कोरोना सुनामी का खौफ- लग सकता है चारधाम यात्रा पर ‘ब्रेक’

हेमकुंड की यात्रा हो चुकी है स्थगित

अधिकारियों से मंथन के बाद सीएम तीरथ आज ले सकते हैं फैसला

मई माह में खुलेंगें चार धामों के कपाट

अविकल उत्त्तराखण्ड

देहरादून। उत्त्तराखण्ड में कोरोना सुनामी की गंभीर स्थिति होती देख चारधाम यात्रा पर ब्रेक लग सकता है। मई माह में चारों धाम के कपाट खुल रहे हैं। हाल ही में सिखों की पवित्र हेमकुंड यात्रा स्थगित कर दी गयी। इस बाबत हेमकुंड साहिब से जुड़े सिख धार्मिक संगठन ने यह फैसला भी किया है।

चारधाम यात्रा को लेकर गुरुवार को सीएम तीरथ रावत बड़ा फैसला ले सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक जिस तरह चैत्र संक्रांति/बैसाखी के सबसे बड़े शाही स्नान के बाद महाकुम्भ के बाकी शाही स्नान को प्रतीकात्मक तरीके से सम्पन्न कराया गया। ऐसे में चारधाम यात्रा को भी प्रतीकात्मक तौर पर आयोजित की जाय।

गुरुवार को चारधाम यात्रा को लेकर सीएम तीरथ सिंह रावत आला अधिकारियों के साथ बैठक करने जा रहे हैं। बैठक में चारधाम की तैयारियों के अलावा कोरोना संक्रमण को देखते हुए यात्रा के स्वरूप पर भी मंथन किया जाएगा।

चूंकि बीते साल भी चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं को मंदिर के अंदर प्रवेश की इजाजत नहीं थी।लिहाजा लॉकडौन की वजह से तीर्थयात्री अक्टूबर माह से ही  चारधाम पहुंचे थे।

विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना संक्रमण की दर मई माह में पीक पर तने की उम्मीद है। और जुलाई माह तक दस राज्यों में संक्रमण काफी तेजी से फैलेगा। चूंकि, चारधाम में अन्य प्रदेशों से लाखों की संख्या में तीर्थयात्री उत्त्तराखण्ड की ओट रुख करते हैं। लिहाजा, इन तीर्थ यात्रियों से संक्रमण की रफ्तार कई गुना बढ़ने की उम्मीद है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए चारधाम यात्रा को प्रतीकात्मक रखने पर शासन स्तर पर गंभीरता से विचार हो रहा है। हालांकि, सरकार ने बाहर से आने वाले यात्रियों के लिए 72 घण्टे की RTPCR रिपोर्ट अनिवार्य की हुई है।

चूंकि, उत्त्तराखण्ड के पर्वतीय जिलों में स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत किसी से छुपी नहीं है। तीर्थयात्रियों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराना भी सरकारी तंत्र के बस में नहीं है। चारधाम यात्रा की व्यवस्था के लिए अतिरिक्त कर्मचारी व पुलिसकर्मियों की ड्यूटी भी खतरे को न्योता देने के समान होगा। और कोरोना की गंभीर दूसरी लहर के दौरान लाखों तीर्थयात्रियों का हरिद्वार-ऋषिकेश से होते हुए चमोली , उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, टिहरी जैसे पर्वतीय जिलों में प्रवेश करने से संक्रमण की दर में बेतहाशा इजाफा होने की उम्मीद है।अभी इन जिलों में संक्रमण व मौत के मामले मैदानी जिलों की अपेक्षा काफी कम है।

बुधवार को उत्त्तराखण्ड में कोरोना से हुई 108 मौतों व 6 हजार से अधिक संक्रमण के आंकड़े ने शासन की नींद उड़ा दी। पूर्व के महीनों में स्वास्थ्य सुविधाओं के इंतजाम से बेखबर आलाधिकारी अब हाथ पांव मार रहे है। कागजों पर धड़ाधड़ नोडल अधिकारी बनाये जा रहे हैं।

गौरतलब है हरिद्वार महाकुम्भ के दौरान फैले संक्रमण को लेकर विपक्ष भाजपा सरकार पर हमलावर है। मार्च में शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद    सीएम तीरथ रावत ने शुरुआती दौर में महाकुम्भ को भव्य बनाने की दिशा में बेरोकटोक कुम्भ में शामिल होने सम्बन्धी बयान दिया था। महाकुम्भ के दौरान साधु संतों में फैले कोरोना  और कुछ की मृत्यु के बाद भाजपा सरकार पर उंगलियाँ भी उठने
लगी थी।

हालांकि, बैसाखी के सबसे बड़े शाही स्नान के बाद पीएम मोदी ने अखाड़ों से प्रतीकात्मक भागीदारी की अपील की थी। पीएम मोदी की अपील के बाद कुछ अखाड़ों ने  महाकुंभ से विदा भी ले ली थी।

इधर, महाकुम्भ के बाद मई में चारधाम यात्रा का श्रीगणेश होना है। चूंकि, एक्सपर्ट ने दूसरी लहर को बहुत ही खतरनाक बताया है। और अगले कुछ महीने बहुत ही घातक बताए हैं। ऐसे में चारधाम में देश,-विदेश से आने वाले लाखों तीर्थयात्रियों की मौजूदगी खतरे का सबब बन सकती है।

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