गोदियाल काँग्रेस चीफ, हरदा- प्रीतम नये रोल में, चार कार्यकारी अध्यक्ष भी !

उत्त्तराखण्ड कांग्रेस में चार कार्यकारी अध्यक्ष बनेंगे। बेहड़, कापड़ी, जीत राम व खरोला के नाम की चर्चा। किशोर को चुनाव अभियान समिति में सह संयोजक बनाने की चर्चा। प्रीतम सिंह नेता विपक्ष के नये रोल में दिखेंगे।

अनुभव व युवा जोश के साथ तालमेल बनाने की कोशिश

पंजाब की तर्ज पर उत्त्तराखण्ड में भी चार कार्यकारी अध्यक्ष के नाम लगभग तय कर लिए गए है। पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को चुनाव संचालन समिति में सह संयोजक बनाये जाने की खबर है। चार कार्यकारी अध्यक्षों में दो-दो गढ़वाल व कुमायूँ से लिये जाने की चर्चा है। कुमायूँ से पूर्व मंत्री तिलकराज बेहड़ व युवा भुवन कापड़ी का नाम है। जबकि गढ़वाल से पूर्व विधायक जीत राम आर्य व युवा राजपाल खरोला को कार्यकारी अध्यक्ष बनाये जाने की तेज सुगबुगाहट है। काँग्रेस की संभावित नयी टीम में सभी राजनीतिक संतुलन बनाने की कोशिश की गई

काँग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल आज रात या शुक्रवार को उत्त्तराखण्ड कांग्रेस की नई टीम की औपचारिक घोषणा कर सकते हैं।

अविकल उत्त्तराखण्ड

देहरादून। लंबे समय से कांग्रेस के अंदर चल रही कश्मकश पर फिलहाल विराम लगते हुए कांग्रेस नेतृत्व ने पूर्व विधायक गणेश गोदियाल को उत्त्तराखण्ड कांग्रेस की चाबी सौंपने जा रही है। गोदियाल की तय ताजपोशी में पूर्व सीएम हरीश रावत की अहम भूमिका मानी जा रही है।

सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस हाईकमान के निर्णय के अनुसार मौजूदा अध्यक्ष प्रीतम सिंह को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी गयी है। डॉ इंदिरा ह्रदयेश के निधन से नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी खाली हुई थी।

2022 फतह की चुनौती

जैसा कि पहले से ही अनुमान लगाया जा रहा था कि हरीश रावत को विधानसभा चुनाव अभियान की कमान सौंपी जायेगी। नयी टीम की घोषणा में काँग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने हरीश रावत को 2022 के चुनाव लड़ाने की अहम जिंम्मेदारी सौंपने का फैसला किया है। उनके साथ पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को भी चुनाव अभियान समिति में अहम पद दिया जाएगा।

नयी भूमिका में दिखेंगे

उल्लेखनीय है कि गणेश गोदियाल ने 2002 के विधानसभा चुनाव में भज्जप के मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को हर सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा था। गोदियाल थलीसैंण विधानसभा से चुनाव जीते थे। 2007 में गोदियाल चुनाव हार गए थे। लेकिन 2012 में फिर विधानसभा का चुनाव जीते। रावत की सरकार गिरने के समय गोदियाल ने भाजपा की तमाम कोशिश के बाद हरीश का साथ नही छोड़ा। बदले में हरीश रावत ने भी इस मौके पर गोदियाल का नाम आगे बढ़ाया।

जीता राहुल का भरोसा

गोदियाल अपने बेहतर व्यवहार व छवि की वजह से हाईकमान की नजरों में भी अन्य दावेदारों के मुकाबले बेहतर माने गए।

इस पूरे फेरबदल में अंततः पूर्व सीएम हरीश रावत की ही चली। प्रीतम समर्थकों ने भी आखिरी समय तक पूरी ताकत लगा रखी थी। लेकिन कांग्रेस ने ब्राह्मण कार्ड को तवज्जो देते हुए गणेश गोदियाल के नाम पर मुहर लगा दी। चार कार्यकारी अध्यक्षों में इलाकाई व जातीय संतुलन को साधने की कोशिश की गई है।

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