कर्नाटक चुनाव में विपक्ष ने खूब भुनाया था भाजपा मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल का दे दनादन वीडियो
सीएम धामी पर बेहतर टीम चुनने का बड़ा दबाव.निकाय व लोकसभा चुनाव करीब
अविकल थपलियाल
देहरादून। कहावत बहुत पुरानी है कि मास्को में अगर बारिश हो जाय तो हिंदुस्तान के वामपंथी तुरंत छाता निकाल लेते हैं।
कुछ-कुछ इसी टाइप की फीलिंग उत्तराखण्ड कांग्रेस में भी नजर आ रही है। कर्नाटक में कांग्रेस का परचम बुलंद हो चुका है। और ढोल उत्तराखण्ड में भी पीटे जा रहे है। बहुत ही जश्न का माहौल है। नेताओं के बयान से जुड़े प्रेस नोट धकाधक व्हाट्सएप्प में लैंड कर रहे हैं।
2017 व 2022 के दो लगातार विधानसभा चुनाव में भाजपा से शिकस्त खा चुकी कांग्रेस को कर्नाटक रिजल्ट के बाद 2024 लोकसभा के साथ नगर निकाय चुनाव में भी उम्मीद नजर आने लगी है।
दरअसल, कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-भाजपा व अन्य दलों के महारथी शिद्दत से अपने अपने मोर्चे पर जुटे हुए थे। विपक्ष ने गंभीर मुद्दों को उठाकर आक्रमण बोला हुआ था।
इसी बीच, कर्नाटक चुनाव के मतदान से लगभग एक हफ्ते पहले उत्तराखण्ड की भाजपा सरकार के कैबिनेट मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल का सरेराह एक युवक को दनादन थप्पड़-घूंसे मारने वीडियो तेजी से वॉयरल होता है।
ऋषिकेश में घटित यह शर्मनाक वाकया देखते ही देखते उत्तराखण्ड की सरहद से उड़ता हुआ कर्नाटक की धरती पर लैंड कर जाता है। शुरुआती दौर में कांटे के सँघर्ष में उलझी कांग्रेस हाईकमान भाजपा मंत्री के फाइट वीडियो को लपक कर चुनावी मुद्दा बना देता है।
कर्नाटक व देश की इलेक्ट्रानिक,प्रिंट व डिजिटल मीडिया भी मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल के थप्पड़-घूंसे पर चुनावी बहस छेड़ देता है।
इधर, दिल्ली में मौजूद सीएम धामी की भाजपा हाईकमान से मंत्री के वीडियो प्रकरण के राजनीतिक असर पर गम्भीर मंत्रणा होती है। और घटना के 10 घण्टे बाद सीएम धामी डीजीपी को निष्पक्ष जांच के आदेश देते है।
अगले दिन देहरादून की कैबिनेट बैठक में मंत्री प्रेमचंद को हिदायत दी जाती है। लेकिन तब तक कर्नाटक में मंत्री प्रेम अग्रवाल के ‘दे दनादन’ वीडियो की धूम मच जाती है।
आग तब और भड़क जाती है जब सीएम के निर्देश के बाद भी रिपोर्ट में मंत्री के नाम का उल्लेख नहीं होता। वीडियो में साफ साफ हाथ साफ कर रहे मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल का नाम FIR में नहीं होने का मामला नये सिरे तूल पकड़ता है।
बाद में पीड़ित सुरेंद्र सिंह नेगी की पत्नी की ओर से दाखिल RTI के जवाब में मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल के नाम का उल्लेख किया जाता है। लेकिन तब तक उत्तराखण्ड से दिल्ली और कर्नाटक तक मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल के वीडियो का दर्जनों बार पोस्टमार्टम हो चुका था।
इस बीच, मंत्री से मार खाया सुरेंद्र सिंह नेगी का आरएसएस से व मंत्री से पुराना सम्बन्ध भी निकल आता है। फ़ोटो वॉयरल होती है। विपक्ष फिर मुद्दे को भुनाता है।
यही नहीं, कर्नाटक चुनाव के मतदान के आसपास जाम में फंसे मंत्री का रोंग साइड चल रहे काफिले का वॉयरल वीडियो उनकी धमक का पुख्ता प्रमाण बना। यह वीडियो दे दनादन प्रकरण के बाद सामने आया।
कर्नाटक के चुनाव में अन्य कई गंभीर मुद्दों के साथ उत्तराखण्ड के मंत्री के विदेने विपक्ष को अतिरिक्त चुनावी हथियार दे दिया। एक मंत्री के बीच बाजार थप्पड़ घूंसे चलाने की घटना का देश दुनिया के लोगों ने गंभीरता से संज्ञान लिया।
बहरहाल, पीएम मोदी की प्रतिष्ठा से जुड़े कर्नाटक चुनाव में दूध का दूध और पानी का पानी हो चुका है। इस चुनावी परिणाम को उत्तराखण्ड कांग्रेस भी लोकसभा चुनाव के लिए बेहतर संकेत मान कर चल रही है।
और, सीएम धामी के लिए भी अब अपनी टीम को नये सिरे से गढ़ने का दबाव भी बन गया है। धामी के मंत्री और विधायकों की बेहतर छवि ही लोकसभा व निकाय चुनाव में पार्टी की जीत का मुख्य आधार बनेगा।
वर्ना, मंत्री प्रेम अग्रवाल के दे दनादन छौंके की महक उत्तराखण्ड के चुनावों में भी खूब फैलेगी।
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दे दनादन मामले में कैबिनेट मंत्री प्रेमचन्द भी हैं नामजद
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