उत्त्तराखण्ड के पलायन आयोग की रिपोर्ट
फर्जी फल उत्पादन के आंकड़ों के सहारे लगी ज्यादातर खाद्य प्रसंस्करण यूनिटें पड़ी हैं बंद
मटेला कोल्ड स्टोरेज पड़ा है बंद, मशीनें जंक खाकर हो चुकी हैं खराब
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। क्या उत्त्तराखण्ड का उद्यान विभाग सिर्फ कागजों में फल उत्पादन कर रहा है। इस बात की तस्दीक पलायन आयोग की रिपोर्ट के साथ राज्य में बंद पड़ी कई फूड प्रोसिसिंग यूनिट कर रही हैं। राज्य का उद्यान महकमा एक तरफ फल उत्पादन में उत्तराखंड के प्रथम स्थान पर होने का दावा कर रहा है। वहीं दूसरी ओर फल उपलब्ध नहीं होने के कारण पर्वतीय क्षेत्रों में कई फूड प्रोसिसिंग यूनिट बंद पड़ी हैं। पलायन आयोग की रिपोर्ट में यह सच्चाई सामने आयी है।
नैनीताल के रामगढ़ में 70 के दशक में एग्रो द्वारा स्थापित फूड प्रोसेसिंग यूनिट फल उपलब्ध न होने के कारण बंद कर दी गई। अल्मोड़ा के मटेला में अस्सी के दशक में करोंड़ों रुपए खर्च कर बनाए गए कोल्ड स्टोरेज का भी यही हाल है। फल उपलब्ध न होने के कारण बंद यह कोल्ड स्टोरेज भी वर्षों से बंद पड़ा हुआ है। यहां की मशीनें जंक खाकर बुरी तरह से खराब हो चुकी है।
चौबटिया गार्डन(रानीखेत), कर्णप्रयाग(चमोली) और तिलवाड़ा(रुद्रप्रयाग) की फूड प्रोसेसिंग यूनिटों का भी बुरा हाल है। फल उपलब्ध नहीं होने के कारण तीनों बंद पड़ी हुई हैं।
चौबटिया गार्डन(रानीखेत) की एपिल जूस प्रोसेसिंग यूनिट द्वारा उत्पादित जूस की एक समय मेट्रोपोलिटिन शहरों में बड़ी डिमांड थी। इसके अलावा कई अन्य लोगों और स्वयंम सेवी संस्थाओं ने भी फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाई, लेकिन फल उपलब्ध नहीं होने के कारण वह नहीं चल पाई।
नैनीताल जिले के रामगढ़, उत्तरकाशी और चमोली आदि स्थानों में छोटी फ्रूट इकाइयां लोगों के व्यक्तिगत प्रयासों और कुछ एनजीओ की सहायता से चल रही है, लेकिन अधिकतर यूनिटों में संतरे की जगह किन्नो का इस्तेमाल करते है।
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औद्यानिकी विशेषज्ञ डा. राजेंद्र कुकसाल का कहना है कि जब तक क्रियान्वयन में पारदर्शिता नहीं लाई जाती तब तक सरकारी योजनाओं में लगे बाग कागजों में अधिक और धरातल पर कम ही दिखाई देंगे।
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