तुम आ गए हो नूर आ गया है …छक्के छुड़ाने वाला सचिन जब पहली नजर में दिल हार बैठे सचिन-अंजलि की हिट लव स्टोरी

संजय श्रीवास्तव

ये पहली नजर का प्यार था. ये 1990 का साल था. सचिन तेंदुलकर टीम के साथ इंग्लैंड टूर से वापस लौट रहे थे. उनका विमान मुंबई के इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरने वाला था. उिसी समय अंजलि मेहता एयरपोर्ट पर उसी विमान से आ रही अपनी मां अन्ना बेल का का इंतजार कर रही थीं. विमान ने लैंड किया. सचिन सीढियों से उतरे और जब लगेज क्लियरिंग के बाद निकले वहां उनका सामना अंजलि से हुआ. खूबसूरत, गोरी, दुबली-पतली और सौम्य मुस्कुराहट वाली लडक़ी, जो मां के बाहर आने का इंतजार कर रही थीं. सचिन ने उन्हें देखा और देखते ही रह गये. कुछ बात थी जो उन्हें अंजलि की ओर आकर्षित कर रही थी. लेकिन वह वहां ज्यादा रूक नहीं सकते थे. एयरपोर्ट पर उन्हें रिसीव करने आये थे विनोद कांबली और कुछ और दोस्त. अंजलि इन सबसे बेखबर थीं, उन्होंने सचिन को एकबारगी देखा जरूर लेकिन उन पर से नजरें हटा लीं, उन्हें अंदाज ही नहीं था कि ये युवक भारतीय क्रिकेट का नया स्टार है. वहीं कांबली ताड़ चुके थे कि सचिन की निगाहें किधर हैं.

सचिन एयरपोर्ट से निकलकर दोस्तों के साथ घर जाने के लिए कार में बैठ तो चुके थे, लेकिन उनका ध्यान उसी लडक़ी पर अटका हुआ था, जिसे उन्होंने कुछ देर पहले अपनी जिंदगी में पहली बार देखा था. बाकि सबकुछ वह मानो भूल ही चुके थे. दोस्त बार बार उनसे इंग्लैंड दौरे के अनुभवों के बारे में जानना चाह रहे थे और अनमनेपन से छोटे-मोटे जवाब देकर चुप हो रहे थे. इंग्लैंड दौरे में शानदार प्रदर्शन, शतक और दौरे का अनुभव- ये सबकुछ उनकी विस्मृतियों में कहीं पीछे खिसक चुका था. बार-बार वह एक ही दृश्य पर अटक रहे थे, जहां उन्हें मुंबई एयरपोर्ट पर चहलकदमी करती अंजलि नजर आ रही थीं. खैर काफी देर बाद चुपचाप उन्होंने कांबली को बताया कि उन्हें वह लडक़ी भा गई है. वह उससे हर हालत में मिलना चाहते हैं. कांबली समझ गये कि मामला वाकई गंभीर है, क्योंकि इससे पहले उनके दोस्त कभी किसी लडक़ी को लेकर एेसा आवेग नहीं दिखाया था.

सचिन अपने करियर के शुरुआती दिनों में काफी शर्मीले थे, आज भी हैं. लेकिन वह बेहद संस्कारिक परिवार के हैं, लिहाजा उन्होंने मन की बात मन में ही रख ली. लेकिन कांबली ताड़ गये कि उनके दोस्त के मन में कुछ बात है जरूर, जो वह कह नहीं पा रहा है. वह सचिन के सबसे गहरे दोस्त थे. बचपन से लेकर अब तक दोनों ने करीब आठ साल साल गुजारे थे. दोनों एक साथ घंटों प्रैक्टिस करते थे. एक साथ क्रिकेट के मैचों में शिरकत करते थे. दोनों ने शारदाश्रम स्कूल की ओर से खेलते हुए 664 रनों की रेकॉर्ड साझीदारी की थी. आजतक ऐसा कुछ नहीं हुआ था कि

उसके दोस्त तेंदल्या ने उनसे कुछ छिपाया हो. अब क्या किया जाये.

खैर उन्होंने सचिन को जब ज्यादा कुरेदा तो मन की बात जुबान पर आ ही गई. सचिन चाहते थे कि उस लडक़ी से फिर किसी तरह से मुलाकात हो जाए. सचिन की मित्रमंडली में एकाध दोस्त ऐसे थे, जो अंजलि के परिवार से परिचित थे. लेकिन ये सारी बातें कांबली को छोडक़र उनकी मित्रमंडल के एक-दो और दोस्तों को ही मालूम थीं. पता चला कि अंजलि जेजे हास्पिटल में डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही हैं. साथ में वहीं पर इंटर्नशिप कर रही हैं. अब समस्या ये थी कि कैसे सचिन की उनसे मुलाकात हो. इसके लिए भी व्यवस्था की गई. प्रैक्टिस के दौरान सचिन को हल्की-फुल्की चोट लगी और बस उन्हें तुरंत जेजे हास्पिटल में डॉक्टर अंजलि के पास पहुंचाया गया. उन्होंने सचिन का इलाज किया. इस बीच कॉमन फ्रेंड के जरिए फिर दोनों की मुलाकात की व्यवस्था किसी दोस्त के घर कराई गई.

अब अंजलि जान चुकी थीं कि वह कोई और नहीं सचिन तेंदुलकर हैं, उन्हें ये भी लग गया कि वह उनमें दिलचस्पी ले रहे हैं. अंजलि की बेशक खेलों में अब तक कोई रुचि नहीं थी लेकिन अब उन्होंने क्रिकेट और सचिन के बारे में सबकुछ पढ़ डाला. अखबारों में वह क्रिकेट की खबरें पढऩे लगीं और सचिन की खबरें तो जरूर ही पढ़तीं. अखबारों में तो सचिन हमेशा ही छाए रहते थे.

फिर वो दिन भी आया जब दोनों ने एक-दूसरे से मिलने का फैसला किया. ये एक स्पेशल मुलाकात थी. सचिन तो पहली ही बार में अंजलि को पसंद कर बैठे थे, और अब दोनों की दोस्ती की गाड़ी सही दिशा में चलने वाली थी. मुलाकात हुई, अंजलि और सचिन की बातें हुईं और कौन विश्वास करेगा कि इसमें क्रिकेट का जिक्र ही नहीं हुआ. ये बात भी सचिन को ये बात पसंद आई. अंजलि को भी लगा कि सचिन न केवल संस्कारिक हैं बल्कि बेहद सीधे और शर्मीले भी.

सचिन के एक-दो दोस्त ऐसे भी थे, जो अंजलि के परिवार से परिचित थे. उन्होंने खासतौर पर सचिन को उनसे मिलाया. अंजलि के पिता अशोक मेहता जाने-माने उद्योगपति थे. मुंबई में उनकी इंडस्ट्री थी. लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के पढे हुए थे और उनकी पत्नी अन्ना बेल अंग्रेज थीं. दोनों ने लव मैरिज की थी. वो लोग लोनावाला में रहते थे. अब सचिन अपने कॉमन फ्रेंड्स और अंजलि के साथ कभी कभार लोनावाला में उनके घर भी जाने लगे. वहीं भारतीय क्रिकेट में सचिन का झंडा लगातार बुलंद होता जा रहा था. उनकी बैटिंग पूरी दुनिया को चमत्कृत कर रही थी. देश में उनके दीवाने बढ़ते जा रहे थे. ऐसे में सचिन के परिचित होने पर कौन गर्व नहीं करना चाहेगा. अंजलि को अहसास हो चुका था कि सचिन उन्हें चाहते हैं. लगातार मुलाकातों के बीच वह दिन भी आ गया जब सचिन और अंजलि ने एक-दूसरे के प्रति प्यार का इजहार किया. हालांकि ये बात किसी को नहीं मालूम थी कि दोनों इतने करीब आ चुके हैं. अगर मालूम भी थी तो केवल सचिन के एक-दो बेहद करीबी दोस्तों को ही.

जब सचिन का प्यार परवान चढऩे लगा तो मुंबई में रहते हुए सचिन की कोशिश हर हाल में अंजलि से मिलने की होती. अगर बाहर कहीं दौरे पर होते तो फोन पर लंबी लंबी बातें करते. दोनों का रोमांस शुरू हो चुका था.

उनके साथ मफतलाल सनग्रेस क्रिकेट में खेलने वाला एक दोस्त अक्सर दोनों की मुलाकातों का मध्यस्थ बनता. सचिन रात में कार ड्राइव करते हुए उस दोस्त के पास पहुंचते और फिर उसे मफतलाल गेस्ट हाउस से दोस्त को लेकर जेजे हास्पिटल के हास्टल पहुंचते, जहां अंजलि उनका इंतजार कर रही होतीं. बेशक उस दोस्त को लगता कि वह कबाब में हड्डी की तरह है, लेकिन सचिन और अंजलि दोनों में से किसी को उसके वहां होने का बुरा नहीं लगता. ये दोस्त सचिन ही होने वाली पत्नी के घर वालों से परिचित था. उसकी अंजलि की मां अन्ना बेल से अक्सर फोन पर बात होती रहती थी.

ये सोचकर ताज्जुब होता है कि पांच साल तक सचिन ने कैसे चुपचाप किसी को भनक लगे बिना डेटिंग की. जबकि उनके लिए अंजलि से सार्वजनिक जगहों पर तो मिलना लगभग असंभव जैसा था, यहां तक कि फाइव स्टार होटलों और प्राइवेट स्थानों पर मिलना भी मुश्किल था. लिहाजा सचिन मुंबई में रात में ही मिलने का क्रार्यक्रम बनाते, कभी-कभी उनकी मुलाकात किसी दोस्त के यहां भी होती. लेकिन इसकी जानकारी किसी को नहीं होती. हां, सचिन तब जरूर मन मसोस कर रह जाते जब अंजलि अपने दोस्तों के साथ कोई कार्यक्रम बनातीं और वह उसमें इसलिए शामिल हो पाते कि लोग उन्हें पहचान लेंगे.

एक बार अंजलि और उनके दोस्तों ने फिल्म रोजा देखने का प्रोग्राम बना

या. सचिन उनके साथ फिल्म देखना चाहते थे. लेकिन समस्या यही थी कि ये कैसे किया जाए. मास्टर ब्लास्टर फिल्म शुरू होने के बाद नकली मूंछ और काला चश्मा लगाकर थिएटर पहुंचे लेकिन जब इंटरवल में उन्होंने चश्मा उतारा तो पहचान लिए गएे. इसके बाद तो जितनी जल्दी हो सकता था, वह अंजलि के साथ वहां से निकल गये.

अंजलि जेजे हास्पिटल में प्रैक्टिस करने लगी थीं. उनके घर वालों को ये अहसास हो चला था कि सचिन और उनकी बेटी के बीच रिश्ते प्रगाढ़ होते जा रहे हैं. हर विदेशी दौरे के बाद भारतीय क्रिकेट का ये सितारा ब्रेक लेने के लिए सीधे लोनावाला में मेहता दंपति के घर पहुंच जाता, उसे वहां अच्छा लगता.

सचिन और अंजलि एक दूसरे को समझने लगे थे. सचिन को एक मैच्योर लडक़ी की जरूरत थी, जो स्थायित्व से परिपूर्ण हो. जिसके पैर जमीन पर हों. सचिन को जल्दी लग गया जो लड़की उन्हें पहली नजर में भा गई थी, वह हर तरह से उनकी जीवनसंगिनी बनने लायक है.

अंजलि कहती हैं कि अपनी जिंदगी में मैने सचिन के अलावा किसी और को जाना ही नहीं, मैं उन्हें बहुत बेहतर तरीके से समझती हूं.

सचिन ने ये बात अब तक अपने घर वालों से नहीं बताई थी, वह सही समय का इंतजार कर रहे थे.

इस बीच मीडिया ने उनका नाम कई लोगों से जोडऩा शुरू कर दिया। सबसे पहले बॉलीवुड हीरोइन शिल्पा शिरोडकर के साथ उनके रोमांस के चर्चे मीडिया में सुनाई दिये. दोनों किसी सार्वजनिक समारोह में आपस में मिले और मीडियो ने दोनों को करीब देखकर उनके बीच नए रिश्तों को हवा देनी शुरू कर दी. कुछ अखबारवालों की राय थी कि दोनों मराठी हैं, इसलिए उनकी शादी में कोई अड़चन नहीं होनी चाहिए. लेकिन जब इसमें कोई दम नहीं दिखा तो मीडिया में कहीं ये खबर भी फैली कि सचिन दरअसल साहित्य सहवास कॉलोनी में रहने वाली अपनी बचपन की एक परिचित से काफी घुले-मिले हुए हैं, दोनों के बीच अंडरस्टैंडिंग भी अच्छी है. इसलिए वह अपनी बचपन की इस दोस्त के साथ शादी करेंगे. ये मामला भी टांय-टांय फिस्स हो गया. दरअसल ये मामले कहीं थे ही नहीं तो इन्हें आगे बढऩा ही नहीं था.

 

हां, जब मीडिया वाले इन कपोल कल्पित गॉसिप को ज्यादा तूल देते तो अंजलि जरूर विचलित हो जातीं. रही बात सचिन की तो उन्होंने कभी प्रेस वालों से इस बारे में बात नहीं की, कभी अगर उनकी शादी को लेकर सवाल पूछे जाते तो वह सफाई से इन्हें टाल जाते. लेकिन अब उनके घर वाले भी चाह रहे थे कि इन गॉसिप्स से बेहतर है कि वह शादी कर लें. उनके लिए लडक़ी देखे जाने की बात शुरू हो गई, अब सचिन तो बताना ही पड़ा कि उनकी जिंदगी में पहले से कोई लडक़ी है, जिससे वो शादी करना चाहते हैं. ये बात उन्होंने सबसे पहले अपने बड़े भाई को बताई. जिन्होंने फिर पेरेंट्स को बताया. सचिन के माता-पिता पारंपरिक मराठी हैं, उन्हें ये रिश्ता स्वीकार करने में एकबारगी हिचकिचाहट जरूर हुई, लेकिन अंजलि से मिलने के बाद उन्हें लगा कि वह निश्चित रूप से उनके बेटे के लिए आदर्श पत्नी साबित होंगी. उनकी बड़ी उम्र को लेकर भी कुछ हिचकिचाहट थी. लेकिन उसे भी दूर कर लिया गया. कुल मिलाकर वर्ष 1995 के आते आते सचिन अपने घरवालों को राजी कर चुके थे. अंजलि के घर वाले पहले से इसके लिए रजामंदी दे चुके थे. आप खुद सोच सकते हैं कि सचिन और अंजलि ने किस तरह से पांच सालों तक चुपचाप अपने प्यार को परवान चढ़ने दिया. कुछ करीबी लोगों के अलावा कोई भी इस बारे में जान तक नहीं सका. दोनों पक्षों के जो करीबी लोग इसको जानते भी थे, उन्होंने भी इसे गुप्त रखने में कोई कसर नहीं रखी. सचिन को भी दाद देनी पड़ेगी कि इतने बड़े स्टार होने के बावजूद वह बखूबी न केवल अंजलि के लिए समय निकाल लेते थे बल्कि लगातार उनके संपर्क में भी रहते थे. जब वह विदेशी दौरों में रहते थे तो रात में उनसे लंबी बातें करते थे. उनका फोन लंबे समय तक इंगेज रहता था. अक्सर उनके साथी खिलाड़ी सवाल भी पूछते कि वह रोज इतने लंबे फोन कहां करते हैं, सचिन चतुराई से मामले को घुमा देते थे, इसलिए टीम इंडिया के साथियों को भी उनकी प्रेम कहानी के बारे में पता नहीं लग पाया.

खैर अब सचिन के घरवाले राजी थे. लंबे समय तक चला उनका रोमांस अब एक और कदम आगे बढ़ाने वाला था. जहां वो दांपत्य जीवन के लिए एक-दूसरे के साथ जीवन की लंबी डोर बांधने वाले थे. शादी का मुहुर्त निकाला जाने वाला था. फिर शादी की तैयारियां शुरू होने वाली थीं. पंडित ने 27 मई को शादी की डेट निकाली. सचिन तेंदुलकर अब 22 साल के थे और अंजलि मेहता 27 साल की.

इसी दौरान भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड टीम को वेस्टइंडीज के एक खास दौरे पर भेजने की तैयारियां कर रहा था. त्रिनिदाद में भारतीय के पहुंचने के सौ साल पूरा होने के अवसर पर तमाम समारोह और कार्यक्रम वहां हो रहे थे, इसी मौके पर एक क्रिकेट टीम को वहां दौरे पर भेजने की बात थी. ये आधिकारिक दौरा नहीं था लेकिन खासा महत्वपूर्ण था. सचिन के कई साथी और नवजोत सिद्धू, नयन मोंगिया इसमें जा रहे थे. पहले तो मास्टर ब्लास्टर भी इसमें जाना चाहते थे. इसी दौरे पर जा रहे उनके एक साथी हेमंत वेजनकर बताते हैं कि ये तय हुआ कि टीम अप्रैल में इस दौरे पर जायेगी और करीब एक महीने तक वहां रहेगी. अचानक सचिन ने इसमें जाने पर व्यक्तिगत कारणों से अनुपलब्धता जाहिर कर दी. ये उनके करीबी दोस्तों के लिए संकेत था कि सचिन की शादी की तारीख पक्की हो चुकी है, शायद इसी के चलते उन्होंने वेस्टइंडीज जाने वाली इस टीम से नाम वापस ले लिया है. फिर ये बात लीक हो गई. मीडिया को अब तक तो भनक नहीं लगी थी लेकिन अब वह तुरंत अंजलि मेहता के बारे में तमाम जानकारी हासिल करने में जुट गया.

वहीं अंजलि बहुत पशोपेस में थीं कि डॉक्टरी के अपने पेशे को शादी के बाद जारी भी रखें कि नहीं. अपने होने वाले पति सचिन की व्यस्तता से वह इन पांच सालों में वाकिफ हो चुकी थीं. उन्हें महसूस हुआ कि सचिन के करियर की डिमांड ये ही है कि वह घर पर उन्हें पूरा समय दें. अगर वह डॉक्टरी करती रहीं तो शायद घर और सचिन के साथ न्याय नहीं कर पाएंगी. लिहाजा अंजलि ने अपने बेहतरीन करियर को छोड़ दिया. जो वास्तव में छोटी बात नहीं थी.

 

सचिन की शादी की तारीख 25 मई 1995 तय हुई. कार्ड बंटने लगे. इसमें बहुत चुनिंदा लोगों को आमंत्रित किया गया. ये लोग दोनों पक्षों के रिश्तेदार और करीबी मित्र थे. सचिन ने प्रशंसकों की इच्छा थी कि वह अपनी शादी वानखेडे स्टेडियम से करें ताकि पूरा देश इसका गवाह बन सके. कुछ टीवी चैनलों ने उनकी शादी के लाइव प्रसारण के लिए उनके सामने आकर्षक ऑफर भी रखे. लेकिन सचिन ने विनम्रता के साथ इसे अस्वीकार कर दिया. उनके अनुसार ये बेहद पारिवारिक मामला था, जिसे वह नितांत व्यक्तिगत तरीके से करना चाहते थे. वर्ली के रेस्टोरेंट ज्वैल ऑफ इंडिया में दिन में शादी का आयोजन हुआ. शादी बहुत सादे और परंपरागत तरीके से हुई. पुजारी गजानन विश्वनाथ फडके ने दोनों को फेरे कराए। भारतीय समयानुसार 11 बजे गणपति पूजा के साथ शादी की शुरुआत हुई. शादी में करीब 150 मेहमान आए हुए थे. जिसमें दोनों परिवारों के लोग और मित्र शामिल थे. हालांकि रेस्टोरेंट के बाहर प्रशंसकों और मीडिया की भारी भीड़ इकट्ठा थी. जिसे नियंत्रित करने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ रही थी. सभी लोग नए दंपति की एक झलक पा लेना चाहते थे.

गणपति पूजा के बाद शादी की रस्में और पूजा शुरू हुई. फिर वह क्षण आया जब मंत्रोच्चारण के बीच दोनों ने सात फेरे लिए और पति-पत्नी बन गए. अब दोनों की शादी को 18 साल हो चुके हैं. एक पति-पत्नी के रूप में दोनों ने लगातार ये साबित किया है कि आदर्श जोड़ा कैसा होता है.

शादी के बाद दोनों साहित्य सहवास के पैतृक घर गए. फिर गोवा हनीमून मनाने चले गए। इसके बाद दोनों मुंबई के पेंटहाउस अपार्टमेंट में शिफ्ट हो गए.

सचिन शादी के दिन बहुत नर्वस थे। उनके एक और दोस्त अनिल जोशी बताते हैं कि उस दिन सचिन इतने नर्वस थे कि लोगों को पहचान नहीं पा रहे थे, ऐसे में उऩ्होंने अनिल को स्टेज पर रहकर हरेक के बारे में बताने का जिम्मा उन्हें सौंपा. ज्योंही कोई स्टेज पर आता. अनिल उनके कान में उसका नाम फुसफुसाने के साथ उसका परिचय भी दे देते. इसके बाद सचिन उसे अंजलि से इंट्रोड्यूस कराते. रिसेप्शन के बाद सचिन के सारे मेहमान इससे प्रभावित थे कि सचिन उनके बारे में इतना कुछ जानते हैं. बाद में उनकी मित्रमंडली इस पर खूब हंसी.

मास्टर ब्लास्टर की पत्नी बनना अंजलि के लिए इसलिए आसान नहीं था, क्योंकि वो देश के सबसे सुपरस्टार क्रिकेटर की पत्नी थीं, जिसका मीडिया लगातार पीछा करता था. ये उनकी भी खासियत है कि उन्होंने बहुत जल्दी सीख लिया कि कैसे उन्हें मीडिया से एक सम्मानित दूरी बनाकर रखनी है. कहां कितना जवाब देना है, कैसे मीडियावालों को फेस करना है. सचिन का घर परंपरागत महाराष्ट्रीयन परिवार है, जो अपनी प्राइवेसी को लेकर बहुत संवेदनशील है,

सचिन और अंजलि के दो बच्चे हैं-एक बेटा और एक बेटी. बेटी सारा बड़ी हो चुकी है. अर्जुन जूनियर स्तर पर क्रिकेट मैदान पर जलवा दिखाना शुरू कर चुके हैं. कहा जाता है कि वह भी एक दिन भारतीय टीम में जरूर आएंगे.

सचिन तेंदुलकर ने एक बार इंटरव्यू में बताया था कि उनकी पत्नी उनकी मेंटर की तरह हैं। हमेशा मुझे मोटिवेट करती हैं। दोनों में कितना प्यार है, इसका अंदाज इससे भी लगता है कि हर वैलेंटाइन डे पर वह अपनी पत्नी को कोई कीमती तोहफा देना नहीं भूलते. कुछ साल पहले एक टूर पर वह देश से बाहर थे. लेकिन फोन पर उन्होंने अंजलि से पूछा कि वह वैलेंटाइन पर क्या करना चाहती हैं. मैने कहा मैं वैलेंटाइन गिफ्ट के तौर पर हीरों का एक हार लेना चाहती हूं. सचिन इस पर केवल इतना ही कहा \ ओके. बात वहीं खत्म हो गई. अगले दिन सुबह घर की घंटी बजी, मैने दरवाजा खोला तो देखा एक आदमी भूरे रंग के लिफाफे में छोटा सा पैकेट लिए खड़ा था. उसने बताया , ये साहब ने भेजा है. जब मैने उसे खोला तो सातवें आसमान पर थी. पैकेट में खूबसूरत हीरों का हार था, जो सचिन ने मेरे लिए भेजा था. ये खूबसूरत सरप्राइज था. उनको 24 घंटे से भी कम समय में ये सब व्यवस्था करने में निश्चित तौर पर दिक्कत भी हुई होगी.

तो ये एक ऐसी प्रेम कहानी है, जो हर प्रेम करने वाले को प्रेरणा दे सकती है. ये बता सकती है कि पहली नजर का प्यार क्या होता है. प्रेम जब शादी में तब्दील हो जाता है तो उसे कैसे बरकरार रखकर दुनिया के सामने आदर्श उदाहरण पेश किया जाता है.

(संजय श्रीवास्तव वरिष्ठ पत्रकार हैं. प्रिंट और टीवी से जुड़े रहने के बाद अब डिजिटल मीडिया से जुड़ावा. विविध विषयों पर कलम चलाते रहे हैं. खिलाड़ियों और नेताओं के लव-स्टोरीज की लंबी सीरीज लिखी है. जो काफी लोकप्रिय रही हैं. 04 किताबें लिख चुके हैं. हालिया किताब “सुभाष बोस की अज्ञात यात्रा” है.)

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