…आखिरकार दून की एक चटख धूप में लीची के पेड़ पर चल गई आरी

“अविकल उत्तराखण्ड” में खबर वॉयरल होने के बाद 5 महीने से लंबित लीची पेड़ का कटान का मसला हुआ हल

विभिन्न विभागों ने पर्यावरणविद रवि चोपड़ा की 5 महीने पुरानी दरख्वास्त को बना दिया था फुटबाल

अविकल उत्तराखण्ड

देहरादून। अंततः 5 महीने बाद इंतजार की घड़ियां खत्म हुई। और बुधवार की एक चटख सुबह आरी और रस्सियां लेकर कारिंदे पहुंच गए पर्यावरणविद रवि चोपड़ा के वसंत विहार स्थित आवास पर। और बाउंड्री से सटे कई साल पुराने व छेदक रोग से ग्रस्त लीची के पेड़ को काट डाला। enviornmrntalist Ravi chopra

इस कार्रवाई के बाद बीते 5 महीने से सरकारी जमीन पर खड़े लीची के पेड़ की कहानी खत्म हो गयी। गौरतलब है कि रवि चोपड़ा ने मई माह में वन विभाग को सरकारी जमीन पर खड़े लीची के पेड़ को काटने के लिए अर्जी दी थी। पूर्व में इस पेड़ की शाखाएं टूटने से रवि चोपड़ा के आवास को भी नुकसान पहुंचा था।

बहरहाल, जाने माने पर्यावरणविद की यह अर्जी कई विभागों में धक्के खाती रही। और सितम्बर माह में वन विभाग ने कह दिया कि आप (रवि चोपडा) लीची के पेड़ को काटने का खर्चा स्वंय उठाएं। पेड़ कटान के साथ कई अन्य शर्तें भी जुड़ी हुई थी। जबकि लीची का पेड़ नगर निगम की जमीन पर खड़ा था न कि निजी भूमि पर। वन विभाग के इस आदेश को लेकर “अविकल उत्तराखण्ड” ने एक स्टोरी प्लान की।

और 3 अक्टूबर को इस मसले को “अविकल उत्तराखण्ड” ने तथ्यों के साथ प्रकाशित किया (नीचे देखें)। और वन विभाग समेत अन्य विभागों की लापरवाही पर सवाल उठाए।

खबर का सरकार ने संज्ञान लिया। और वन विभाग ने 3 अक्टूबर को ही नया आदेश जारी कर वन निगम को डेढ़ महीने के अंदर पेड़ कटान व लकड़ी की निकासी करने को कहा।

खबर के बाद उच्च स्तर पर मचे हड़कंप के बाद वन निगम ने बुधवार की सुबह से ही लीची का पेड़ काटना शुरू किया। और दोपहर होते होते पर्यवरणविद रवि चोपड़ा के मकान के लिए खतरा बन चुका लीची का पेड़ जमीन पर धराशायी हो चुका था..

Pls clik-देखें , लीची के पेड़ की कहानी ,एक क्लिक पर

पर्यावरणविद रवि चोपड़ा नहीं बल्कि वन विभाग काटेगा रोगग्रस्त लीची के पेड़ को

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