भगत सिंह की जयंती पर “ढाई आखर प्रेम” की अलख लेकर निकलेगा जत्था

ढाई आखर प्रेम की शुरुआत अलवर राजस्थान से होगी.22 राज्यों से गुजरने के बाद महात्मा गांधी की शहादत पर 30 जनवरी को समापन दिल्ली में होगा.

देश के प्रमुख प्रगतिशील सांस्कृतिक-साहित्यिक संगठनों की अपील

सांस्कृतिक नवजागरण के लिए ‘ढाई आखर प्रेम’ के साथ जुड़ें
प्रेम, बंधुत्व के लिए राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्था ‘ढाई आखर प्रेम’ के साथ जुड़ें

अविकल उत्तराखण्ड

नई दिल्ली।
देश में सांस्कृतिक नवजागरण के लिए संस्कृतिकर्मियों, साहित्यकारों और नौजवानों का एक ख़ास जत्था निकल रहा है। इसका नाम है, ‘ढाई आखर प्रेम’। यह एक राष्ट्रव्यापी सांस्कृतिक जत्था होगा।

इस जत्थे की शुरुआत भगत सिंह की जयंती 28 सितंबर 2023 को राजस्थान के अलवर से हो रही है। यह जत्था देश के 22 राज्यों में निकलेगा। इसका समापन महात्मा गांधी की शहादत के दिन 30 जनवरी 2024 को दिल्ली में होगा।इस जत्थे की सबसे ख़ास बात यह होगी कि इसमें शामिल लोगा पैदल ही चलेंगे।

इस ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सांस्कृतिक अभियान के अगुआ देश के नामचीन प्रगतिशील सांस्कृतिक-साहित्यिक संगठन हैं। इन संगठनों की ओर से इस अभियान में शामिल होने के लिए एक अपील जारी की गई है। इस अपील पर जनवादी लेखक संघ के महासचिव संजीव कुमार, जन संस्कृति मंच के महासचिव मनोज कुमार, दलित लेखक संघ के अध्यक्ष हीरा लाल राजस्थानी, भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) के महासचिव तनवीर अख्तर, जन नाट्य मंच की सचिव सानिया हाशमी, प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव सुखदेव सिंह सिरसा के दस्तख़त हैं।

अपील में इन्होंने बताया है, ‘यह जत्था आपसी प्रेम, शांति और सौहार्द्र का उत्सव है। यह दुनिया में व्याप्त नफ़रत और अविश्वास की भावना के जवाब में हम संस्कृतिकर्मियों और जिम्मेदार नागरिकों की एक ज़रूरी पहल है।’

इनकी ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, ‘इस जत्था के रास्तों में मिलने वाले लोगों के सम्मान में गीत गाए जाएँगे। नृत्य होंगे। नाटकों की प्रस्तुतिया होंगी। यही नहीं, हथकरघा से बनीं चीज़ें लोगों से साझा की जाएँगी। यही नहीं, अपनी माटी में रंगे प्रेम के धागों को बुनने वाले समाज सुधारकों, संतों, कलाकारों, लोक-कलाकारों, कवियों को उनकी रचनाओं के ज़रिये याद किया जाएगा। उनसे जुड़ी जगहों पर जाया जाएगा।आज़ादी के दीवानों को याद करने के लिए उनके जन्म और कर्मस्थली भी जाया जाएगा।

अपील बताती है, ‘ढाई आखर प्रेम… राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्था गंगा-जामुनी तहज़ीब का आईना है। यह स्वतंत्रता, समता, न्याय, बंधुता और एकजुटता को फिर से पाने और जीने की कोशिश है। साथ ही इन मूल्यों को पुनः समाज में स्थापित करने का प्रयास है। ध्यान रहे, इन मूल्यों को नफरत, विभाजन, अहंकार और पहचान की वर्तमान राजनीति ने बड़ी क्रूरता से कमज़ोर कर दिया है।

अपील पर दस्तख़त करने वाले संगठनों ने सभी प्रगतिशील सामाजिक, सांस्कृतिक संगठनों, कलाकारों, कवियों, लेखकों, संगीतकारों, बुद्धिजीवियों, सामाजिक-सांस्कृतिक पर्यावरण कार्यकर्ताओं के साथ आम जन को भी इस सामूहिक अभियान ‘ढाई आखर प्रेम’ में सहभागिता का आह्वान किया है। इसमें कहा गया है, ‘आप हमारे दोस्त, सहयोगी और सहयात्री के रूप में इस राष्ट्रीय अभियान में शामिल हों। हम आपका दिल से स्वागत करते हैं। हम आपकी उपस्थिति-आपकी भागीदारी-आपके समर्थन की आशा रखते हैं।’

जत्थे के बारे में ताज़ा जानकारी के लिए www.dhaiaakharprem.in वेबसाइट देखी जा सकती है। अगर कोई और जानकारी चाहिए तो ईमेल dhaiaakharprem@gmail.com से संपर्क किया जा सकता है।


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