मंत्रियों के बोल से सत्ता-शासन की दरार गहराई
महाराज बोले, सीआर लिखने का अधिकार नहीं यहां।
मंत्री हरक व सुबोध ने भी महाराज की लाइन ली
मंत्री यशपाल आर्य बोले, मैंने आईएएस शैलेश बगौली की सीआर लिखी
आईएएस के “अपहरण” से शुरू कहानी अधिकारियों की सीआर पर ठिठकी!
चार दिन पहले उत्त्तराखण्ड की राज्य मंत्री रेखा आर्य के पत्र से निदेशक/और सचिव बाल विकास एवम महिला सशक्तिकरण षणमुगम के कथित अपहरण से शुरू हुआ ड्रामा उनकी सीआर लिखने के इर्द गिर्द सिमट गया। कांग्रेसी मूल के मंत्री महाराज ने यह सवाल सुलगा दिया जब मंत्री को अधिकारी की सीआर (चरित्र पंजिका) लिखने का अधिकार नही होगा तो अधिकारी सुनेंगे क्यों? मंत्री हरक-सुबोध भी मुतमईन हुए। लेकिन वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने बेलाग बोल बोले, कहा, मैं इस विवाद में नहीं पड़ना चाहता। लेकिन पिछले साल ही मैंने आईएएस शैलेश बगौली की चरित्र पंजिका लिखी। मंत्री व शासकीय प्रवक्ता मढ़न कौशिक भी बोले, राज्य में मंत्रियों को सीआर लिखने का अधिकार है। कुल मिलाकर मंत्रियों के नए बोल से भाजपा सरकार की कार्यपालिका और विधायकी के बीच पनपी दरार साफ दिख रही है
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून।
उत्त्तराखण्ड में 20 साल से जारी नेता-अधिकारी विवाद की नयी कड़ी मंत्री रेखा आर्य -आईएएस अधिकारी षणमुगम झगड़े में ‘कांग्रेसी मूल'” के भाजपाई मंत्रियों के कूदने से नया सत्ता संघर्ष छिड़ता दिखाई दे रहा है। 22 सितम्बर से शुरू हुए विवाद के तीन दिन बाद कांग्रेस से भाजपा में आये मंत्री सतपाल महाराज, हरक सिंह व सुबोध उनियाल ने कमोबेश एक ही लाइन लेकर सरकार को असहज कर दिया। जबकि शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक कांग्रेसी मूल के इन तीनों मंत्रियों की डिमांड को काउंटर करते हुए दिखे।
दरअसल, शुक्रवार को कैबिनेट मंत्री महाराज का एक वीडियो वायरल हुआ। मंत्री महाराज इस वीडियो में यह कहते दिखाई दे रहे है कि राज्य में मंत्री को अधिकारी की सीआर लिखने का अधिकार नही है। इसलिए अधिकारी अपने मंत्री की नहीं सुन रहे।
महाराज ने स्वंय के केंद्रीय रेल व वित्त राज्य मंत्री का भी हवाला दिया। साथ ही यह भी कहा कि अन्य राज्यों में मंत्री को अधिकारी की सीआर लिखने का अधिकार है। जबकि उत्त्तराखण्ड में ऐसा नही है। महाराज के इस बयान के बाद मंत्री रेखा आर्य और षणमुगम का विवाद एक नया आकार लेते दिखा।
शाम गहराते-गहराते मीडिया सर्किल में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह व सुबोध उनियाल भी महाराज की बात का समर्थन करते नजर आए। ये दोनों नेता भी 2016 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे।
इन दोनों नेताओं ने माना कि अधिकारियों की सीआर लिखने का अधिकार मंत्री को मिलना चाहिए। इस मुद्दे पर कांग्रेस से आये त्रिवेंद्र सरकार के कुछ मंत्री एक सुर में दिखे। जबकि शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने कहा कि राज्य में मंत्रियों को अधिकारियों की सीआर लिखने का नियम है।
त्रिवेंद्र सरकार में भी कई मंत्री व विधायक इस बात पर जोर-जोर से बोल रहे हैं कि अधिकारी उनकी सुनते ही नही। विधायक बिशन सिंह चुफाल, पूरन फर्त्याल, राजेश शुक्ला, उमेश शर्मा काऊ समेत कई अन्य नेता कई बार अपनी परेशानी नेतृत्व को भी बता चुके हैं
मंत्री के पत्र पर जांच बैठी
दूसरी ओर, मंत्री रेखा आर्य के पत्र के बाद जांच बैठा दी गयी है। मंत्री आर्य के पत्र की भाषा पर आईएएस अधिकारियों ने कड़ा एतराज जताया है। इसके बाद अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार को मामले की जांच सौंप दी गयी। जांच में यह देखा जाएगा कि आईएएस षणमुगम ने मंत्री का फ़ोन क्यों नही रिसीव किया।और क्या वास्तव में अवकाश पर थे?
इधर, मनीषा पंवार को जांच सौंपने से पहले सीएम त्रिवेंद्र रावत और मुख्य सचिव ओमप्रकाश की गुफ्तगू की भी खबर चर्चा में है। इस मुद्दे पर शासन स्तर पर जांच की कार्रवाई सम्भवतः मंत्री रेखा आर्य को असहज भी कर रही है।
टेंडर ही विवाद की मुख्य जड़
मंत्री रेखा आर्य और आईएएस षडमुगम के बीच एक टेंडर को लेकर विवाद बताया जा रहा है। यूपी की जिस फर्म को टेंडर मिला। वह मंत्री रेखा आर्य ने रद्द कर दिया। बताया जाता है कि चहेती फर्म को टेंडर देने को लेकर यह विवाद हुआ। फर्म को टेंडर मिलने के बाद सैकड़ों लोगों को आउटसोर्स रोजगार मिलेगा। टेंडर प्रक्रिया से जुड़े कुछ कागज भी वायरल हो रहे हैं। उधर, मंत्री रेखा आर्य ने भी शासन की जांच पर नाराजगी जताई है। मंत्री का आरोप है कि एक कंपनी को वर्क आर्डर जारी कर दिए गए। जबकि पूर्व में टेंडर में हुई धांधली दो कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई।
मंत्री रेखा की बनती क्यूं नहीं
इससे पूर्व मंत्री रेखा आर्य का आईएएस राधा रतूड़ी,सविन बंसल, बाल विकास विभाग में अधिकारी सुजाता से भी विवाद हो चुका है। इस बीच, आईएएस षणमुगम ने भी शासन को लिखे पत्र में मंत्री रेखा आर्य के साथ काम नही करने/विभाग बदले जाने के बाबत एक पत्र लिखा है। इस पत्र की पुष्टि मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने की है। मंत्री ने भी शासन को लंबी चौड़ी चिठ्ठी भेज टेंडर विवाद पर रोशनी डाली है।
कब और कैसे सुलगी चिंगारी
उत्त्तराखण्ड में 20 साल से जारी नेता-अधिकारी विवाद में मंत्री रेखा आर्य व आईएएस अधिकारी षडमुगम का नाम भी जुड़ गया। दरअसल, 22 सितम्बर को रेखा आर्य ने डीआईजी/एसएसपी देहरादून को बेहद चौंकाने वाला पत्र लिखा। “अविकल उत्त्तराखण्ड” ने हूबहू वह पत्र पाठकों के सामने रखा था। पत्र में मंत्री रेखा आर्य ने तीन दिन से उनके व स्टाफ की फ़ोन काल रिसीव नही करने पर अपर सचिव षणमुगम के अपहरण या भूमिगत होने की आशंका जता नया बवाल खड़ा कर दिया। पत्र में आईएएस अधिकारी का तुरन्त पता लगाने को कहा गया। विभाग की सचिव सौजन्या और पुलिस की जांच में पता चला कि षणमुगम आइसोलेशन में है और बाकायदा अवकाश का प्रार्थना पत्र भी दिया है। इसके बाद, सीएम त्रिवेंद्र रावत ने शासन स्तर पर जांच बैठा दी।
मंत्री रेखा आर्य और अधिकारी विवाद की जांच कर रही अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार सात दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट पूरी करेंगी। कुल मिलाकर मंत्री रेखा आर्य की पूर्व में भी कई अधिकारियों के साथ तनातनी हो चुकी है। ताजा तनातनी पर आईएएस की चरित्र पंजिका पर सिग्नेचर की मांग को लेकर त्रिवेंद्र सरकार के मंत्रियों का कूदना रेखा आर्य को ऑक्सीजन जरूर दे गया। लेकिन टेंडर विवाद की तह में जाकर असली सच का खुलासा होना अभी बाकी है।
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