भी निरस्त करने योग्य है और विधिमान्य नहीं है।

6. डॉ० राजेश कुमार अदाना द्वारा गलत जानकारी प्रस्तुत कर व सही तथ्यों को तत्समय छुपाकर एवं प्राधिकारियों को गुमराह कर आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारी की नियुक्ति प्राप्त की गई थी। जबकि इनके द्वारा राजकीय सेवा में योगदान प्रस्तुत करते समय शपथ-पत्र प्रस्तुत किया गया था कि किसी भी स्तर व अवसर पर सही तथ्य प्रकाश में आने पर नियुक्ति स्वतः निरस्त समझी जायेगी। राजकीय सेवा में प्रथम नियुक्ति को अवैध विधि शून्य मानते हुये कार्यवाही की जाये।

पीजी डिप्लोमा योगा, गुरुकुल कांगड़ी विवि हरिद्वार का अंकपत्र 1999

सेवा में

श्री गजेन्द्र सिंह कफलिया उपसचिव उत्तराखण्ड शासन, देहरादून

विषयः राजेश कुमार पुत्र श्री नगीना सिंह द्वारा पी०जी० डिप्लोगा (योग) के संदर्भ में।

महोदय,

आयुष एवं आयुष शिक्षा अनुभाग, देहरादून, दिनांक 11 अप्रैल 2023 के आलोक में सूक्ष्य है कि श्री राजेश कुमार पुत्र श्री नगीना सिंह को सन् 1999 में गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के योग विज्ञान विभाग से पी०जी० डिप्लोमा (योग) में प्रवेश नाक के आध पर दिया गया था।

छत्रपति साहू जीमहाराज कानपुर विवि BAMS मार्कशीट

सचिव, आयुष एवं आयुष शिक्षा अनुभाग, उत्तराखण्ड शासन।

विषय :-

श्री राजेश कुमार पुत्र श्री नगीना सिंह के शैक्षिक अभिलेखों (बी०ए०एम०एस०) के सत्यापन के सम्बन्ध में।

महोदय/ महोदया,

कृपया उपर्युक्त विषयक पत्रांक 229/XL-1 / 2023 दिनांक 22/02/2023 का संन्दर्भ ग्रहण करने का कष्ट करें

उक्त पत्र के माध्यम से 13 बिन्दुओं में बिन्दु संख्या 04.05 य 06 इस विश्वविद्यालय से सम्बन्धित है। तदुक्रम में बिन्दु संख्या 04, 05 व 06 की आख्या अभिलेखानुसार निम्नवत् है।

आरोप पत्र का जवाब-आयुर्वेद निदेशक डॉ अरुण त्रिपाठी ने शासन को भेजे जवाब में कहा कि 1999 में ली गयी BAMS और योगा की डिग्री

निदेशक
आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवायें
सेवा में
अपर सचिव
आयुष एवं आयुष शिक्षा
शासन देहरादून।
संख्या-4419 /37-800/2023-24/fo दिनांक 21 जुलाई 2023 विषय- शकुमार अदाना, चिकित्साधिकारी राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय पौडील पर प्यारोपित आरोप-पत्र के सम्बन्ध में
महोदय
उपविषयक निर्देदन है कि शासन के पत्र -1195 /XL-1 / 2003- 175/2010/टी.सी.-5 दिनांक 20.7.2523 का सन्दर्भ ग्रहण करने के राजेश कुमार अदाना चिकित्साधिकारी पर अध्यारोपित आरोप पत्र के सम्बन्ध में दिनांक 197.2023 को अपर सचिव, आयुष एवं आयुष शिक्षा विभाग, उत्तराखण्ड शासन (जाँच अधिकारी) के समय बिन्दुवार प्रतिउत्तर के समबन्ध में विचार विमर्श के उपरान्त बिन्दु संख्या-2 में प्रभारी कुलपति / निदेशक से 24 घण्टे के भीतर मन्तब्य सहित 03 बिन्दुओं पर आख्या उपलब्ध कराने के निर्देश प्रदान किये गये हैं। इसमें बिन्दुवार आख्या निम्न प्रेषित की जा रही है-
विश्वविद्यालय में तैनाती / सम्बद्धता का अधिकार निदेशालय में निहित नहीं है। वर्ष 2013 में शासन के पत्र संख्या-1945/80006/2013/12/2012 दिनांक 23.09.2013 में प्रदता निर्देशों के क्रम में गुरूकुल, राजकीय आयुर्वेदिक कालेजों में सी०सी०आई०एम० के मानक पूर्ण किये जाने सम्बन्ध में हुई बैठक में बनी सहमति के काम में 02 आकस्मिक चिकित्सक एवं 25] आएमओ / आरएस को किये जाने के निर्देशों के अनुपालन में तत्कालीन निदेशक के आदेश दिनांक 24.09.2013 के द्वारा का चिकित्सकों को गुरु हरिद्वार में तैनात सम्बद्ध किया गया था। इसके उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय मुख्य परिसर त / गुरुकुल परिसर में समय समय पर शासन स्तर से को सम्बद्ध किया हाता रहा है।
निदेशालय में उपलब्ध अभिलेखों में क अदामा चिकित्कारी के द्वारा (क) को अन्तिम परीक्षा वर्ष 1999 में पूर्ण की गयी है। वर्ष 2012 में लोक सेवा आयोग द्वारा विज्ञापित] आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारी के पद हेतु किये गये अभ्यर्थन / आवेदन पत्र के अभिलेखों के अनुसार अदना द्वारा पीजी डिप्लोमा इन योगा (एक प्लोमा) वर्ष 1999 में ही प्राप्त किया गया है। इसके अतिरिक्त उक्त अभ्यर्थन आवेदन पत्र के साथ अन्य संलग्न अभिलेखों के अनुसार कान के द्वारा वर्ष 2005 में एम०डी० की परीक्षा उत्तीर्ण की गयी है। वर्ष 2005 में अदाना की
नियुक्ति संविदा चिकित्सक के रूप में हुई थी तथापि तत्समय आयुर्वेद स्नातकोत्तर में प्रवेश हेतु शासन से अनापत्ति प्राप्त किये जाने के सम्बन्ध में डा० अदाना की व्यक्तिगत पत्रावली में कोई टिप्पणी / अभिलेख उपलब्ध नहीं है।
डा० अदाना द्वारा स्नातकोत्तर अध्ययनकाल में चेतन / Stypend साथ लिया गया है अथवा नहीं, के सम्बन्ध में अवगत कराना है कि अदाना की प्रथम नियुक्ति संविदा चिकित्सक रूप में होने के उपरान्त जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी द्वारा पत्रांक-021/2023-24 दिनांक 21.7.2003 द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार दिनांक 15.9.2005 से 27.9.2007 तक 01.5.2006 से 31.8.2006 तक एवं 01.1.2007 से 282 2007 तक छोड़कर) डा० अदाना को निरन्तर संविदा अवधि के मानदेय का भुगतान किया जाता रहा है (छायाप्रति संलग्न) इसके अतिरिक्त परिसर निदेशक ऋषिकुलहरिद्वार द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार बा अदाना को एमडी अध्ययन प्रारम्भ होने की अवधि05.8.2002 से 04.8.2005 तक छात्र चैतन (Shypend) का भुगतान किया जाता रहा है। (छायाप्रति संलग्न) उक्त से स्पष्ट नहीं हो रहा है कि वा अपाना के द्वारा अध्ययनकाल में चेतन / Stypend साथ लिया गया है।
बिन्दु संख्या में उल्लिखित आख्या के अनुसार डा राजेश कुमार अदाना के द्वारा पी०ए०एमएस की परीक्षा एवं पीजी डिप्लोमा इन योगा का एक वर्षीय संस्थागत कोर्स एक ही वर्ष 1999 में उत्तीर्ण प्राप्त किया जाना संदिग्ध प्रतीत होता है। इस सम्बन्ध में उपरोक्त समस्त बिन्दुओं पर उच्चस्तरीय जाँच किया जाना आवश्यक है।
भवदीय
(no अरुण कुमार त्रिपाठी) निदेशक

शासन में आयुष सचिव पंकज पांडे-/अपर सचिव विजय जोगदंड की ओर से 13 अप्रैल 2023 को भेजा गया आरोप पत्र

डॉ० राजेश कुमार अदाना, चिकित्साधिकारी द्वारा निदेशक, आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवायें, उत्तराखण्ड,देहरादून ।
आप डॉ० राजेश कुमार अदाना, चिकित्साधिकारी की प्रभारी कुलसचिव उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय हर्रावाला, देहरादून के पद पर आपकी तैनाती अवधि (दिनांक 28.10.2021 से दिनांक 28.12.2021 तक) एवं उक्त पद पर अनाधिकृत अवधि (दिनांक 28.12.2021 से 20.01.2023 तक) की अवधि में आपके द्वारा शासकीय आदेशों की अवहेलना, स्वेच्छाचारिता, अनुशासनहीनता एवं उत्तराखण्ड राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली, 2002 के प्राविधानों से इतर कार्यशैली प्रदर्शित करते हुये नियमों के उल्लंघन के साथ ही आपके द्वारा उक्त तैनाती अवधि में की गयी निम्नलिखित अनियमितताओं के लिए प्रथम दृष्टया उत्तरदायी मानते हुए निम्न आरोपो से आरोपित किया जाता है:-
आरोप संख्या – 1 शासन के कार्यालय ज्ञाप संख्या – 3441/XI- 1/2021-11 (रिट ) / 2018, दिनांक 28.12.2021 के द्वारा प्रभारी कुलसचिव के पद से हटाये जाने तथा शासन के कार्यालय ज्ञाप संख्या-268/XI-1/2021- 175/2010, दिनांक 25.01.2022 के द्वारा उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, हर्रावाला, देहरादून के असिस्टेन्ट प्रोफेसर के पद पर की गयी सम्बद्धता समाप्त करने के उपरान्त भी आपके द्वारा अपनी मूल तैनाती के स्थान पर कार्यभार ग्रहण नहीं किया जाना, बल्कि शासकीय आदेशों की अवहेलना, स्वेच्छाचारिता, अनुशासनहीनता के साथ ही अनाधिकृत रूप से प्रभारी कुलसचिव का कार्य सम्पादित किया जाना ।
(साक्ष्य के रूप में शासन के पत्र संख्या-271, दिनांक 27.012022 पत्र संख्या – 587, दिनांक 31.03.2022. पत्र संख्या – 668, दिनांक 12.04.2022, पत्र संख्या- 2165, दिनांक 26.09.2022 पत्र संख्या- 2658, दिनांक 23.12.2022, पत्र संख्या-2700, दिनांक 03.01.2023 एवं पत्र संख्या – 68 दिनांक 20.01.2023)
आरोप संख्या-2 अनाधिकृत प्रभारी कुलसचिव के रूप में बिना किसी वैध अधिकार के मा0 उच्च न्यायालय के समक्ष शपथ पत्र / वाद प्रस्तुत किया जाना / भारत सरकार / राज्य सरकार / अन्य संस्थानों के साथ पत्राचार किया जाना ।
(साक्ष्य के रूप में रिट याचिका संख्या – 1886 / एस०एस० / 2022 रिट याचिका संख्या-3463 / एम०एस० / 2022, शासन के पत्र संख्या – 12.04.2022 व 23.12.2022)
आरोप संख्या-3 शासन के आदेश संख्या-668 / XL-1/2021-11 (रिट)/2018 दिनांक 12.04.2022 द्वारा प्रभारी कुलसचिव के रूप में कार्यवाही / पत्राचार को शून्य घोषित किये जाने के उपरान्त भी आपके द्वारा शासकीय बैठकों में प्रतिभाग किया जाना / विश्वविद्यालय की ओर से पत्राचार किया जाना / कर्मचारियों की नियुक्ति / स्थानान्तर किया जाना / निविदा व कार्यादेश जारी किया जाना / वित्त समिति व कार्यपरिषद की बैठके आहूत कर स्वीकृतियाँ जारी कराना। परीक्षकों की नियुक्ति कराना / परीक्षा कराना / प्रवेश काउंसिलिंग बोर्ड की बैठक कर स्वीकृतियों जारी कराना आदि अनियमितताओं में संलिप्त रहना ।
आरोप संख्या-4 शासन के आदेश संख्या-288 / XL-1 / 2021 175/2010 दिनांक 25.01.2022 के द्वारा आयुर्वेद विश्वविद्यालय हर्रावाला, देहरादून से असिस्टेन्ट प्रोफेसर के रूप में सम्बद्धता समाप्त किये जाने के उपरान्त भी अनियमित रूप से स्वयं का वेतन आहरित कराया जाना ।
(साक्ष्य के रूप में गुरूकुल परिसर निदेशक का पत्र दिनांक 02.02.2022)
आरोप संख्या-5 आपकी नियुक्ति चिकित्साधिकारी के पद पर हुई है, आपकी नियुक्ति प्राधिकारी शासन है। आप पर आरोप है कि आप द्वारा दिनांक 28.12.2021 को शासन द्वारा निर्गत आदेश की अवहेलना के उपरान्त से लगातार शासन के आदेशों का उल्लंघन करते हुए अनुशासनहीनता, कार्य के प्रति लापरवाही, स्वेच्छाचारिता, कदाचार एवं निरंकुश कार्यशैली प्रदर्शित की जा रही है। आपको पुनः शासन के कार्यालय ज्ञाप / नोटिस दिनांक 23.12.2022, 03.01.2023 एवं 20.01.2023 के द्वारा निर्देशित किया गया कि अपनी मूल तैनाती स्थान पर कार्यभार करते हुए शासकीय आदेशों की अवहेलना हेतु अपना प्रतिउत्तर / स्पष्टीकरण 15 दिनों के भीतर शासन को उपलब्ध कराया जाय, किन्तु आपके द्वारा शासन के किसी भी आदेश का अनुपालन नहीं किया गया, जो कि कर्मचारी आचरण नियमवली का स्पष्ट उल्लंघन
है ।
(साक्ष्य के रूप में शासन के पत्र संख्या- 271 दिनांक 27.01.2022, पत्र संख्या-587, दिनांक 31.03.2022, पत्र संख्या-668, दिनांक 12.04.2022 पत्र संख्या- 2165, दिनांक 26.09.2022 पत्र संख्या- 2659, दिनांक 23.12.2022 पत्र संख्या-2700 दिनांक 03.01.2023 एवं पत्र संख्या-88 दिनांक 20.01.2023)
अतः आप उक्त आरोप पत्र की प्राप्ति के 15 दिनों के भीतर अभिलेखों सहित अपना प्रतिउत्तर शासन के समक्ष प्रस्तुत करें यदि आप निर्धारित अवधि में अपना प्रतिउत्तर लिखित रूप से शासन को प्रस्तुत नहीं करते हैं तो यह मान लिया जायेगा कि उक्त आरापों के सम्बन्ध में आपको कुछ नहीं कहना है, तदोपरान्त इस सम्बन्ध में आपके विरूद्ध नियमानुसार उत्तरांचल सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली-2003, उत्तरांचल कर्मचारी आचरण नियमावली-2002, उत्तरांचल अधिप्राप्ति नियमावली एवं वित्तीय नियमों के अन्तर्गत अनुशासनिक कार्यवाही संस्तुत कर दी जायेगी, जिसके लिए आप स्वयं उत्तरदायी होंगे। प्रकरण में आप यदि व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर चाहते हैं, तो तद्नुसार निर्धारित समयान्तर्गत अवगत कराना सुनिश्चित करें।
(डॉ० पंकज कुमार पाण्डेय) सचिव ।

शासन का 11 अप्रैल का पत्र-जांच में प्रगति नहीं

प्रेषक,
गजेन्द्र सिंह कफलिया, उप सचिव, उत्तराखण्ड शासन ।
सेवा में,
कुलपति, गुरुकुल कांगडी विश्वविद्यालय, हरिद्वार ।
देहरादूनः 11 अप्रैल, 2023
कुलपति, सी०एस०एम० कानपुर विश्वविद्यालय, कानपुर।
कुलपति, एच०एन०बी० गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर ।
आयुष एवं आयुष शिक्षा अनुभाग
विषय:-
श्री राजेश कुमार पुत्र श्री नगीना सिंह द्वारा फर्जी तरीके से एक ही सत्र – 1999 में कानपुर विश्वविद्यालय से बी०ए०एम०एस० अंतिम वर्ष व गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार से सत्र 1999 में एक वर्षीय पीजी डिप्लोमा इन योगा दोनों ही संस्थागत छात्र के रूप में करने के सम्बन्ध में।
महोदय,
कृपया उपरोक्त विषयक शासन के पत्र संख्या – 229/XL-1/2023-10/2023 दिनांक 22.02.2023 (छाया प्रति संलग्न) का सन्दर्भ ग्रहण करने का कष्ट करें, जिसके द्वारा डॉ० मृत्युंजय कुमार के पत्र दिनांक 31.01.2023 संलग्नक करते हुए डॉ० राजेश कुमार पुत्र श्री नगीना सिंह के विरूद्ध 13 बिन्दुओं पर शिकायत करते हुए जॉच करते हुए नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही कर शासन को भी अवगत कराने की अपेक्षा की गयी थी, किन्तु वाँछित सूचना अतिथि तक अप्राप्त है ।
2- अतः उक्त के सम्बन्ध में मुझे पुनः यह कहने का निदेश हुआ है कि डॉ० मृत्युंजय कुमार के शिकायती पत्र दिनांक 31.01.2023 पर नियमानुसार जाँच करते हुए 15 दिवस के अन्तर्गत नियमानुसार कार्यवाही कर जांच आख्या / कृत कार्यवाही की सूचना शासन को भी उपलब्ध कराने का कष्ट करें। संलग्नकः- यथोपरि
भवदीय
M
(गजेन्द्र सिंह कफलिया)
उप सचिव

आयुष सचिव डॉ पंकज पांडे का 22 फरवरी के पत्र

प्रेषक,
संख्या-229
/XL-1/2023-10/2023
डॉ० पंकज कुमार पाण्डेय, सचिव, उत्तराखण्ड शासन ।
सेवा में,
कुलपति,
सी०एस०एम० कानपुर विश्वविद्यालय कानपुर।
कुलपति,
गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार |
कुलपति, एच०एन०बी० गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर ।
आयुष एवं आयुष शिक्षा अनुभाग
देहरादूनः दिनांक 22 फरवरी, 2023
विषय:-
श्री राजेश कुमार पुत्र श्री नगीना सिंह द्वारा फर्जी तरीके से एक ही सत्र – 1999 में कानपुर विश्वविद्यालय से बी०ए०एम०एस० अंतिम वर्ष व गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार से सत्र – 1999 में एक वर्षीय पीजी डिप्लोमा इन योगा दोनों ही संस्थागत छात्र के रूप में करने के सम्बन्ध में ।
महोदय,
उपर्युक्त डॉ० मृत्युंजय कुमार के शिकायती पत्र संख्या 24 / कैम्प / 2023-24 दिनांक 31.01.2023 का सन्दर्भ ग्रहण करने का कष्ट करें, जिसके द्वारा डॉ० मृत्युंजय कुमार द्वारा श्री राजेश कुमार, पुत्र श्री नगीना सिंह के विरूद्ध 13 बिन्दुओं पर शिकायत करते हुए जॉच कर आवश्यक कार्यवाही किये जाने का अनुरोध किया गया है।
2- अतः उक्त शिकायती पत्र की प्रति प्रेषित करते हुए मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि डॉ० मृत्युंजय कुमार द्वारा की गयी शिकायत की अपने स्तर पर जॉच कराते हुए नियमानुसार कार्यवाही करते हुए अधोहस्ताक्षरी को भी अवगत कराने का कष्ट करें। संलग्नकः – यथोपरि ।
भवदीय,
(डॉ० पंकज कुमार पाण्डेय) सचिव ।

अपर सचिव विजय जोगदंड का 14 फरवरी का जांच सम्बन्धी पत्र

प्रेषक,
संख्याः- –
/XL-1/2023-10/2023
डॉ० विजय कुमार जोगदण्डे, अपर सचिव, उत्तराखण्ड शासन ।
सेवा में,
डॉ० राजेश कुमार, चिकित्साधिकारी, राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय, जसपुरखाल, पौडी, गढवाल ।
आयुष एवं आयुष शिक्षा अनुभाग
विषयः डॉ० राजेश कुमार चिकित्साधिकारी राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय जसपुरखाल पौडी गढवाल के विरूद्ध प्राप्त शिकायती पत्र के सम्बंध में ।
देहरादून: दिनांक 14 फरवरी, 2023
महोदय,
उपर्युक्त विषयक डॉ० मृत्युंजय कुमार के पत्र संख्या – 24 कैम्प / 2023-24 दिनांक 31.01.2023 का सन्दर्भ ग्रहण करने का कष्ट करें, जिसके माध्यम से आपके शैक्षणिक अभिलेखों इत्यादि के सम्बन्ध में शिकायत शासन को प्राप्त हुई हैं। शिकायत कर्ता के उक्त पत्र दिनांक 31.01.2023 की छाया प्रति संलग्न कर प्रेषित करते हुए मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि कृपया शिकायती पत्र में इंगित समस्त विन्दुओं पर अपना प्रतिउत्तर साक्ष्य / अभिलेख सहित 15 दिवस के भीतर शासन को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।
संलग्नकः- यथोपरि
भवदीय,
(डॉo विजय कुमार जोगदण्डे)
अपर सचिव ।

Pls clik- पढ़ें, डॉ राजेश अड्डाना की एक साल में दो डिग्री

आयुर्वेद विवि के पूर्व कुलसचिव एक नये विवाद में घिरे, शासन में खलबली

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