बरसात में विधायक निवास में सूप की सुड़क सुड़क से सत्ता के गलियारे गूंजे

आधा दर्जन भाजपा विधायकों की सूप पॉलिटिक्स से माहौल गर्म

पूर्व अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल समेत कई विधायक जुटे कंडारी आवास में। सूप की सुड़क में उड़ेला दिल का दर्द

अविकल उत्त्तराखण्ड/बोल चैतू

देहरादून।
शुक्रवार की देर शाम रेस कोर्स के विधायक निवास में गर्मा गर्म सूप की चुस्कियों के बीच भाजपा विधायक अपने दिल की कह-सुन और गुन रहे थे।
  माहौल में तल्खी भी थी…उलझन भी और 2022 के चुनाव की चिंता भी। अधिकारी नहीं सुन रहे। विधायक निधि आदि पर कैंची भी चल गई।

हाल ही में शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने भाजपा कार्यालय में पूर्व अध्यक्ष व मंत्री बिशन सिंह चुफाल से बात की। पता नहीं धनदा उनको कितना समझा व समझ पाए।

कोरोना काल में अर्थव्यवस्था चरमरा गई। कैसे रोजगार आएगा..कैसे काम होंगे और कैसे चुनाव जीतेंगे?? सूप की गर्मी और तीखी महक भी मंथन को उद्वेलित व गति देने के लिए काफी था।

भाजपा के युवा विधायक विनोद कंडारी के निवास पर सजी सूप की प्यालियों से उठती भाप भाजपा में सुलग रही कहानी साफ बयां कर रही थी। करीब 6 से 8 विधायकों ने काली मिर्च के स्वाद से भरे सूप से गला भी सेका और एक दूसरे पर मरहम भी लगाया।

पूर्व अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल काफी गुस्से में है। बेलाग बोल रहे हैं। …जब 2017 में मंत्री पद के योग्य नही था तो 2020 में कैसे हो सकता हूँ। अब तो मन्त्री बनाना सरकारी खजानेमें बोझ बढ़ाने जैसे होगा।

सूप पॉलिटिक्स में बिशन सिंह चुफाल अलग मूड में नजर आए। नए विधायकों में कुछ डर भी रहे है। एक विधायक तो यहां तक कहने लगे कि 2022 में जीतना मुश्किल है लिहाजा पेंशन ही बढ़ा दी जाय।

चर्चा यह भी आयी कि एक मंत्री और विधायक ने समझाने- बुझाने की जिम्मेदारी ले रखी है। नाराज चल रहे दो विधायकों को तो वीवीआईपी ब्रेकफास्ट भी करवा दिया है। वो तो खुश हो गए। लेकिन विधायक पूरन फर्त्याल समझने को राजी नही है।विधायक सुरेंद्र जीना के भी शनिवार तक पहुंचने की उम्मीद है।  विधायक महेश कोली का स्टाफ़ कोरोना पॉजिटिव हो गया। इसलिए वो आ नही पाए।

बहरहाल, चुफाल के नेतृत्व में विधायक चंदन रामदास, शक्तिलाल शाह, दीवान सिंह बिष्ट, पूरन फर्त्याल समेत कुछ अन्य विधायकों ने सूप का आनन्द लिया। एक हफ्ते से बिशन सिंह चुफाल देहरादून डटे हैं। कह रहे कि पूर्व अध्यक्ष हूँ, विधायकों की समस्या सुन रहा हूँ। अभी और दुख दर्द सुनूँगा। यानी कि शुक्रवार को सूप तो शनि-रवि को कुछ नया मेन्यू होगा। चुस्कियां जारी रहेगी।

एक समय घोर विरोधी रहे फिर कई दिन साथ-साथ खिचड़ी खायी। सियासत के ये दोनों खिलाड़ी अब अलग-अलग दिशा में कर्म कर रहे हैं।

इस सूप बैठकी ने दस साल पहले खंडूड़ी व कोश्यारी की खिचड़ी बैठकी की यादें ताजा कर दी। सियासत में कभी सूप तो कभी लंच, डिनर व चाय पॉलिटिक्स अपना असर जरूर दिखाती है।

नाराजगी अधिकारियों के मनमाने रवैये से भी है। कई अन्य गोपनीय मुद्दे भी हैं। केजरीवाल की आप पार्टी की धमक भी सूप बैठकी में सुनी गई। तो विधायक महेश नेगी व कुंवर प्रणव चैंपियन एपीसोड से हुए राजनीतिक नुकसान का जोड़ घटाव भी हुआ। खुफिया तंत्र की चहलकदमी भी विधायकों के नॉलेज में थी लेकिन जुबान का तीखापन और तेजी भी अपनी रौ में दिखी।

बहरहाल, लंबे समय बाद उत्त्तराखण्ड की सत्ता की राजनीति में इस भाजपाई सूप में पड़ी काली मिर्च का तीखापन सीने में जलन के साथ गले की खराश को भी दुरस्त करेगा….

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