भाजपा में शामिल हो रहे नेताओं से पार्टी के अंदरूनी समीकरण गड़बड़ाए

पूर्व मंत्री ने कहा, अग्निवीर से बड़ा मुद्दा बन गए भाजपा में शामिल हो रहे यह अग्निबाण

सम्भावित एडजस्टमेंट को लेकर कोल्ड वॉर शुरू

कांग्रेसयुक्त भाजपा के नए रंग रूप से कई पुराने भाजपा नेता-कार्यकर्ता बेचैन

ग्राउंड जीरो से अविकल थपलियाल की रिपोर्ट

अविकल उत्तराखंड

चमोली/टिहरी/पौड़ी। लोकसभा चुनाव में एक नया ‘ युद्ध’  शुरू। बेशक भाजपा में इन दिनों कांग्रेस समेत अन्य दलों से नेता-कार्यकर्ता इफ़रात में जमा हो रहे हैं। कमोबेश सभी जिलों से भारी संख्या में शामिल होने वालों में पूर्व मंत्री, विधायक, पूर्व विधायक, हारे प्रत्याशी,पंचायत ,निकाय प्रतिनिधि समेत अन्य क्षेत्रों से जुड़े लोग भाजपा का पटका पहन चुके हैं। मतदान तक यह सिलसिला  जारी रहने की पूरी उम्मीद है।

लेकिन भाजपा का बेहिसाब कुनबा बढ़ने से पुराने भाजपाइयों में अजब कशमकश देखी जा रही है
एक पुराने भाजपाई मंत्री का साफ कहना है कि अग्निवीर ही नहीं भाजपा में शामिल हो रहे यह अग्निबाण भी पार्टी के अंदर प्रमुख मुद्दा बने हुए है। चुनावी दौरे में यह नयी ग्राउंड रियलिटी चुनावी समीकरण प्रभावित करती नजर आयी।

2016में कांग्रेस की बड़ी टूट के बाद भाजपा में घुसे कद्दावर कांग्रेसियों से ओरिजिनल भाजपाई आज भी “त्रस्त” हैं। बाद में इनमें से कुछ कांग्रेस में लौटे भी। लेकिन हालिया लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए कांग्रेसियों के चेहरों को लेकर नया संग्राम छिड़ गया है।

अलकनन्दा किनारे श्रीनगर

यह भी चर्चा में उभरा कि भाजपा में शामिल कराने की होड़ में क्षेत्रीय बड़े व जिला स्तर के नेताओं को भी विश्वास में नहीं लिया गया। भाजपा में इस मुद्दे अंदरूनी जंग भी तेजी से बढ़ रही है।

उदाहरण के तौर पर बद्रीनाथ से कांग्रेस विधायक राजेन्द्र भंडारी के आगमन की खबर कई प्रदेश स्तरीय नेताओं को कुछ घण्टे पहले ही मिली। पार्टी के सूत्र यह भी कहते हैं कि इस मसले पर नेताओं को पूछा तक नहीं।

चमोली जिले के बद्रीनाथ इलाके में राजेंद्र भण्डारी का सालों से विरोध कर रहे भाजपाई चाहकर भी इस विलय को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। भण्डारी और प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट एक दूसरे के खिलाफ कई विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। भण्डारी की पत्नी व जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भण्डारी के खिलाफ चल रहे भ्र्ष्टाचार के मामले को भी इस पूरे मामले से जोड़कर देखा जा रहा है।

यही अजब स्थिति पौड़ी जिले से भाजपा नेता सतपाल महाराज के खिलाफ चुनाव लड़ चुके केशर सिंह की भाजपा में शामिल होने को लेकर भी पैदा हुई है। पौड़ी जिले से ही मनीष खंडूडी व पूर्व विधायक शैलेन्द्र रावत,ब्लाक प्रमुख महेंद्र राणा,दीपक भण्डारी के आगमन के बाद कई पुराने भाजपाइयों को इसी साल मई में होने वाले निकाय व 2027 के विधानसभा चुनाव में खतरा दिखाई दे रहा है।

टिहरी से दिनेश धने, धन सिंह नेगी व उत्तरकाशी जिले से पूर्व कांग्रेसी विधायक विजयपाल सजवाण व मालचंद भी भाजपा की नाव में सवार हो चुके हैं। यहां भी भविष्य की टिकट की जंग कई गुल खिलाएगी।

कुमाऊं व हरिद्वार इलाके में भी भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ चुके कई कांग्रेसी व अन्य दल के नेताओं के भाजपा में शामिल होने से पुराने भाजपाइयों को अस्तित्व का खतरा पैदा हो गया है।

भाजपाई सूत्रों का कहना है कि 2016 में आये कई कांग्रेसी मंत्री बन गए। नतीजतन, मंत्री बनने की पांत में खड़े कई वरिष्ठ भाजपाइयों को मन मसोस कर रहना पड़ा। 2017 से शुरू हुआ कैबिनेट में “कांग्रेसी एडजस्टमेंट” धामी राज में भी जारी है।

बहरहाल, समूचे उत्तराखंड से कांग्रेसियों व अन्य दलों के नेताओं को भाजपा में शामिल कराने की होड़ में पार्टी के कई नेता व कार्यकर्ता बेचैन दिख रहे  हैं। टिहरी, पौड़ी व सीमान्त चमोली तक इस अंदरूनी आक्रोश की साफ झलक मिली।

टिहरी झील

कांग्रेसयुक्त भाजपा के हो रहे इस नए कलेवर के बाद पार्टी के अंदरूनी समीकरण बुरी तरह गड़बड़ा गए हैं। भाजपा में आए इन बाहरी नेताओं के संभावित एडजस्टमेंट को लेकर अभी से ही “स्थानीय व बाहरी” की जंग छिड़ गयी है। भाजपा की बास्केट में  गिर रहे इन अनारों को भी निकट भविष्य में कई तूफानों से निपटना होगा।

बकौल भाजपा के इन पूर्व मंत्री, ये अग्निबाण का मुद्दा अग्निवीर से भी ज्यादा गम्भीर है।

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