’हिमालय मिलेट्स- राइजोस्फीयर, न्यूट्रिशन और क्लाइमेट रिजिलियंस’ विषय पर हुआ मंथन

ग्राफिक एरा में हिमालय मिलेट्स पर सेमिनार

अविकल उत्तराखण्ड

देहरादून। ग्राफिक एरा में मिलेट्स के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के तहत आयोजित सेमिनार में मिलेट्स के पौधों के वैज्ञानिक व व्यावसायिक विशेषताओं पर चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने इसके उपयोगों पर अपने विचार साझा किये। ’हिमालय मिलेट्स- राइजोस्फीयर, न्यूट्रिशन और क्लाइमेट रिजिलियंस’ विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान की निदेशक डॉ. अनीता रावत ने कहा कि मिलेट्स हमारी संस्कृति और परंपराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसका उपयोग खाने से लेकर चिकित्सा क्षेत्र तक होता है। उन्होंने मिलेट्स के उत्पादन को बढ़ावा देने की भी बात कही।

ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. नरपिन्दर सिंह ने कहा कि मिलेट्स दुनिया के लिए नया शब्द हो सकता है लेकिन उत्तराखंड में हमेशा से इसका उपयोग होता आया है। उन्होंने मिलेट्स के बेहतरीन उपयोगों पर भी प्रकाश डाला। इस मौके पर विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया और रागी से बने कुकीज, ब्राउनी आदि की प्रदर्शनी भी लगाई गई।
यह सेमिनार ग्राफिक एरा के बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट और कंप्यूटर एप्लीकेशन डिपार्टमेंट ने उत्तराखण्ड और विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से आयोजित किया।

कार्यक्रम में डीन जीवन विज्ञान डॉ. प्रीति कृष्णा, बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेण्ट की एचओडी डॉ. मनु पंत, हिमालय पर्यावरण अध्ययन और संरक्षण संगठन के प्रमुख अनुसंधान वैज्ञानिक डॉ. राकेश कुमार, बेनेट यूनिवर्सिटी नोएडा के डॉ. मुकुंद प्रताप सिंह, भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान देहरादून के डॉ. देवीदीन यादव, ग्राफिक एरा की डॉ. नेहा पांडे, डॉ. आदित्य जोशी, प्रो. आशीष थपलियाल, प्रो. निशांत राय और डॉ. कुमुद पंत भी मौजूद रहीं।

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