राम मंदिर निर्माण की सफलता की नेपाल के  पशुपतिनाथ में कामना

पशुपतिनाथ में चल रही विशेष पूजा, लंका में चढ़ाई से पूर्व राम ने की थी शिवलिंग की स्थापना, राम और शिव का विशेष सम्बंध, पशुपतिनाथ में होती है शिव की पूजा।


पशुपतिनाथ डेवेलपमेंट ट्रस्ट
काठमांडू, नेपाल 5 अगस्त

बेशक इन दिनों भारत और नेपाल के रिश्तों में खटास देखी जा रही हो। लेकिन श्री राम मंदिर निर्माण की सफलता के लिए पशुपतिनाथ मंदिर में विशेष पूजा हो रही है।

काठमांडू से मिली जानकारी के मुताबिक सप्त पुरी में विशेष स्थान वाले भगवान श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए नेपाल के विश्व प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर में विशेष रुद्राभिषेक और पूजा का प्रबंध किया गया है।

पशुपतिनाथ डेवेलपमेंट ट्रस्ट काठमांडू के सदस्य संहिता शास्त्री अर्जुन प्रसाद बास्तोला ने बताया कि मंदिर में  पुजारी मूल भट्ट जी की अगुवाई में पूजा की तैयारियां की जा रही हैं। भगवान श्री राम के भव्य मंदिर निर्माण के लिए विशेष रुद्राभिषेक और षोडशोपचार पूजा के माध्यम से भगवान रुद्र से प्रार्थना की जाएगी।

           उन्होंने बताया कि भगवान शिव और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र का संबंध अद्भुत और अद्वितीय है। शिव को समझे बिना राम को कोई साध नहीं सकता। ” सेवक स्वामि सखा सिय पिया के ” इस उक्ति के आधार पर भगवान राम शिव के सखा भी है, दास भी और स्वामी भी। राम जी की हर लीला से शिव को परमानंद की प्राप्ति होती है। जब उन्होंने सर्वतंत्र-स्वतंत्र प्रभु राम को कौशल्या अम्बा की गोदी में बैठ कर मंद-मंद मुस्कुराते हुए देखा तो उनके मुख से बरबस ही शब्द फूट पड़े : 
व्यापक ब्रह्म निरंजन निर्गुन बिगत बिनोद।
सो अज प्रेम भगति बस कौसल्या के गोद॥

लंका ओर चढ़ाई से पूर्व श्री राम ने शिवलिंग की स्थापना कर सफलता का आशीर्वाद मांगा था।

भारत और नेपाल के बिना राम लीलामृत संपूर्ण भी कहां। सुधीजन , राम और जगतजननी सीता में कोई भेद नहीं मानते ।

शास्त्री अर्जुन प्रसाद बसतोल

भारत में अयोध्या और नेपाल के जनकपुर का संबंध सदियों से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक सेतु रहा है। नेपाल में पशुपतिनाथ ट्रस्ट की ओर से आयोजित इस विशेष अर्चना से स्थानीय जनता में भी काफी उत्साह है।

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