मसूरी के सर जार्ज एवरेस्ट की संवरेगी सूरत लेकिन पारम्परिक तकनीक से

भू वैज्ञानिक जार्ज एवरेस्ट ने नापी थी नेपाल के सागरमाथा (एवरेस्ट) की ऊंचाई


मसूरी के हाथीपांव में थी जार्ज एवरेस्ट की ऑब्ज़र्वेटरी  कभी जार्ज एवरेस्ट इस्टेट के मालिक अभिनेत्री अर्चना पूरण सिंह के परिजन थे

जय प्रकाश उत्तराखंडी, इतिहासकार/वरिष्ठ पत्रकार की कलम से

जयप्रकाश उत्तराखंडी

देहरादून।
आजकल चर्चा है कि पर्यटन विभाग द्वारा हाथीपांव(मसूरी) स्थित सर जार्ज एवरेस्ट की द पार्क इस्टेट का जीर्णोद्धार किया जा रहा है।

एक बडी कंपनी इस काम को करेगी।सुना है 19 वीं सदी की निर्माण तकनीकी इसमें इस्तेमाल होगी।खासकर उनकी आब्जर्वेटरी(प्रयोगशाला) को पुरानी निर्माण तकनीक से मरम्मत करने की योजना है।काफी बड़ा बजट है। यह अच्छी बात है।


आजादी के बाद भुला दिए गये विख्यात रहे जार्ज एवरेस्ट की पार्क इस्टेट को अभी 35-40 साल पहले तक बाद के लोग जानते कहां थे।जर्जर खंडहर सा था जार्ज एवरेस्ट हाऊस और पुरानी आब्जर्वेटरी में गाय भैंसे बंधी रहती थी।उन दिनों इसकी मालिक प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री अर्चना पूरण सिंह की फैमिली थी।पर उनके कहने पर वहां दूधवाले और पत्थरखान मजदूरों ने 1960 के बाद से अपना डेरा बनाया हुआ था और कुछ लोग वहां कच्ची दारू भी बनाते थे।

अभिनेत्री अर्चना पूरण सिंह के परिजनों की थी यह इस्टेट


1979-83 तक चूना पत्थर खान मजदूर यूनियन के नेता के रूप में मैं वहां मजदूरों के डेरे पर अक्सर पडा रहता था।बंगले के ठीक सामने एक बडी चूना पत्थर खान,शायद धवन एंड कंपनी वालों की हुआ करती थी।कामरेड श्रीमती राज आनन्द तब चूना खान मजदूरों की हमारी बडी नेता होती थी।

मसूरी( mussoorie ) के नजदीक जार्ज एवरेस्ट (everest) की प्राकृतिक सुंदरता


सरकार को बहुत बाद शायद 1990 के दौर में,जब यह भूमि व बंगला यूपी पर्यटन विभाग ने अर्चना पूरण सिंह परिवार से लिया,तब प्रापर्टी पेपरों से पता लगा कि रे बाबा ये तो 19 वीं सदी में नेपाल स्थित दुनिया की सबसे ऊंची चोटी के खोजी विश्वप्रसिद्ध भूवैज्ञानिक सर जार्ज एवरेस्ट का पुराना बंगला और आब्जर्वेटरी है।

इसी ऑब्सर्वेटरी के जरिये ही जार्ज एवरेस्ट ने नेपाल की चोटी सागरमाथा की ऊंचाई नापी थी। इसीलिए उसे एवरेस्ट कहा गया।

मेरी याददाश्त में आब्जर्वेटरी खंडहर से जार्ज एवरेस्ट की पुरानी दूरबीन काफी पहले ही निकाली जा चुकी थी।उसके निकाले जाने के अवशेष साफ दिखते थे।
हम चाहते हैं कि यह ऐतिहासिक धरोहर स्वर्णिम इतिहास के रूप में उसी रूप में संरक्षित हो और द पार्क इस्टेट(जार्ज एवरेस्ट हाऊस) व प्रयोगशाला का पुराना वजूद बना रहे।

रात में जगमगाती hill queen मसूरी

आजकल डर भी लगता है कि इतिहास की सुनहरी जमीने कब बिल्डरों के धंधे और जायदादों में बदल जाये पता नहीं चलता।एक बार 1994 के चरम उत्तराखंड आंदोलन के दौरान मौके की नजाकत देखते हुए तत्कालीन यूपी की मुलायम सिहं यादव सरकार जार्ज एवरेस्ट हाऊस व विशाल जमीन को ऐसल वर्ल्ड कंपनी को बेचने की साजिश कर चुकी है। उस समय राज्य आंदोलनकारियों के भारी विरोध के बाद यह सौदा नहीं हो पाया था।

जॉर्ज एवरेस्ट इस्टेट जाने का पहाड़ी मनमोहक रास्ता


जार्ज एवरेस्ट हाऊस का पुरानी तकनीक से जीर्णोद्वार हो और इसे एक यादगार ऐतिहासिक धरोहर,जो ये है ही,के रूप में संजोया जाये।हम इसका स्वागत करेंगे। काम सही हो,जमीन खुर्द बुर्द न हो । इस पर हम जागरूक मसूरीवासी नजर बनाये रखेंगे।


जयप्रकाश उत्तराखंडी

प्रसिद्ध इतिहासकार व पत्रकार जयप्रकाश उत्तराखंडी ने मसूरी के इतिहास पर काफी रिसर्च के बाद पुस्तकलिखी है। सामाजिक जीवन में  सक्रिय रहने वाले जयप्रकाश उत्ततखंडी मसूरी में ही निवास करते हैं। उनके लेख पाठकों को नित नयी-नयी जानकारी मुहैया कराते हैं।

 

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One thought on “मसूरी के सर जार्ज एवरेस्ट की संवरेगी सूरत लेकिन पारम्परिक तकनीक से

  1. जार्ज एवरेस्ट,(हाथी पांव) मसूरी की पुख्ता जानकारी के लिए कोटी कोटी धन्यवाद।

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