मेडिकल सुविधा नहीं फिर होम आइसोलेशन है जरूरी। 93 प्रतिशत मरीज गांव में हैं आइसोलेटेड। सच्चाई यह भी है कि गांवों में कई लोगों का कोरोना टेस्ट ही नही हुआ है। यह संख्या कई गुना ज्यादा होने का अनुमान है।
पंचायती राज विभाग की रिपोर्ट- ग्रामीण इलाकों में 93 प्रतिशत कोरोना मरीज होम आइसोलेशन में। गांवों में चिन्हित 15981 एक्टिव केस में 14851 होम आइसोलेशन में
ग्रामीण होम आइसोलेशन व क्वारंटाइन केंद्रों में 233 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। हरिद्वार जिले के 171 लोग होम आइसोलेशन के उल्लंघन के दोषी भी पाये गए।
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। कोरोना से जंग को लेकर उत्त्तराखण्ड के आलाधिकारी बेशक बड़े बड़े दावे कर रहे हों लेकिन पंचायती राज विभाग की एक रिपोर्ट ने उनके दावों की हवा तो निकाल ही दी। साथ ही उत्त्तराखण्ड के ग्रामीण इलाकों की लचर स्वास्थ्य सुविधाओं की असल तस्वीर भी सामने रख दी।
पंचायती राज विभाग के ताजातरीन (18 मई 2021 ) के आकंड़ों के मुताबिक 15981 एक्टिव केस ग्रामीण इलाकों में पाए गए। इनमें 14851 (93%) पॉजिटिव मरीज होम आइसोलेशन में हैं जबकि सिर्फ 1008 (6%) मरीज ही अस्पताल में भर्ती हैं।
इस सच को बूझते हुए राज्य सरकार ने कोरोना लक्षण वालों को होम आइसोलेशन में रहने की सलाह देते हुए गहड़ में ही दवाओं का पूरा कोर्स करने की बारम्बार सलाह भी दे रहे है। कोरोना से जुड़े तमाम विज्ञापनों में भी कोविड किट के उपयोग के अलावा होम आइसोलेशन को विशेष तरजीह दी जा रही है।
देखिये चार्ट- किस जिले में कितने ग्रामीण इलाकों के मरीज होम आइसोलेशन में हैं
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