नैनीताल हाईकोर्ट ने कहा कि देहरादून बैठकर कैसे कर लेंगे चारधाम यात्रा की भीड़ को कंट्रोल। देहरादून से नही हो सकती चारधाम यात्रा की निगरानी
पर्यटन सचिव व स्वास्थ्य सचिव को दिए जवाब दाखिल करने के आदेश
अविकल उत्त्तराखण्ड
नैनीताल। मीडिया को भी बार-बार कोर्ट की अधिकारियों को पड़ रही फटकार पर कलम चलाने में शर्म आने लगी है। लेकिन उत्त्तराखण्ड नौकरशाही के चंद अहम नामों को कोई फर्क नही पड़ता। हाईकोर्ट ने कोविड काल के जारी सत्र में कई बार सरकार-शासन को जमकर खरी खोटी सुनाई। शासन के अहम अधिकारियों की योग्यता पर सवाल उठे। लेकिन कोई विशेष बदलाव नजर नही आया।
बुधवार को नैनीताल हाईकोर्ट ने पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर के अलावा कोविड 19 की तीसरी लहर के बाबत तैयारियों को लेकर कड़ी टिप्पणी की। और कहा कि पर्यटन प्रदेश में जमीनी स्तर पर कोई काम नही हो रहा है। इस दिशा में सरकार गंभीर नजर नही आ रही है। अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली और सचिदानन्द डबराल की याचिका पर जारी सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश आर एस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ ने कहा कि देहरादून बैठकर चारधाम यात्रा को भीड़ को कंट्रोल करने का दावा हास्यास्पद है।
हाईकोर्ट ने पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर को 16 जून को व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट में पेश होकर व स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी को 23 जून को जवाब दाखिल करने को कहा है।
कोर्ट ने कहा कि पर्यटन सचिव चारधाम यात्रा का रोडमैप प्रस्तुत करे। यही नहीं, नैनीताल-मसूरी आदि पर्यटक स्थलों में कोरोना संक्रमण के बीच अन्य राज्यों से आने वाले यात्रियों के साथ आम लोगों को कैसे सुरक्षित रखेगी। इस बाबत भी पूरी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाय।
कोर्ट ने कहा कि ब्लैक फंगस को लेकर अस्पतालों में मौजूद दवाओं की जानकारी लोगों तक पहुंचनी चाहिए।कोर्ट ने सचिव अमित नेगी को निर्देश दिए कि कोविड मरीजों के लिए अलग अस्पताल तैयार करें, जिससे बाकी मरीजों पर भी ध्यान दिया जा सके।
सुनवाई के दौरान भारत सरकार के स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ संजय राय,स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी व पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर कोर्ट में मौजूद थे। लंबे समय से कोर्ट के संज्ञान लेने के बाद भी कोविडकाल में अपेक्षित प्रगति नजर नही आ रही।
कोर्ट ने राज्य सरकार को यह आदेश दिये
तीसरी लहर को रोमन के पुख्ता इंतजाम करें।
भिखारी, वृद्ध, कैदी,कुष्ठ रोगी, वरिष्ठ नागरिक जिनके पास आई कार्ड नहीं उनका टीकाकरण समाज कल्याण विभाग से करवाएं। ज़िलोंमें टास्क फोर्स बनाये।
केंद्र सरकार उत्तराखंड को जीवन रक्षक दवाओं की निर्बाध सप्लाई करे।
ब्लैक फंगस की दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करवाए।
पर्वतीय क्षेत्रों में आशा वर्कर, होमगार्ड और नर्सों की समिति से घर-घर सर्वे अवश्य कराएं।
नई एसओपी में यह भी बताएं कि किस बीमारी के लिए कितना खर्चा होगा। निजी अस्पतालों की मनमानी पर रोक लगे।
प्रदेश की सेलिब्रिटी को मोटिवेटर बनाएं।
ग्रामीण इलाके में SOP का पालन व पंचायत घरों में isolation center बनायें।
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